पहली बार दिखा डालमेशियन पेलिकन
पोकरण. पश्चिमी राजस्थान में विशेष रूप से जैसलमेर जिले में नए प्रजाति के पक्षियों की आवक होने लगी है। सर्दी के मौसम में अनुकूल वातावरण मिलने पर सुदूर देशों से ये पक्षी हजारों किमी का सफर तय कर यहां पहुंच रहे है।

पोकरण. पश्चिमी राजस्थान में विशेष रूप से जैसलमेर जिले में नए प्रजाति के पक्षियों की आवक होने लगी है। सर्दी के मौसम में अनुकूल वातावरण मिलने पर सुदूर देशों से ये पक्षी हजारों किमी का सफर तय कर यहां पहुंच रहे है। इसी के अंतर्गत सोमवार को परमाणु परीक्षण की गवाह बने पोकरण क्षेत्र के खेतोलाई गांव के पास स्थित नाडी पर डालमेशियन पेलिकन नामक प्रजाति का पक्षी नजर आया है। नए प्रजाति के पक्षी की आवक से वन्यजीवप्रेमियों में खुशी नजर आ रही है। उन्हें शोध के लिए नया विषय भी मिला है। जैसलमेर जिले में इस प्रजाति का पक्षी पहली बार नजर आया है। राजस्थान के पूर्वी व दक्षिणी भाग में ये पेलिकन आसानी से नजर आते है। जैसलमेर जिले में पहली बार इस पक्षी का नजर आना शुभ संकेत है।
खेतोलाई में नजर आए चार पक्षी
डालमेशियन पेलिकन नामक प्रजाति के पक्षी जैसलमेर जिले में मंगलवार को पहली बार नजर आए है। पूर्वी व दक्षिणी भागों की बजाय पश्चिमी राजस्थान में इन्होंने पहली बार पड़ाव डाला है। पोकरण क्षेत्र के खेतोलाई गांव के पास स्थित नाडी पर मंगलवार को सुबह चार पेलिकन पक्षी नजर आए है। वन्यजीवप्रेमी डॉ.दिवेशकुमार सैनी ने इन पक्षियों के चित्र कैमरे में कैद किए है।
घुंघराले पंख करते है आकर्षित
- डालमेशियन पेलिकन नामक पक्षी पेलिकन प्रजाति के सबसे बड़े पक्षियों में गिने जाते है।
- सफेद रंग के इन पक्षियों के लम्बी गर्दन व चोंच होती है। जिसकी मदद से पानी में बड़ी मछली भी पकड़ लेते है।
- मछली ही इनका मुख्य भोजन है।
- इनके सिर पर घुंघराले पंख, भूरे गहरे रंग के पैर लोगों को अपनी ओर आकर्षित करते है।
- उनके घौंसले वनस्पति के कच्चे ढेर होते है। जिन्हें जमीन पर या वनस्पति के घने मैट पर रखा जाता है।
- विशेष रूप से झीलों, नदियों, डेल्टा में ये पाए जाते है।
- उडऩे वाले सबसे भारी पक्षियों में इनकी गिनती की जाती है।
- जैसलमेर में पेलिकन की दो प्रजातियों को देखा जा चुका है।
शोध को मिल रहा है नया विषय
जैसलमेर जिले में कुरजां, बाज, बतख, गिद्ध, फालकन, लेक्विन आदि प्रजाति के पक्षी प्रवास के लिए आते है। पेलकिन प्रजाति का एक पक्षी पूर्व में आया था। उसी प्रजाति का डालमेशियन पेलकिन पहली बार आया है। जिससे वन्यजीवप्रेमियों को शोध के लिए नया विषय मिला है।
- दिवेशकुमार सैनी, वन्यजीवप्रेमी, पोकरण।
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