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यहां हर कदम पर खतरा: बारिश के बाद सड़क किनारे उगी घास के पास मंडरा रहे पशु

locationजैसलमेरPublished: Sep 15, 2020 09:04:17 am

Submitted by:

Deepak Vyas

– जैसलमेर-जोधपुर मार्ग पर खतरा, रात के समय सबसे अधिक आशंका

यहां हर कदम पर खतरा: बारिश के बाद सड़क किनारे उगी घास के पास मंडरा रहे पशु

यहां हर कदम पर खतरा: बारिश के बाद सड़क किनारे उगी घास के पास मंडरा रहे पशु

पोकरण. वाहनों के आवागमन, सुविधाजनक यातायात व कम समय में दूरी तय करने के लिए बने शानदार राष्ट्रीय राजमार्ग पशुओं का डेरा बन गया है तथा आए दिन तारकोल की स्याह सड़कें खून से लथपथ हो रही है। बावजूद इसके इन पशुओं को सड़क से दूर करने और दुर्घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। गौरतलब है कि जैसलमेर-पोकरण राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 11 के दोनों तरफ कई गांव स्थित है और घनी आबादियां निवास करती है। ये क्षेत्र पशु बाहुल्य भी है। ऐसे में ये पशु विचरण करते हुए सड़क पर आ जाते है। जिससे आए दिन हादसे हो रहे है और कई बार पशु, तो कभी वाहन चालकों व सवारों की मौत हो रही है। प्रशासन इन हादसों से सबक लेने की बजाय मात्र मूकदर्शक बना हुआ है।
ये हैै पशु बाहुल्य गांव
जैसलमेर-पोकरण के बीच चांधन, सोढ़ाकोर, डेलासर, लाठी, धोलिया, खेतोलाई, चाचा, सेलवी, ओढ़ाणिया आदि गांव स्थित है। ये पशु बाहुल्य भी गांव है। यहां के लोगों का मुख्य व्यवसाय भी पशुपालन व कृषि ही है। राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 11 के एक फिल्ड फायरिंग रेंज तथा दूसरी तरफ ओरण व गोचर भूमि है। ये पशु यहां चारे की तलाश में घूमते रहते है।
चारे की तलाश ला रही मौत के पास
गत दिनों क्षेत्र में हुई तेज बारिश के बाद ओरण, गोचर व फिल्ड फायरिंग रेंज में घनी घास लग गई है। पशु बाहुल्य गांवों से ये पशु चारे की तलाश में सड़क किनारे घास चरने के लिए आ जाते हैै। इस दौरान विचरण करते हुए ये पशु सड़क पर भी पहुंच जाते हैै। सड़क पार करते समय यहां से तेज गति से गुजरने वाले सैंकड़ों वाहनों की चपेट में आने से उनकी मौत हो जाती है।
काली रात में बढ़ता खतरा
चारे पानी की तलाश में थके हारे पशु कई बार सड़क पर ही रात गुजारते है। रात के अंधेरे में वाहनों की लाइट की रोशनी में ये पशु नजर नहीं आते हैै। जिसके कारण वाहन इनसे टकरा जाते है तथा दुर्घटना हो जाती है। दिन की बजाय रात में हादसे का खतरा ज्यादा रहता है। बावजूद इसके पशुपालकों व प्रशासन की ओर से इन पशुओं को हादसों से बचाने के लिए कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है।
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