प्रतिबंधित मांझे को लेकर मुझे यह जानकारी नहीं थी। अगर ऐसा है तो जल्द ही कार्रवाई करेंगे।
– हंसमुख कुमार, उपखंड अधिकारी, जैसलमेर
शहर में बिकने वाला प्रतिबंधित मांझा बैंगलूरु से आता है। पहले यह चाइना की पैकिंग में आता था, लेकिन उस पर रोक लगने के बाद व्यापारियों ने इसकी पैकिंग बदल दी। अब यह ‘मेड इन इंडिया’ के लेबल से बाजार में खूब बिक रहा है।
आधी कीमत और टूटता भी नहीं
देशी मांझा सूत का बना होता है। ऐसे में यह कहीं अटकने पर जल्द ही टूट जाता है। वहीं इस मांझे में नायलोन, कांच तथा लोहे का उपयोग होने से यह टूटता नहीं तथा चपेट में आने वाले को नुकसान पहुंचा देता है।
खत्री मौहल्ले में बुधवार को जयंत अपने घर की छत पर परीक्षा की तैयारी कर रहा था। इस दौरान पास में ही कोई पतंग आकर गिरा। उसने जैसे ही पतंग उठाने के लिए डोर पकड़ी तो वह उंगली को चीरते हुए अंदर घुस गई। घाव इतना गहरा था कि उससे तेज खून बहने लगा। इसके बाद परिजन उसे तत्काल अस्पताल ले गए। यहां चिकित्सकों ने पट्टी लगा उपचार किया।
ऐसे ही इसी मौहल्ले में रहने वाला मोहक अपने दोस्तों के साथ पतंग उड़ा रहा था। पतंग उड़ाने के लिए दोस्त ने उसे चिक्की देने के लिए कहा, लेकिन इसी दौरान उसका हाथ डोर की चपेट में आ गया। इससे उसका हाथ छिल गया। परिजन उसे तत्काल अस्पताल ले गए। ऐसे ही शहर में रोजाना बड़ी संख्या में घटनाएं हो रही है। लेकिन कार्रवाई के अभाव में इस पर लगाम नहीं लग रही है।