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बेमौसम की बरखा बनी बैरन, किसानों की मेहनत पर फिरा पानी

locationजैसलमेरPublished: Mar 17, 2023 08:06:25 pm

Submitted by:

Deepak Vyas

- जैसलमेर जिले के बारानी, ट्यूबवैल और नहरी खेतों में फसलों को व्यापक नुकसान
- सबसे ज्यादा कटी हुई फसलों की तबाही

बेमौसम की बरखा बनी बैरन, किसानों की मेहनत पर फिरा पानी
बेमौसम की बरखा बनी बैरन, किसानों की मेहनत पर फिरा पानी

जैसलमेर. मौसम तंत्र में पश्चिमी विक्षोभ के दखल से सीमांत जैसलमेर जिले में गत गुरु और शुक्रवार की दरम्यानी रात में तेज ठंडी हवाओं के साथ बेमौसम की बारिश ने किसानों के अरमानों पर पानी फेरने का काम किया है। जिले के बारानी खेतों से लेकर ट्यूबवैल और नहरी क्षेत्र में रबी की कटी हुई फसलों से लेकर कई जगहों पर खड़ी फसलों को इस आसमानी आफत ने व्यापक नुकसान पहुंचाया है। किसान जिस बिन बुलाई बारिश की आमद से डर रहे थे, वह आखिरकार आ गई और उसने उनकी मेहनत पर पूरा नहीं तो भी काफी हद तक पानी फेरने का काम किया। कई क्षेत्रों में तो खेतों में पानी भर गया और गत दिनों से किसानों की ओर से मेहनत कर काट कर रखी गई फसलों को इस बारिश ने सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाया है। इसबगोल की फसल पर पानी लगने से वह पूरी तरह से चौपट समझी जा रही है। इसी तरह से नकदी फसल जीरा को भी बारिश ने चोट पहुंचाई है। जैसलमेर जिले के रामगढ़, मोहनगढ़ नहरी क्षेत्रों सहित भाखरानी, रामा, कोडा, सांगड़, नरसिंगों की ढाणी, डाबला, भू, बडोड़ा गांव, चांधन, जावंध, मूलाना, दवाड़ा, धायसर, सगरा, कीता, उगवा, सीतोड़ाई, एनकेडी आदि से लेकर सुदूर नोख आदि से बरसात के कारण किसानों की फसलों में खराबा होने की सूचना मिली है।
मौसम की मार के आगे बेबस किसान
मौसम विभाग की तरफ से गत दिनों ही एक और पश्चिमी विक्षोभ के सक्रिय होने और जिले में बेमौसम की बारिश की भविष्यवाणी कर दी गई थी। इसके मद्देनजर किसानों ने होली के बाद से युद्ध स्तर पर फसलों की कटाई का काम शुरू किया। सैकड़ों की तादाद में खेतिहर मजदूरों को भी लगाया गया। जानकारी के अनुसार जीरा व इसबगोल की फसलों को काट कर खेत में रखा गया था। उन पर बारिश का सबसे ज्यादा असर हुआ है। गौरतलब है कि फसल पूरी तरह से सूखे बिना उसे थ्रेसर में नहीं डाला जा सकता और इस दौरान बारिश आ गई। ऐसे ही कई जगहों पर रायड़ा व अन्य फसलों को भी नुकसान होने की जानकारी है। किसानों की आंखों के सामने बीती रात बरसाती पानी ने तबाही मचाई और वे कुछ नहीं कर सके। हजारों वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल में फैले जिले में बारिश से हुए असल नुकसान की जानकारी भी शासन-प्रशासन तक पहुंचाई जानी मुश्किल है।

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