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ऐतिहासिक सोनार के जर्जर आशियानों से मंडरा रहा खतरा

locationजैसलमेरPublished: Jun 05, 2021 10:21:03 pm

Submitted by:

Deepak Vyas

-जिम्मेदारों की लापरवाही का दंश झेलने को मजबूर दुर्ग के बाशिंदे-पूर्व में हुए हादसों से भी सबक नहीं

ऐतिहासिक सोनार के जर्जर आशियानों से मंडरा रहा खतरा

ऐतिहासिक सोनार के जर्जर आशियानों से मंडरा रहा खतरा

जैसलमेर. ऐतिहासिक सोनार किले के कोठड़ी पाड़ा में बारिश के अगले दिन रिहायशी मकान की छत ढहने की घटना सामने आने के बाद एक बार फिर दुर्ग के जर्जर मकानों ने खतरे की घंटी बजा दी है। करीब साढ़े चार सौ परिवारों व साढ़े तीन हजार लोगो को आश्रय देने वाले इस किले में जिम्मेदारों की लापरवाही का ही यह नतीजा है कि इसकी नींव खोखली हो रही है, जर्जर दीवारें दरकने लगी हैं और मरम्मत के इंतजार में जीर्ण-क्षीर्ण मकान ध्वस्त हो रहे हैं। यह बात किसी से छिपी नहीं है कि 99 बुर्जों वाले सैकड़ों वर्ष प्राचीन सोनार दुर्ग ने जैसलमेर शहर को राष्ट्रीय.अंतरराष्ट्रीय पटल पर विशिष्ट पहचान दिलाई है। निराशाजनक बात यह है कि देश और दुनिया में रिहायशी किले के तौर पर प्रसिद्धि प्राप्त कर चुके सोनार दुर्ग में पुरातत्व विभाग के नियमों तथा पिछले अर्से से जारी प्रशासन की सख्ती की वजह से दुर्ग वासियों की पीड़ा थमने का नाम ही नहीं ले रही। दुर्गवासियों की मानें तो किले में रहने वालों को मकान निर्माण संबंधी अनुमति मांगने पर पुरातत्व विभाग की ओर से इतने तरह के कागजात मांगे जाते हैं, जो वे पूरे नहीं कर पाते। लोगों को बुरी तरह से परेशान किया जा रहा है। कई साल बीत जाने के बाद भी अनुमति नहीं दी जा रही है। गत शुक्रवार को सोनार दुर्ग के कोठड़ी पाड़े में घटित हादसे को लेकर भी पीडि़त पक्ष की ओर से यही बात कही जा रही है। उधर, जिस आशियाने में सोनार दुर्ग के बाशिंदों ने जीवन का एक बड़ा हिस्सा बिताया, उसे बदहाल अवस्था में देखकर वे दु:खी है। वे घर को मजबूत बनाना चाहते हैं, लेकिन नियमों की जटिलता के चलते वे ऐसा नहीं कर पा रहे हैं। गौरतलब है कि सोनार किले व उसकी सौ मीटर की परिधि के क्षेत्र में वर्ष 1993 से भारतीय पुरातत्व व सर्वेक्षण विभाग ने निर्माण कार्य पर रोक लगा रखी है।
फैक्ट फाइल
-860 साल से ज्यादा पुराना है ऐतिहासिक सोनार किला
-450 घरों से अधिक मकान बने हुए है किले के भीतर
-02 वार्ड में विभक्त है सोनार दुर्ग नगरपरिषद क्षेत्र में
-99 बुुर्जों के कारण दुर्ग का आकर्षण आज भी जवां
दुर्ग में 62 मकान जर्जर
जैसलमेर. जैसलमेर स्थित ऐतिहासिक सोनार दुर्ग में 62 मकानों को जर्जर और क्षतिग्रस्त मानते हुए नगरपरिषद जैसलमेर की ओर से संबंधित मकान मालिकों को गत फरवरी माह में नोटिस जारी किए गए थे। नोटिस में कहा गया कि उनका मकान खतरनाक व व गिरने की स्थिति में है। जिससे ये मकान गिरकर आम राहगीर या पड़ोसियों को जान.माल का नुकसान पहुंचा सकता है। उधर, नगरपरिषद की ओर से जर्जर मकानों के संबंध में नोटिस जारी किए जाने के बीच हकीकत यह भी है कि खुद दुर्गवासी ही अपने घरों की जरूरी मरम्मत या क्षतिग्रस्त भाग के निर्माण के लिए अनुमति की मांग कर रहे हैं, लेकिन अनुमति नहीं मिल रही।
सोनार दुर्ग: तब और अब
वर्ष 1155 ईस्वी सन में बने व आठ शताब्दियों के गवाह इस धरोहर के मनलुभावन पीले पत्थरों के कारण जितना महत्व है, उतनी ही प्रसिद्धि है, इसके लिविंग फोर्ट होने की। माना जाता है कि यह विश्व का एकमात्र किला है जो महारावलों के सुख.सुविधा तक ही सीमित नहीं रहाए बल्कि जनता ने भी इसमें रहने का गौरव हासिल किया। नगरपालिका क्षेत्र के वार्ड संख्या 16 व 17 में विभक्त सोनार दुर्ग में करीब 450 परिवार निवास करते हैं है।
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