स्वास्थ्य सुविधाओं का टोटा लगा रहा नाम पर बट्टा
- विश्वस्तरीय पर्यटन स्थलों की फेहरिस्त में शामिल है जैसाण
- मेडिकल कॉलेज होने से आपातकाल में मिल सकेगी सुविधा
जैसलमेर
Updated: April 06, 2022 08:22:13 pm
जैसलमेर। बीते मंगलवार को जिला मुख्यालय से महज 17 किलोमीटर की दूरी पर पोलजी की डेयरी के पास करंट से हुए दुर्भाग्यपूर्ण हादसे में तीन जनों की मौके पर जान चली गई और पांच घायलों में एक को जवाहिर चिकित्सालय से प्राथमिक उपचार के बाद जोधपुर रेफर किया गया। वजह इतनी भर कि, वह घायल बुरी तरह से झुलस गया और उसके संपूर्ण इलाज की व्यवस्था जैसलमेर में सरकारी या किसी निजी अस्पताल में नहीं की जा सकती थी। आपातकालीन व्यवस्थाओं की यही दिक्कत पिछले दशकों से जैसलमेर में जब-तब विकट तौर पर देखने में आ रही है। अगर अब भी समय रहते मेडिकल कॉलेज की स्थापना कर दी जाए तो आने वाले सालों में इस तरह की बेबसी का सामना करने से बचा जा सकता है। वहीं जैसलमेर में पर्यटन नगरी है। जहां पिछले दो साल को छोडकऱ वर्ष पर्यंत लाखों की संख्या में देशी-विदेशी सैलानी आते रहे हैं। अब चूंकि कोरोनाकाल समाप्त प्राय: है तथा अंतरराष्ट्रीय उड़ानों को भी केंद्र सरकार से इजाजत मिल गई है। ऐसे में आगामी पर्यटन सीजन में घरेलू के साथ विदेशी सैलानी भी एक बार फिर से बम्पर तादाद में आने तय माने जा रहे हैं। पर्यटकों के साथ भी जब-तब गंभीर किस्म के हादसे होते रहते हैं। विकसित स्वास्थ्य सुविधाएं नहीं होने से जैसलमेर से उन्हें भी जोधपुर रेफर करना मजबूरी बन जाता है।
चाहकर भी बस नहीं पाते
जैसलमेर के कई मूल निवासी नौकरी या व्यापार के सिलसिले में बाहरी प्रदेशों में रहे हैं। उन्हें हमेशा इस प्यारे शहर अथवा अपने ग्रामीण परिवेश की याद सताती है और वे पारिवारिक जिम्मेदारियों से निवृत्त होने के बाद जीवन की सांध्य बेला में इस धोरां धरती पर आकर रहना चाहते हैं लेकिन यहां मेडिकल संबंधी सुविधाएं नहीं होने से चाहकर भी रह नहीं पाते। उनका कहना होता है कि वृद्धावस्था में स्वास्थ्य संबंधी जटिलताएं बढ़ जाने पर उन्हें यहां रहना सुरक्षित व सुविधाजनक नहीं लगता। यह कारण यहां सरकारी कार्मिकों व अधिकारियों के बड़ी संख्या में रहने वाले रिक्त पदों के मुख्य वजहों में से भी एक है। कई कार्मिकों के किसी न किसी पारिवारिक सदस्य को नियमित चिकित्सकीय परामर्श व उपचार की आवश्यकता रहती है। ऐसे में वे जितना हो सके, जैसलमेर जैसे स्थान पर स्थानांतरण हो जाने पर उसे टालने में जुट जाते हैं।
ऐनवक्त पर भेजा जाता है बाहर
जैसलमेर के चिकित्सकीय ढांचे की एक बड़ी शिकायत, किसी भी तरह के उपचार में ऐनवक्त पर रेफर किए जाने से जुड़ी है। यहां तक कि प्रसव के केस में किसी तरह की जटिलता आते ही कई बार सरकारी व निजी चिकित्सक जोधपुर जाने की सलाह संबंधित परिवार को दे डालते हैं। यह सलाह उनके लिए आर्थिक, शारीरिक और मानसिक स्तर पर एक साथ यंत्रणा प्रदान करने वाली साबित हो जाती है। हालांकि प्रतिवर्ष हजारों की तादाद में महिलाओं के प्रसव शहर ही नहीं ग्रामीण इलाकों में होते हैं लेकिन वे अमूमन सामान्य किस्म के ही होते हैं। जटिलता पेश आने पर मशीनरी से लेकर विशेषज्ञता के अभाव में रेफर का दंश झेलना पड़ता रहा है। जैसलमेर में ही अगर मेडिकल कॉलेज की स्थापना हो जाए तो इस बुरी बला से छुटकारा मिलने में देरी नहीं लगेगी।

स्वास्थ्य सुविधाओं का टोटा लगा रहा नाम पर बट्टा
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