scriptEarly sowing was done in good rains during the monsoon period, now sun | मानसून काल में अच्छी बारिश में कर दी जल्दी बुवाई, अब धूप कर रही नुकसान | Patrika News

मानसून काल में अच्छी बारिश में कर दी जल्दी बुवाई, अब धूप कर रही नुकसान

locationजैसलमेरPublished: Nov 19, 2022 07:55:07 pm

Submitted by:

Deepak Vyas

-नवम्बर में भी आग उगल रहा अम्बर तो धुंधली हुई सर्दी की चमक भी
-विगत तीन वर्षों से सिमट रही सर्दी, बदले मौसम से फसलों पर संकट

 

मानसून काल में अच्छी बारिश में कर दी जल्दी बुवाई, अब धूप कर रही नुकसान
मानसून काल में अच्छी बारिश में कर दी जल्दी बुवाई, अब धूप कर रही नुकसान

जैसलमेर. वे दिन बीत गए जब दीपावली के बाद से सरहद से सटे जैसाण में जाड़े की जकडऩ शुरू हो जाती थी। दिसंबर महीने का आगाज कुछ दिनों में होने को है, लेकिन सर्दी का आगाज नहीं हुआ है। बदले मौसम तंत्र के असर का प्रतिकूल असर फसलों पर पडऩे की चेतावनी भी मौसम विशेषज्ञों ने दी है। सबसे ज्यादा खतरा जीरे व सरसों को लेकर है। गौरतलब है कि विगत दिनों औसत से ज्यादा वर्षा होने से किसानों ने जीरे की बुवाई जल्दी तो कर दी, लेकिन इन दिनों फसलों को ठंडक की जरूरत होने के कारण बदला मौसम चक्र किसानों को डरा रहा है। गौरतलब है कि देश-दुनिया में ग्लोबल वार्मिंग का असर बना हुुआ है, जिसके प्रभाव से सरहदी जैसलमेर जिला भी अछूता नहीं है। इन दिनों नवंबर महीने में मौसम का अनुमान इसी से लगाया जा सकता है कि हर दिन अधिकतम तापमान 30 डिग्री के पार जा रहा है। यही नहीं रात को भी न्यूनतम तापमान डिग्री के आसपास ही झूल रहा है। ऐसे में गरम ऊनी कपड़े पहनने की जरूरत अभी तक कम ही महसूस हो रही है। जानकारों की मानें तो जैसलमेर में दिसम्बर महीने के पहले सप्ताह और कई बार दूसरे पखवाड़े में सर्दी चमक सकती है। विगत वर्षों में दिवाली के साथ ही शीतकाल का आगाज मान लिया जाता था। इस बार दीपावली बीतने के करीब एक माह बीत जाने के बाद भी सर्द हवाओं व कड़ाके की सर्दी का इंतजार अब तक इंतजार ही बना हुआ है।
..... तो होगा किसानों को नुकसान
जलवायु परिवर्तन के चलते जिले के किसानों को फसलों के खराबे के संकट का सामना भी करना पड़ रहा है। हालांकि मौसम तंत्र में इसी बदलाव के कारण मरुस्थलीय जैसलमेर जिला सहित समूचे पश्चिमी राजस्थान में गत मानसून काल में औसत से कहीं अधिक वर्षा हुई थी। तब जिले के किसानों ने जीरे की बुवाई जल्दी कर दी। अब जीरे की फसल को दिन के समय ठंडक चाहिए, तब तेज धूप से उसे नुकसान हो रहा है। कमोबेश यही स्थितियां सरसों की फसल की भी हैं। ज्यादा धूप के कारण सरसों में आरामक्खी का प्रकोप देखा जा रहा है। जानकारों की मानें तो आने वाले दिनों में तापमान में कमी नहीं आई तो सरसों की फसल को नुकसान काफी बढ़ जाएगा।
तीन वर्षों से यही कहानी: आंकड़ों की जुबानी
वर्ष 2020
नवंबर अधिकतम न्यूनतम
13 30.5 14.8
14. 32.5 15.8
15. 29.1 17.2
16. 25.0 12.0
17. 24.0 13.0
18 25 .3 11.8
वर्ष 2021 :
नवंबर अधिकतम न्यूनतम
13 32.5 14.9
14. 32.0 15.3
15. 31.6 14.4.
16. 30.2 13.3
17. 28.8 12.8
18 27.9 11.3
वर्ष 2022 :
13 33.8 16.7
14. 33.0 17.5
15. 26.2 15.0
16. 30.1 13.8
17. 30.6 14.8
18 32.2 15.8
एक्सपर्ट व्यू: जलवायु परिवर्तन जिम्मेदार
कृषि विज्ञान केन्द्र के मौसम वैज्ञानिक अतुल गालव बताते हैं कि नवम्बर का दूसरा पखवाड़ा शुरू हो गया और इस समय भी दिन का तापमान 30-31 डिग्री तक पहुंच रहा है जबकि पहले के वर्षों में इस दौरान तापमान 25-26 डिग्री तक आ जाता था। यह मुख्य रूप से जलवायु परिवर्तन के कारण हो रहा है। इस बदलाव से सर्दियों के दिन निरंतर कम होते जा रहे हैं। कुछ दिन पहले पश्चिमी विक्षोभ के कारण दिन में ठंडक बढ़ी थी। उसका असर खत्म होने के बाद फिर से दिन गर्म हो गए।
- अतुल गालव, मौसम वैज्ञानिक, कृषि विज्ञान केंद्र जैसलमेर

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