सायरन मौन, ऑक्सीजन सिलैंडर भी नहीं जानकारों की माने तो एम्बुलेंस में ना तो सायरन है और ना ही आपातकालीन स्थिति में इसमें ऑक्सीजन सिलेण्डर ही लगा है। ऐसे में यह एम्बुलेंस सुविधाहीन हो गई है। मोहनगढ़ में हादसे का शिकार हुई 108 एंबुलेंस आखिर पांच माह बाद सोमवार को लौट आई। लेकिन इसका हॉर्न और सायरन अभी तक मौन हीं है। वहीं अतिआवश्यक ऑक्सीजन का सिलैंडर भी गायब है।
गौरतलब है कि यहां लम्बे समय से एम्बुलेंस सुविधा नहीं होने से लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा था। इसको लेकर ‘राजस्थान पत्रिका’ में समय समय पर समाचार प्रकाशित किए। 9 दिसम्बर के अंक में ‘दुर्घटना के बाद मरम्मत के लिए गई एम्बूलेन्स पांच माह बाद भी नहीं लौटी’, 17 दिसम्बर को ‘मोहनगढ़ में नहीं मिलती 108 एम्बूलेन्स सेवा, ग्रामीण परेशान’ शीर्षक से समाचार प्रकाशित किए। इसके बाद अब मोहनगढ़ को 108 एम्बुलेंस सुविधा उपलब्ध करवाई गई। इससे से ग्रामीणों को काफी राहत मिली।
गौरतलब है कि यहां लम्बे समय से एम्बुलेंस सुविधा नहीं होने से लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा था। इसको लेकर ‘राजस्थान पत्रिका’ में समय समय पर समाचार प्रकाशित किए। 9 दिसम्बर के अंक में ‘दुर्घटना के बाद मरम्मत के लिए गई एम्बूलेन्स पांच माह बाद भी नहीं लौटी’, 17 दिसम्बर को ‘मोहनगढ़ में नहीं मिलती 108 एम्बूलेन्स सेवा, ग्रामीण परेशान’ शीर्षक से समाचार प्रकाशित किए। इसके बाद अब मोहनगढ़ को 108 एम्बुलेंस सुविधा उपलब्ध करवाई गई। इससे से ग्रामीणों को काफी राहत मिली।
मोहनगढ़ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र से मरीज को लेकर 108 एम्बुलेन्स 26 जुलाई की रात को जैसलमेर के लिए रवाना हुई। वहां से लौटते वक्त काणोद व हमीरा के बीच सडक़ पर आए ऊंट को बचाने के चक्कर में असंतुलित होकर पलट गई थी। अगले ही दिन इस एम्बुलेन्स को मरम्मत के लिए भेजा गया। इसके बाद जिम्मेदार इस एंबुलेंस को भुला ही चुके थे। ‘पत्रिका’ में लगातार समाचार प्रकाशित होने के बाद एक जनवरी मोहनगढ़ में फिर 108 एम्बुलेन्स सेवा मिल गई।
एंबुलेंस में खराब हॉर्न व सायरन तथा ऑक्सीजन सिलैण्डर नहीं होने के चलते मरीजों को एमरजेन्सी सुविधाएं मिलना मुश्किल है।