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100 वर्ष तक रुठी ‘लक्ष्मी’ का अब जैसाण पर ‘आशीर्वाद’

locationजैसलमेरPublished: Nov 14, 2020 03:27:27 pm

Submitted by:

Deepak Vyas

-तब की ‘काली रातÓ अब ‘दिवालीÓ की जगमगाहट में तब्दील-पर्यटन के साथ खेती-किसानी व भूगर्भीय सम्पदा से अर्थव्यवस्था को मिला सहारा

100 वर्ष तक रुठी 'लक्ष्मी' का अब जैसाण पर 'आशीर्वाद'

100 वर्ष तक रुठी ‘लक्ष्मी’ का अब जैसाण पर ‘आशीर्वाद’


जैसलमेर. धोरों की धरती पर तो बारह मास ही दिवाली है। विगत वर्षों में यहां लक्ष्मी की कृपा से जैसाण धन-धान्य से भरपूर हो गया है। ‘धनलक्ष्मीÓ की कृपा से जैसलमेर अपने सदियों पुराने वैभवशाली युग को पा चुका है। प्रकृति की ओर से दिए गए उपहारों से करीब 100 वर्ष पहले की ‘काली रातÓ में ‘दिवालीÓ की जगमगाहटÓ आ चुकी है। भू-जल आधारित खेती, बेजोड़ स्थापत्य शिल्प वाले जैसलमेर के लिए पर्यटन, पत्थर उद्योग तथा पवन ऊर्जा से जुड़े व्यवसायों में धनलक्ष्मी ने कृपा बरसा रखी है। विशिष्ट स्थापत्य शिल्प ने देश-दुनिया भर के सैलानियों को जैसलमेर आने को मजबूर कर दिया है, जिससे पर्यटन का टर्न ओवर 1200 करोड़ वार्षिक तक पहुंच गया हैं, जो कभी 50 लाख तक सीमित था।
जो लोग कभी रोजगार के लिए अपनी जमीन को छोड़ कर बाहर चले गए थे, वे भी अब घरों में लौट आए हैं और यहां आकर पर्यटन, प्रस्तर और पवन और सौर ऊर्जा उत्पादन जैसे उद्योगों से न केवल जुड़े बल्कि यहां बस भी गए। सरहदी जिले में हवा की ताकत का अनुमान इसी से लगाया जा सकता है कि करीब 3000 पवन चक्कियां बिजली का उत्पादन कर रही हैं। यहां की भीषण गर्मी भी सौर ऊर्जा उत्पादन में काफी सहायक साबित हो रही है।
उधर, सुनहरे पत्थरों की प्र्रचुरता ने जैसलमेर को स्वर्णनगरी के तौर पर मशहूर किया। इसी पत्थर से स्थानीय तथा बाहरी लोगों को वार्षिक 100 करोड़ का व्यवसाय भी मिल रहा है। जैसलमेर के रिको औद्योगिक क्षेत्र में 25 गैंगसा इकाइयां व 100 ब्लॉक कटर इकाइयां हैं। जेठवाई में 250 ब्लॉक कटर संचालित किए जा रहे हैं। यहां सोनू गांव से निकलने वाली लाइम स्टोन की खदान की ढुलाई कर जैसलमेर का रेलवे स्टेशन पूरे जोधपुर मंडल के कमाऊ पूत बन रेलवे स्टेशनों की फेहरिस्त में शामिल हो गया।
….तब ऐसा था जैसाण
मध्ययुग में जैसलमेर ‘सिल्क रुटÓ के रूप में मशहूर था, क्योंकि यहीं से होकर तत्कालीन भारत का बेशकीमती सामान मध्य-पूर्व एशियाई मुल्कों तक पहुंचता था।
-प्रतिकूल परिस्थितियां होने से सिल्क रुट की उसकी पहचान बदलकर अकाल व सूखे के स्थायी डेरे के तौर पर होने लगी।
-करीब चार दशक पूर्व सरहद के मरुस्थलीय क्षेत्रों में तेल और गैस की संभावनाओं की ओर केन्द्र सरकार का ध्यान गया।
-इसी समयावधि में पोकरण में पहली बार परमाणु परीक्षण करवाए गए तो इसको निहारने के लिए विदेशी आना शुरू हुए।
्र-इंदिरा गांधी नहर के आगमन और नलकूप आधारित खेतीबाड़ी से किसानों का भाग्योदय हुआ।
ऊंचाइयां छू रहा पर्यटन
बिना चिमनी के उपयोग वाला पर्यटन उद्योग अब अपरिमित ऊंचाइयों को छू रहा है। देशी-विदेशी पर्यटक बड़ी संख्या में पहुंच रहे हंैं। वर्ष 1970 के दशक के आखिर से प्रारंभ हुए पर्यटन व्यवसाय का टर्न ओवर 1980 में 50 लाख रुपए का था और आज इसका आंकड़ा 1200 करोड़ तक पहुंच गया है। जैसलमेर में सैकड़ों होटलें, सम और खुहड़ी में 100 से ज्यादा रिसोट्र्स व कैम्प्स, 300 से ज्यादा रेस्टोरेंट्स, दर्जनों ट्रेवल एजेंसियां, सैकड़ों की तादाद में हैंडीक्राफ्ट संचालित हो रहे हैं। परोक्ष रुप से भी हजारों हाथों को रोजगार मिल रहा है।
संभावनाएं अपार
जैसलमेर में विकास की अभी भी अपार संभावनाएं हैं। गत दशकों में क्षेत्र ने जो प्रगति की है, उसका लाभ मौजूदा समय में यहां के बाशिंदों को मिल रहा है। पर्यटन नगरी के तौर पर मशहूर स्वर्णनगरी को निखारने व यहां विकास की गति बढ़ाने के प्रयास करेंगे।
-हरिवल्लभ कल्ला, सभापति, नगरपरिषद, जैसलमेर

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