ऊंचाइयां छू रहा पर्यटन
बिना चिमनी के उपयोग वाला पर्यटन उद्योग अब अपरिमित ऊंचाइयों को छू रहा है। देशी-विदेशी पर्यटक बड़ी संख्या में पहुंच रहे हंैं। वर्ष 1970 के दशक के आखिर से प्रारंभ हुए पर्यटन व्यवसाय का टर्न ओवर 1980 में 50 लाख रुपए का था और आज इसका आंकड़ा 1200 करोड़ तक पहुंच गया है। जैसलमेर में सैकड़ों होटलें, सम और खुहड़ी में 100 से ज्यादा रिसोट्र्स व कैम्प्स, 300 से ज्यादा रेस्टोरेंट्स, दर्जनों ट्रेवल एजेंसियां, सैकड़ों की तादाद में हैंडीक्राफ्ट संचालित हो रहे हैं। परोक्ष रुप से भी हजारों हाथों को रोजगार मिल रहा है।
बिना चिमनी के उपयोग वाला पर्यटन उद्योग अब अपरिमित ऊंचाइयों को छू रहा है। देशी-विदेशी पर्यटक बड़ी संख्या में पहुंच रहे हंैं। वर्ष 1970 के दशक के आखिर से प्रारंभ हुए पर्यटन व्यवसाय का टर्न ओवर 1980 में 50 लाख रुपए का था और आज इसका आंकड़ा 1200 करोड़ तक पहुंच गया है। जैसलमेर में सैकड़ों होटलें, सम और खुहड़ी में 100 से ज्यादा रिसोट्र्स व कैम्प्स, 300 से ज्यादा रेस्टोरेंट्स, दर्जनों ट्रेवल एजेंसियां, सैकड़ों की तादाद में हैंडीक्राफ्ट संचालित हो रहे हैं। परोक्ष रुप से भी हजारों हाथों को रोजगार मिल रहा है।
संभावनाएं अपार
जैसलमेर में विकास की अभी भी अपार संभावनाएं हैं। गत दशकों में क्षेत्र ने जो प्रगति की है, उसका लाभ मौजूदा समय में यहां के बाशिंदों को मिल रहा है। पर्यटन नगरी के तौर पर मशहूर स्वर्णनगरी को निखारने व यहां विकास की गति बढ़ाने के प्रयास करेंगे।
-हरिवल्लभ कल्ला, सभापति, नगरपरिषद, जैसलमेर
जैसलमेर में विकास की अभी भी अपार संभावनाएं हैं। गत दशकों में क्षेत्र ने जो प्रगति की है, उसका लाभ मौजूदा समय में यहां के बाशिंदों को मिल रहा है। पर्यटन नगरी के तौर पर मशहूर स्वर्णनगरी को निखारने व यहां विकास की गति बढ़ाने के प्रयास करेंगे।
-हरिवल्लभ कल्ला, सभापति, नगरपरिषद, जैसलमेर