scriptलगातार दूसरे साल सैर सपाटे से महरुम जैसाणवासी | For the second year in a row, the residents of Jaisan were deprived of | Patrika News

लगातार दूसरे साल सैर सपाटे से महरुम जैसाणवासी

locationजैसलमेरPublished: Jun 24, 2021 08:34:14 am

Submitted by:

Deepak Vyas

पहाड़ बुला रहे पर जा नहीं पा रहे….-दो दशक से गर्मियों में घूमने का बड़ा चलन बना

लगातार दूसरे साल सैर सपाटे से महरुम जैसाणवासी

लगातार दूसरे साल सैर सपाटे से महरुम जैसाणवासी

जैसलमेर. सीमांत शहर जैसलमेर में इन दिनों तेज गर्मी का दौर चल रहा है और लगातार दूसरा साल है, जब यहां के बाशिंदे पहाड़ी राज्यों सहित अन्य जगहों पर घूमने नहीं जा पा रहे हैं। पिछले साल की तरह इस साल भी कोरोना पर्यटन प्रिय लोगों की राह का रोड़ा बन गया। अब हालांकि कोरोना से उत्पन्न हालात शांत हुए हैं, लेकिन कई पेचीदगियां बरकरार हैं। देश के अलग-अलग राज्यों में पर्यटकों के आगमन को लेकर नीतियों में समानता नहीं हैं और आवाजाही के साधन भी पूरे तौर पर नहीं खुले हैं। इसके चलते जैसलमेर के वे लोग बहुत मायूस हैंए जो साल में एक अदद बार परिवार या मित्रों के साथ अवश्य बाहर घूमने जाया करते हैं।
धार्मिक पर्यटन ज्यादा पसंद
जैसलमेर के बाशिंदों को आमतौर पर गर्मियों में हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, जम्मू कश्मीर, दक्षिण भारत के पर्वतीय स्थल, गोवा, गुजरात आदि घूमना पसंद है। गर्मियों में आमतौर पर लोग उत्तराखंड में बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री के चार धाम, वैष्णो देवी, द्वारिका, सोमनाथ जाते रहे हैं। इसके अलावा राजस्थान में ही नाथद्वारा उनके लिए बहुत पसंदीदा जगह है। राज्य में अभी तक धार्मिक स्थलों को खोला नहीं गया है और यही हालत पर्वतीय स्थलों पर अवस्थित मंदिरों की भी है। साल 2020 में भी लोग बाहर नहीं निकल पाए। उससे पहले के वर्षों में सैकड़ों नहीं हजारों की तादाद में जैसलमेरवासी मई.जून में भ्रमण पर निकलते रहे हैं।
पर्यटन प्रिय लोग मायूस
स्वर्णनगरी में वर्ष पर्यन्त देशी-विदेशी सैलानियों के आगमन की वजह से यहां के स्थानीय बाशिंदों में भी पर्यटन की चाह विगत दो दशकों में जगी है। उन्होंने देश-दुनिया घूमने का शौक खूब पूरा किया। इसमें लम्बी दूरी की रानीखेत एक्सप्रेसए साप्ताहिक हावड़ा और मुम्बई आदि ट्रेनों के संचालन व हवाई सेवा की शुरुआत ने उनका खूब साथ दिया। अब दो साल से वे बाहर नहीं जा पा रहे हैं। इसे लेकर उनकी मायूसी आपसी बातचीत से लेकर सोशल मीडिया पर खूब झलकती है। जहां वे पूर्व में की गई यात्राओं से संबंधित फोटोग्राफ अपलोड कर पुराने दिनों को याद करते हैं। उनकी दिक्कत यह है कि आगामी दिनों में बच्चों की स्कूलें या तो खुल जाएंगी अथवा ऑनलाइन क्लासेज शुरू होंगी। इसके बाद कोरोना की तीसरी लहर की आशंका भी बनी हुई है। जिससे फिर हालात बिगड़ सकते हैं।
विवश हैं हम
हम परिवारजन गर्मियों में 10-12 दिन के लिए हर साल घूमने जाते रहे हैं, लेकिन दो साल से यह मुमकिन नहीं हो रहा। स्थितियां सामान्य नहीं होने के कारण मजबूरी है।
-प्रवीण कुमार, स्थानीय निवासी
पूछताछ भी नहीं आ रही
कोरोना ने पर्यटन क्षेत्र को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाया है। इन दिनों स्थानीय लोग कहीं जाने के बारे में पूछताछ तक नहीं कर रहे। उन्हें डर है कि कोरोना की गाइडलाइन्स उनके भ्रमण में खलल न डाल दे।
-अखिल भाटिया, ट्रेवल एजेंट
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