जैसलमेर-म्याजलार सडक़ विस्तारीकरण पर वन विभाग को आपत्ति !आखिर ऐसा क्यों? जानिए पूरी खबर
-भारतमाला परियोजना के तहत होना है कार्य
-डीएनपी क्षेत्र में कार्य को लेकर जताया ऐतराज

जैसलमेर. केन्द्र सरकार की भारतमाला परियोजना के तहत जैसलमेर से म्याजलार तक करवाए जाने वाले कार्य पर वन विभाग ने आपत्ति जताई है। वन विभाग ने वन्यजीवों की सुरक्षा को खतरा बताते हुए इस कार्य पर शुरुआती तौर पर ऐतराज जता दिया है। जानकारी के अनुसार भारतमाला परियोजना के तहत देश भर के सीमावर्ती इलाकों में नई सडक़ों के निर्माण से लेकर जहां पहले से एकल सडक़ है, उसके दोहरीकरण के कार्य करवाए जा रहे हैं। इसके अंतर्गत जैसलमेर जिले के सीमावर्ती क्षेत्रों में भी सडक़ निर्माण करवाया जाना है, जिसकी विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) भी तैयार हो चुकी है। जैसलमेर से म्याजलार तक सडक़ कार्यको लेकर वन विभाग ने भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआइ) के प्रस्तावित सडक़ कार्य पर आपत्तियां जता दी हैं। जिसके बाद इस सडक़ कार्य को धरातल पर उतरने में रुकावट पैदा हो गई है। जानकारी के अनुसार वन विभाग ने सडक़ कार्य डीएनपी क्षेत्र में आया होने से गोडावण समेत वन्यजीवों की सुरक्षा को लेकर आशंकाएं जताई हैं। जानकारी के अनुसार वन विभाग ने जैसलमेर से म्याजलार तक सडक़ कार्य का मौजूदा मार्ग से अलग राह निकालते हुए करवाने का सुझाव दिया है। गौरतलब है कि इस निर्णय से 50 हजार लोग हो रहे प्रभावित हो रहे हैं। करीब जैसलमेर से म्याजलार के बीच 100 किलोमीटर की दूरी है। इसी तरह डीएनपी क्षेत्र भी 3162 किमी में फैला हुआ है।
इंतजार हो सकता है लम्बा
डीएनपी क्षेत्र में आने की वजह से जैसलमेर से 100 किलोमीटर की दूरी पर आए म्याजलार तथा इस मार्ग में आने वाले खुहड़ी जैसे पर्यटन महत्व वाले गांव से लेकर बड़ी आबादी वाले धऊआ, पिथला, सिपला, बरना, फुलिया, केसरसिंह का तला गांव और दर्जनों ढाणियों के बाशिंदे पिछले कई दशकों से विकास की बुनियादी सुविधाओं को तरस रहे हैं। इनमें दोहरा सडक़ मार्ग भी शामिल है।
यहां निराशा भी
केंद्र सरकार की भारतमाला परियोजना के निर्माण तथा इसमें उक्त मार्ग के सम्मिलित होने से उनकी उम्मीदों को पंख लगे थे, लेकिन वन विभाग के ऐतराज जताए जाने से उनकी उम्मीदों को झटका लगा है। उधर, सम के समान रेतीले धोरे होने के बावजूद पर्यटन के क्षेत्र में पिछड़ गए खुहड़ी सहित जैसलमेर के पर्यटन व्यवसायियों के साथ सैलानियों को भी निराशा का सामना करना पड़ सकता है। इसी तरह जैसलमेर के सिविल एयरपोर्ट जाने वाले मार्ग का जीर्णोद्धार भी इससे अटक सकता है।
इधर, सीमाजन ने जताया विरोध
सीमाजन कल्याण समिति की जैसलमेर इकाई ने जैसलमेर-म्याजलार सडक़ कार्य पर वन विभाग के ऐतराज का विरोध किया है। समिति के जिलामंत्री शरद व्यास बताते हैं कि सीमावर्ती क्षेत्र और उसकी आबादी देष की सामरिक सम्पत्ति है। उस तक सडक़, पानी, बिजली, शिक्षा, चिकित्सा जैसी सुविधाएं उपलब्ध करवाने में आ रही अड़चन चिंताजनक हैं। व्यास के अनुसार भारतमाला सडक़ प्रोजेक्ट सीमा सुरक्षा का कवच है।इस पर अव्यावहारिक कारणों से आपत्ति जताना उचित नहीं है क्योंकि सीमा सुरक्ष् ाा और नागरिक सुविधाओं से बढकऱ कुछ नहीं हो सकता है।
मुख्यालय को अवगत करवाया
जैसलमेर से म्याजलार तक के मार्ग को नया नहीं बनवाया जा रहा है बल्कि पहले से बनी सडक़ को चौड़ी करवाने का प्रस्ताव है। वन विभाग की आपत्तियों से कार्य में जो पेंच आया है, इसके बारे में मुख्यालय स्तर पर अवगत करवाया गया है। वैसे, वन विभाग अगर कार्य को लेकर कोई सुझाव दे तो इसके अनुसार डीपीआर में संशोधन करवाया जा सकता है।
-केआर पंवार, परियोजना निदेशक, भारतमाला प्रोजेक्ट, जैसलमेर
वस्तुस्थिति की जानकारी दी
सडक़ कार्य के संबंध में अध्ययन कर अपनी रिपोर्ट हमने भिजवाई थी। जिसमें वस्तुस्थिति की जानकारी दी गई। इस पर निर्णय प्रदेश स्तरीय कमेटी करती है।
-अशोक मेहरिया, डीएफओ, डीएनपी, जैसलमेर
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