शौक से शोक तक: तंबाकू की गिरफ्त में सरहदी जिले की एक-तिहाई आबादी
- संदर्भ : आज विश्व तम्बाकू निषेध दिवस
- तलबगारों में महिलाएं भी पीछे नहीं, जिम्मेदारों के दावों से जुदा है हकीकत
जैसलमेर
Updated: May 30, 2022 07:47:48 pm
जैसलमेर. हर साल की भांति देश-दुनिया की तरह 31 मई को सीमावर्ती जैसलमेर जिले में विश्व तंबाकू निषेध दिवस मनाया जा रहा है। इस मौके पर सरकारी महकमों विशेषकर चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की ओर से प्रचार कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा। तंबाकू के उपयोग को सीमित करते हुए उसे खत्म करने की दिशा में कदम उठाने की बातें भी कही जाएंगी लेकिन सीमावर्ती जैसलमेर जिले की हकीकत इससे एकदम जुदा नजर आती है। हालत यह है कि किसी समय तंबाकू का सेवन युवा और बड़ी उम्र के पुरुष ही अधिकांशत: करते नजर आते थे और अब यह दायरा फैलते हुए महिलाओं व कम उम्र के बच्चों तक को अपनी चपेट में ले चुका है। एक अनुमान के मुताबिक जिले की लगभग एक-तिहाई आबादी किसी न किसी रूप में तंबाकू का सेवन करने की आदी हो चली है। यह आंकड़ा करीब ढाई लाख के पार बैठता है। स्वास्थ्य के लिए साक्षात् जहर तंबाकू की पहुंच का हाल यह है कि यह अब केवल शहरी क्षेत्र तक सीमित नहीं रह गया है बल्कि दूर-दराज के गांव-ढाणियों तथा नहरी क्षेत्र की चक आबादियों तक हो गई है। जहां तक सडक़ नहीं पहुंची और दूर-दूर तक खाने का सामान नहीं मिलता, ऐसी जगहों पर भी तंबाकू के उत्पाद चाहे वह सिगरेट-बीड़ी, जर्दा, गुटखा, आदि उपलब्ध हो जाते हैं।
कोटपा अधिनियम भी निष्प्रभावी
वर्तमान में जैसलमेर के तमाम बड़े विद्यालयों व कॉलेजों से लेकर शैक्षणिक संस्थाओं के आसपास तंबाकू उत्पाद ठेलों, दुकानों, केबिनों आदि में बिकते देखे जा सकते हैं तकि सिगरेट एंड अदर टोबेको प्रोडक्ट अधिनियम (कोटपा) अधिनियम 2003 की धारा 6 (क) के तहत 18 वर्ष से कम आयु के नाबालिगों को तंबाकू उत्पादों की बिक्री पर प्रतिबंध है। साथ ही दुकानों पर इस आशय के बोर्ड भी प्रदर्शित करने आवश्यक है क ियहां तंबाकू उत्पाद की बिक्री 18 वर्ष से कम उम्र वालों को नहीं की जाती है। ऐसे ही धारा 6 (ख) के तहत शिक्षा संस्थान के 100 यार्ड के भीतर तंबाकू उत्पादों की बिक्री दंडनीय अपराध है। हालांकि कभी कभार कोटपा अधिनियम के तहत स्वास्थ्य विभाग जिले में प्रतीकात्मक कार्रवाइयां भी करता दिखाई देता है लेकिन इसका ज्यादा असर नहीं पड़ रहा। आज भी कोटपा अधिनियम की धज्जियां जहां-तहां हर कहीं उड़ती दिखाई दे रही है।
किशोर भी तलबगार
सबसे ज्यादा चिंतनीय 14-15 साल की कच्ची उम्र के किशोर बालकों में तंबाकू की लत का प्रबल होना है। इनमें स्कूल जाने वालों से लेकर बेसहारा और निराश्रित दोनों तबकों के बच्चे शामिल हैं। यह ऐसी उम्र है, जिसमें तंबाकू का सेवन शुरू करने की प्रवृत्ति सबसे ज्यादा दिखाई देती है। एक अध्ययन के मुताबिक अगर किसी बालक को किशोर अवस्था से लेकर युवावस्था में पहुंचने तक तंबाकू से दूर रख दिया जाए तो बाद में उसके तलबगार होने के आसार बहुत कम रह जाते हैं।
हकीकत यह भी...
-तंबाकू के बढ़ते प्रचलन की वजह से सीमांत जैसलमेर जिले में कैंसर तथा अन्य कई प्रकार के रोग इंसानी जिस्म में प्रवेश कर रहे हैं।
-विगत वर्षों के दौरान अकेले जैसलमेर शहर में ही 100 से ज्यादा स्त्री-पुरुष कैंसर की जद में आकर जान गंवा चुके हैं।
-बड़ी संख्या तंबाकू का सेवन करने वालों की शामिल रही है। इसके अलावा जहां धूम्रपान से फेफड़ों पर सीधा असर पड़ता है।
-कोरोना महामारी के दौरान तंबाकू व ध्रूमपान के तलबगारों के लिए सांसों का संकट खास तौर पर उठ खड़ा हुआ था क्योंकि कोरोना तब सीधा हमला फेफड़ों पर ही कर रहा था।
1987 में पहली बार ‘विश्व तंबाकू निषेध दिवस’
-प्रतिवर्ष 31 मई को दुनिया भर में ‘विश्व तंबाकू निषेध दिवस’ मनाया जाता है। इस मौके पर तंबाकू के खतरों के बारे में जागरूकता व प्रचार-प्रसार किया जाता है।
- तंबाकू का उपयोग किस तरह से शरीर को नुकसान पहुंचा सकता है, इसके बारे में तमाम जानकारियां इस दिन पर दी जाती हैं।
-विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, हर साल दुनिया भर में लगभग 80 लाख लोग तंबाकू के सेवन से होने वाले रोगों की वजह से मौत के मुंह में चले जाते हैं।
-इस वजह से इस दिन आमजन को तंबाकू के उपयोग के खतरों, तंबाकू कंपनियों के व्यवसाय प्रथाओं, डब्लूएचओ के प्लान आदि के बारे में लोगों को सूचना दी जाती है। -वैश्विक तंबाकू संकट और महामारी से होने वाली बीमारियों और मौतों के बढ़ते मामलों को देखते हुए ही साल 1987 में पहली बार ‘विश्व तंबाकू निषेध दिवस’ बनाया गया। -वर्ष 1987 में विश्व स्वास्थ्य सभा ने 7 अप्रैल को विश्व धूम्रपान निषेध दिवस मनाने का प्रस्ताव रखा था।
-उसके अगले साल संकल्प पारित किया गया, जिसमें 31 मई को विश्व तंबाकू निषेध दिवस के रूप में जारी किया गया।

शौक से शोक तक: तंबाकू की गिरफ्त में सरहदी जिले की एक-तिहाई आबादी
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