हस्तशिल्पियों और लोक कलाकारों मिला प्रोत्साहन-सम्बल
जैसलमेरPublished: Mar 02, 2021 08:29:48 pm
-गड़ीसर झील किनारे लगे मिनी बाजार से अभिभूत हुए कद्रदान
हस्तशिल्पियों और लोक कलाकारों मिला प्रोत्साहन-सम्बल
जैसलमेर. शहर के प्रमुख पर्यटन स्थल गड़ीसर झील के मुहाने सजे मिनी बाजार में विभिन्न स्थानों से आए हस्तशिल्पियों, हस्तकला विशेषज्ञों ने अपने क्षेत्र के हस्तशिल्प उत्पादों का दिग्दर्शन कराया। हस्तशिल्प के विभिन्न तरह के उत्पादों को लेकर जयपुर से आई मनीषा पाण्डेय का स्टॉल आकर्षण का केन्द्र रहा। जहां एमएसएमई से मान्यता जयपुरी सामान नाम से राजस्थानी कला का प्रदर्शन किया, जिसमें लाइव ब्लॉक प्रिन्टिंग खास आकर्षण जगाने वाली रही।
मरु महोत्सव में पहली बार अपनी कलाओंं व उत्पादों को लेकर आई मनीषा बताती हैं कि मौका देने के लिए वे मरु महोत्सव के जिला प्रभारी अशोक कुमारए जिला उद्योग केन्द्र के महाप्रबन्धक हरीश व्यास तथा राजस्थान पर्यटन विभाग की आभारी हैं। उन्होंने मौका देकर डाइंग, कशीदाकारी, हैंड प्रिंटिंग, गोटे का काम आदि मुख्य कार्यों में जुट कारीगरों को प्रोत्साहित किया। जयपुरी सामान नाम से उनके द्वारा कपड़ों की प्रिंटिंग, डिजाइन, ब्लॉक प्रिंटिंगए सिलाई का काम पिछले 8 वर्षों से किया जा रहा है। वे कहती हैं कि हमारी कोशिश है कि हैण्डीक्राफ्ट व्यापार को बढ़ावा मिलेए ताकि राजस्थान के हस्तशिल्पियों द्वारा निर्मित सामान देश.विदेश में पसंद किया जा सके और उनको प्रोत्साहन मिले।
कला और कलात्मक उत्पादों का संसार
गड़ीसर के मुहाने विभिन्न विधाओं के चितेरों, हस्तशिल्पियोंं और लोक कलाकारों का मिला.जुला संसार चार दिन तक कद्रदानों के लिए इन प्रवृत्तियों और सृजन को करीब से देखने को मिला। बाहर से आए सैलानियों ने इन्हें देखा और सराहा।
इस दौरान पोकरण की चित्रकार सुमन राठौड़ द्वारा स्थापित आर्ट कॉर्नर पर कैनवास व पेपर पर एक्रेलिक रंगों का संसार और विभिन्न चित्रकृतियां सैलानियों के लिए आकर्षण का केन्द्र रही। पोकरण के मृण कलाकारों द्वारा मिट्टी के बरतन व खिलौनेए रूपकिशोर सोनी की ओर से सिल्वर ज्वेलरी, चांदी की गणेश मूर्ति आदि मूर्तियों का सृजन, तुलछारामए दीपाराम, सगताराम व धूड़ाराम द्वारा हाथ से बनी हुई बरड़ीए पट्टू व शॉल आदि के स्टॉल पर महोत्सव में आए लोगों का तांता बंधा रहा। यहां मोहनलाल लुहार, सांगाराम, भवानी आदि की ओर से अलगोजा, मोरचंग, कांगसिया आदि का वादन करते हुए सांगीतिक प्रस्तुतियों को सुनने लोगों का जमघट लगा रहा। कठपुतली कलाकार विनोद भट्टए करसूल खान आदि ने कठपुतली द्वारा मरुस्थलीय लोक संस्कृति, परम्पराओं, रोचक कथानकों आदि का प्रदर्शन कर मन मोहा।