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Jaisalmer- हसन की आवाजाही से फिर उजागर हुए सीमा सुरक्षा के छिद्र

locationजैसलमेरPublished: Oct 11, 2017 10:22:21 am

Submitted by:

jitendra changani

– शिफ्टिंग सेंड ड्यून्स के मसले पर अब तक महज जुबानी जमा खर्च – 2018 तक सीमा को सील करने की चल रही कवायद

Jaisalmer patrika

Jaisalmer border news


जैसलमेर . जिले के सम क्षेत्र की सियालों की बस्ती के बाषिंदे के 27 साल पाकिस्तान में रहने के बाद तारबंदी पार कर छह माह पहले जैसलमेर पहुंचने के मामले ने सीमाओं की सुरक्षा के छिद्रों को एक बार फिर उजागर कर दिया है। सीमा सुरक्षा बल की ओर से जिले की पाकिस्तान से लगती लम्बी सीमाओं की चाक चौबंद सुरक्षा के दावे किए जाते हैं, लेकिन वास्तविकता यह है कि शाहगढ़ बल्ज क्षेत्र में करीब 32 किलोमीटर लम्बे सीमा क्षेत्र में शिफ्टिंग सेंड ड्यून्स की समस्या से अब तक पार नहीं पाया जा सका है।जबकि आज से ठीक एक वर्ष पहले जैसलमेर में केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में आयोजित उच्चस्तरीय बैठक में वर्ष 2018 तक पाकिस्तान से लगती पूरी सीमा को सील करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया था, जबकि इस एक वर्ष की अवधि में इस दिषा में अब तक कागजी प्रस्तावों से आगे नहीं बढ़ा जा सका है।इस संबंध में सीमा सुरक्षा बल के उच्चाधिकारियों से बातचीत करने का प्रयास किया गया, लेकिन वे उपलब्ध नहीं हुए।
प्रस्ताव हैं, प्रस्तावों का क्या
जानकारी के अनुसार शाहगढ़ बल्ज क्षेत्र आंधियों के कारण वहां की गई तारबंदी के 50 से 80 फीट ऊंचे रेत के टीलों में दब जाने की समस्या का निदान करने के लिए अब तक दो तरह के प्रस्तावों पर गंभीरता से आगे बढऩे का इरादा केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से जाहिर किया गया। इसमें से एक वहां सघन पौधरोपण कर रेत के टीलों का प्रसार रोकने तथा दूसरा अमेरिका-मैक्सिको तथा इजराइल की तरफ से अत्याधुनिक प्रणाली से फैंसिंग करने से संबंधित है। इस संबंध में मंत्रालय आखिर कब अंतिम निर्णय लेकर काम प्रारंभ करवाएगा, यह कोई नहीं जानता।
चुनौती बड़ी, प्रयास नाकाफी
शिफ्टिंग सेंडड्यून्स के चलते जिले की पूरी सीमा पर सुरक्षा व्यवस्था को पूर्ण नहीं माना जा सकता। कुछ वर्ष पहले सीमा के उस पार से दो बच्चे खेल-खेल में रेत में दबी तारबंदी को पार कर भारतीय क्षेत्र में पहुंच गए थे।उस समय भी इस इलाके में सीमा सुरक्षा पर सवाल खड़े हुए थे। तब सीमा सुरक्षा बल के जिम्मेदारों ने जल्द प्रभावी इंतजाम करने का भरोसा दिलाया। रेत के टीलों के सरकने से तारबंदी के दब जाने की विकट समस्या से निपटने के लिए कई बार विशेषज्ञों ने क्षेत्र का दौरा किया है। उनकी ओर से सुझाए जाने वाले उपायों पर अमल करने में संभवत: सरकारी स्तर पर बरती जाने वाली ढिलाई आड़े आ रही है। इसी तरह से विगत वर्षों के दौरान जिले के ऐसे सीमा क्षेत्र में भी सीमा के उस पार से घुसपैठिये आने में कामयाब हुए हैं, जहां शिफ्टिंग सेंडड्यून्स की समस्या नहीं है तथा तारबंदी पूरी तरह से साबूत है। यह मसला सीसुब की निगरानी व्यवस्था पर सवाल खड़े करता है।
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यह मुश्किलें भी आ रही पेश
सरहदी क्षेत्रों में आबादी विस्तार के चलते नए लोगों की आवाजाही पर निगरानी को लेकर सीसुब की दिक्कतें बढ़ गई हैं। सीमा के दोनों ओर के लोगों का एक समान रहन-सहन, भाषा, पहनावा होने और दोनों देशों के सीमाई निवासियों के बीच नजदीकी रिश्तेदारियां होने से घुसपैठियों को मिलने वाले आश्रय का पता लगाना कठिन हो जाता है। सीमावर्ती जिले की सीआईडी बीआई की बंद चौकियों को अब तक शुरू नहीं करवाने से खुफिया तंत्र कमजोर हुआ है।
फैक्ट फाइल –
– 464 किलामीटर लंबी है जैसलमेर जिले से लगती अंतरराष्ट्रीय सीमा
– 32 किलोमीटर सीमा क्षेत्र शिफ्टिंग सेंडड्यून्स की समस्या से ग्रस्त
– 2018 तक पूरी सीमा को सील करने का लक्ष्य

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