जैसलमेरPublished: Nov 08, 2022 07:44:10 pm
Deepak Vyas
- कई प्रजाति के गिद्धों ने डाला डेरा, फसलों में दवा के उपयोग से संकट
लाठी (जैसलमेर). करीब 10 वर्ष पूर्व क्षेत्र से गायब हुई हिमालयन ग्रिफॉन दुर्लभ प्रजाति के गिद्ध इस वर्ष पुन: नजर आए है। झुंड के रूप में पहुंचे इस प्रजाति के गिद्धों ने देगराय ओरण में डेरा डाला है और पर्यावरणप्रेमियों में खुशी नजर आई है। ओरण में अन्य प्रजाति के गिद्ध भी नजर आए है। पर्यावरणप्रेमी सुमेरसिंह सांवता ने बताया कि दुर्लभ प्रजाति के गिद्ध सर्द ऋतु में हिमालय से जैसलमेर पहुंचते है। ये गिद्ध अक्टूबर व नवंबर माह तक यहां पहुंचते है और फरवरी माह तक यहीं रहते है। हिमालयन ग्रिफॉन प्रजाति के गिद्ध ने 10 वर्षों के अंतराल के बाद पुन: जैसलमेर का रुख किया है। गत वर्ष इस प्रजाति के नाममात्र के कुछ गिद्ध दिखे थे, लेकिन इस वर्ष झुंड के रूप में ये गिद्ध यहां पहुंचे है। संकटग्रस्त प्रजाति के गिद्ध पर्यावरण को शुद्ध रखने में काफी मददगार होते है। मृत जानवरों का सेवन कर प्रदूषण फैलने से रोकते है तथा पर्यावरण शुद्ध रहता है।
हजारों किमी का सफर तय कर पहुंचते है जैसलमेर
पर्यावरणप्रेमी पार्थ जगाणी ने बताया कि हिमालयन ग्रिफॉन प्रवासी गिद्ध है, जो सर्दी के मौसम में भोजन की तलाश में यहां पहुंचते है। ये गिद्ध हिमालय के उस पार मध्य एशिया, यूरोप, तिब्बत आदि शीत प्रदेश क्षेत्रों में निवास करते है। सर्दी के मौसम में नदियों, झीलों, तालाबों में बर्फ जम जाने और भोजन नहीं मिलने पर ये गिद्ध हजारों किमी का सफर तय कर पश्चिमी राजस्थान का रुख करते है। सरहदी जिला जैसलमेर पशु बाहुल्य क्षेत्र है। ऐसे में इन गिद्धों को यहां भोजन आसानी से मिल जाता है। मुख्य रूप से गिद्ध मृत पशुओं का सेवन करते है। जिससे पर्यावरण भी शुद्ध रहता है। इसलिए गिद्धों को पर्यावरणप्रेमी भी कहा जाता है।
फसलों में दवाओं के उपयोग से गिद्धों को संकट
जानकारी के अनुसार फसलों में पेस्टीसाइड्स एवं डायक्लोफिनाक के अधिक उपयोग के चलते गिद्ध प्रजाति संकट में पहुंची है। फसलों के माध्यम से पेस्टीसाइड्स घरेलू जानवरों में पहुंचता है और मृत जानवरों को खाने से गिद्धों के शरीर में पहुंच जाता है। सन् 1990 से ही देशभर में गिद्धों की संख्या कम होने लगी है। गिद्धों पर यह संकट पशुओं को लगने वाले दर्द निवारक इंजेक्शन डाइक्लोफिनाक के कारण है। इस दवा के कारण गिद्ध की मौत हो जाती है। हालांकि केन्द्र सरकार की ओर से पशुओं को डाइक्लोफिनाक की बजाय मैलोक्सीकैम दवा का उपयोग बढ़ाया गया है, लेकिन पर्याप्त प्रचार प्रसार के अभाव में अभी तक पर्याप्त उपयोग नहीं हो पा रहा है।
यह है विशेषता
- बड़ा गिद्ध अथवा जीप्स हिमालयनसीस या हिमालयन ग्रिफॉन एक बड़े आकार का फीके पीले रंग का गिद्ध होता है, जो हिमालय में पाया जाता है।
- हिमालय में यह काबुल से भूटान, तुर्कीस्तान और तिब्बत तक पाए जाते है।
- यह एक अनूठा गंजे, पीले व सफेद सिर का गिद्ध है। इसके पंख काफी बड़े होते है।
- इसकी पूंछ छोटी होती है तथा गर्दन सफेद पीले रंग की होती है। उड़ते हुए इसका कुछ हिस्सा खाकी व उडऩे वाले पंखों का आखिरी छोर काले रंग का दिखता है।
- इसका ज्यादातर शरीर हल्के पीले-सफेद रंग का होता है।
- हिमालय में 1200-5000 मीटर तक की ऊंचाई पर देखे जा सकते है। इसमें नर व मादा एक जैसे दिखते है।
- ये गिद्ध दिन में सक्रीय होते है तथा आसमान में काफी ऊंचाई पर उड़ते हुए मृत जानवर को देखकर समूह में एक साथ नीचे उतरते है।
- गिद्ध की औसतन आयु 25 से 35 वर्ष तक होती है। इस दौरान एक जोड़ा बनाते है। यह जोड़ा साल दर साल एक ही घौंसले वाली जगह पर बार-बार आते है।
- दोनों मिलकर नया घौंसला बनाते है या फिर पुराने घौंसले को पुन: ठीक कर काम में लेते है।