संक्रमण पर आक्रमण, आशंकाओं में झलक रही आशा
-खतरा हुआ कम तो संसाधनों की भी बचत
-अस्पताल में सेम्पल लेने की नई व्यवस्था

जैसलमेर.कोरोना के बढ़ते प्रसार के बीच जैसलमेर के जवाहर चिकित्सालय में कोविड.19 की जांच के लिए चिकित्सालय प्रशासन ने नई व्यवस्था शुरू की है। इससे संक्रमण का खतरा पहले के मुकाबले कम होने के साथ ही सरकारी संसाधनों की भी बचत हो रही है। अस्पताल में अब पुराने ओपीडी वार्ड को सेम्पल संग्रहण का केंद्र बनाया गया है। यहां संभावित मरीज का सेम्पल केबिन में भीतर बैठे चिकित्सक द्वारा बिना पीपीई किट पहने लिए जा रहे हैं। भीतर एयरकंडीशनर लगा दिए जाने से पीपीई किट पहनने की जरूरत नहीं रह गई है। पहले अस्पताल परिसर में बने सेमिनार हॉल में सेम्पल लिए जा रहे थे।
कम हुई परेशानियां
अस्पताल के पैथोलॉजिस्ट डॉण् दामोदर खत्री ने बताया कि पीपीई किट पहनकर सेम्पल लेना चिकित्सक या कार्मिक के लिए इस गर्मी के मौसम में बहुत कठिन होता था। अब एसी लगा दिया गया है तथा मरीज को साउंड प्रूफ कांच के बाहर खड़ा कर सेम्पल लिए जा रहे हैं। पूर्व में जहां दो.ढाई हजार रुपए की कीमत के कम से कम दो किट रोजाना काम आ रहे थेए अब उनकी जरूरत नहीं रह गई है। इससे सरकारी संसाधनों की बचत हो रही है तथा कार्मिकों की परेशानी भी कम हो गई है। डॉण् खत्री के अनुसार नई व्यवस्था से संक्रमण फैलने का खतरा बहुत कम हो गया है। इससे सेम्पल देने वालों का समय भी बच रहा है। गौरतलब है कि अस्पताल परिसर में सर्वप्रथम एमसीएच यूनिट को कोविड सेंटर बनाकर वहां सेम्पल लिए गए थे। बाद में यह कार्य सेमिनार हॉल में स्थानांतरित किया गया। इन दोनों जगहों पर संक्रमण फैलने का खतरा बहुत ज्यादा था और सेम्पल देने वालों को इंतजार भी बहुत करना पड़ रहा था
हकीकत यह भी
-एक तरफ जिला अस्पताल में संक्रमण का खतरा टालने पर जोर दिया गया हैए दूसरी ओर शहर में बेपरवाही का हाल नजर आ रहा है।
-जागरुकता के अभाव में कई संदिग्ध मरीज सेम्पल देने के बाद रिपोर्ट आने का इंतजार नहीं करते और सामान्य ढंग से काम.धंधा कर रहे हैं या लोगों से मिल.जुल रहे हैं।
-ऐसे में जैसे ही उनमें से किसी की रिपोर्ट पॉजिटिव आती है, बीसियों लोगों में दहशत फैल जाती है।
-प्रशासन की तरफ से इस पर किसी तरह की पहरेदारी नहीं है। कई जने तो ऐसे भी हैं जिनके शरीर में कोरोना के लक्षण होने के बावजूद वे जांच से कतरा रहे हैं।
-जब शहर में यह स्थितियां हैं तो गांवों की कल्पना सहज ही की जा सकती है।
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