scriptJAISALMER NEWS- राजस्थान के रैन में असहायों की बजाए इनका है बसेरा | Instead of the helpless people in Rajasthan's Rain, they live there. | Patrika News

JAISALMER NEWS- राजस्थान के रैन में असहायों की बजाए इनका है बसेरा

locationजैसलमेरPublished: Apr 21, 2018 06:44:11 pm

Submitted by:

jitendra changani

व्यवस्थाओं के साथ जरूरतमंदों का भी हो ‘बसेरा’, हनुमान चौराहा स्थित रैन बसेरा को कूल-कूल करने की कवायद

Jaisalmer patrika

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फुटपाथ पर रहने वाले व असहाय लोगों को नहीं मिल रहा लाभ
जैसलमेर . जैसलमेर के सबसे व्यस्त हनुमान चौराहा की प्राइम लोकेशन पर स्थित रैन बसेरा में यों तो दिनभर लोगों की आवाजाही रहती है, लेकिन जिन लोगों को इसकी सबसे ज्यादा जरूरत है वे यहां तक नहीं पहुंच पा रहे हैं।नगरपरिषद जैसलमेर की ओर से एक संस्था के माध्यम से संचालित इस रैन बसेरा में दिन के समय करीब तीन दर्जन लोग औसतन कुछ देर या कई घंटों के लिए आश्रय पा रहे हैं। वहीं शहर के मुख्य सडक़ों के किनारे रात में अनेक लोगों को फुटपाथ पर सोते हुए देखा जा सकता है। ऐसे लोगों तक या तो रैन बसेरा व्यवस्थाओं की जानकारी नहीं है या फिर उन्हें यहां लाने के लिए सक्रिय प्रयासों की दरकार है।
यह व्यवस्थाएं मिली माकूल
असहाय, विशेष योग्यजन, बेघर, प्रवासी, साधु, निर्धन सहित अन्य जरूरतमंद लोगों के लिए शहर के हनुमान चौराहा पर बने आश्रय स्थल में गर्मी के मौसम को लेकर प्रबंध किए गए हैं, लेकिन भीषण गर्मी के बढ़ते असर के चलते यह प्रयास नाकाफी साबित होने तय है।
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जैसलमेर में इन दिनों तापमान 40 डिग्री के आसपास है तथा कई बार इसके पारभी जा चुका है। आने वाले दिनों में शहर का अधिकतम तापमान 45 या 47 डिग्री को भी पार कर जाएगा। ऐसे में इन आश्रय स्थलों पर रहने वाले लोगों की परेशानियां भी बढऩा तय है। वर्तमान में आश्रय स्थल में चारपाइयां, बिस्तर, अलमारी सहित हवा के लिए 9 पंखे लगे हुए है, जिनमें से एक पंखा खराब है। वहीं दो कूलर भी उपलब्ध करवाए गए है। जो मरम्मत के अभाव में फिलहाल बंद हैं। आश्रय स्थल में पेयजल के लिए कैम्पर रखवाए गए हैं। रोजाना तीन कैम्पर पानी खपता है। आश्रय स्थल में रहने वाले निर्धनों व पात्र लोगों को अक्षय कलेवा केन्द्र की ओर से सायंकालीन भोजन व्यवस्था नि:शुल्क की गई है।
यह परेशानियां भी
रैन बसेरा के ठीक पीछे नेहरू पार्क आया हुआ है।यहां बड़ी तादाद में पशु डोलते रहते हैं।आसपास के दुकानदार अपशिष्ट वहीं ले जाकर डालते हैं।जिससे रैन बसेरे के पास वातावरण दूषित होता है।दरअसल पार्क का मुख्य द्वार खुला रखे जाने से पशुओं सहित अन्य कचरा फेंकने वालों पर रोक नहीं लग पा रही है। शहर में हनुमान चौराहा के साथ रेलवे स्टेशन के पास दो रैन बसेरों का संचालन किया जा रहा है। इसके बावजूद हनुमान चौराहा, पंचायत समिति सम चौराहा, गड़ीसर चौराहा और रेलवे स्टेशन के पास ही फुटपाथ ही नहीं डिवाइडर पर भी अनेक लोग खुले में रात बिताते देखे जा सकते हैं।ऐसे बेसहारा लोगों को कभी कोई वाहन रात के समय अपनी चपेट में ले सकता है।प्रशासनिक स्तर पर उन्हें वहां से हटाकर रैन बसेरों में स्थानांतरित करने के गंभीर प्रयास कभी नहीं हुए।
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