आइएसआइ की गिद्ध नजर तो 'घर के भेदिये' ही ढहा रहे सुरक्षा का किला!
- सरहदी जिले में हनी ट्रेप के जाल में जासूसी नेटवर्क फिर उजागर
-एजेंसियों के बीच तालमेल की कमी से बनी निराशाजनक स्थिति

जैसलमेर. देश की पश्चिमी सीमा के अंतिम छोर पर बसा मरुस्थलीय जैसलमेर जिला एक बार फिर हनी ट्रेप और जासूसी प्रकरण के कारण राज्य ही नहीं बल्कि देश स्तर पर सुॢखयों में जगह बना चुका है। लाठी क्षेत्र से धरे गए जासूसी के आरोपी सत्यनारायण के मामले ने एक बार फिर सुरक्षा पर सवाल तो खड़े किए ही है, साथ ही सुरक्षा में सुराख को भी उजागर करते हुए आंतरिक सुरक्षा के दावों की हकीकत बयां कर दी है। इस बीच हकीकत यह भी है कि जिन सुरक्षा और खुफिया एजेंसियों के साथ सरकारी महकमों पर राष्ट्रविरोधी तत्वों के खिलाफ प्रभावी कार्रवाई करने की जिम्मेदारी है, उनमें तालमेल की कम व प्रयास करने की जिम्मेदारी है, वे अभी तक आपस में ही पूर्णरूपेण सामंजस्य कायम करने में नाकाम ही रहे हैं। एक अनुमान के मुताबिक जैसलमेर जिले के बहुत बड़े अंतरराष्ट्रीय सीमा से सटे इलाकों में राष्ट्रविरोधी गतिविधियों में लिप्त लोग बिखरे हुए हैं। जानकार बताते हैं कि सरहदी जैसलमेर जिले में स्लीपर सेल की चंद कडिय़ां ही उजागर हुई है, लेकिन अभी कई मजबूत कडिय़ों से आईएसआई के तार जुड़े हुए हैं और उन्होंने भी जैसलमेर को ही अपनी कर्मस्थली बना रखा है। भारतीय खुफिया एजेंसियां भी पाकिस्तान की यात्रा करने वाले लोगों विशेषकर लगातार वहां आवाजाही करने वालों पर नजर रखती हैं, लेकिन उनके मोबाइल फोन को सर्विलांस पर नहीं रखा जाता, जिससे वे पाकिस्तान में बैठे किन लोगों से कैसी बातें करते हैं, इसका पता नहीं चल पाता।
जासूसी का फिर बदला तरीका
सरकारी कर्मचारी के बाद अब प्रभावशाली पर नजर
आइएसआइ ने जासूसी के खेल में कुछ समय पहले सरकारी महकमों में लालच देकर कुछ कर्मचारियों को स्लीपर सेल की कडिय़ों के रुप में इस्तेमाल करना शुरू किया था, अब हनी ट्रेप के माध्यम से उन लोगों को निशाने पर लिया जा रहा है, जो संबंधित क्षेत्र के प्रभावशील व्यक्ति हो और उन्हें क्षेत्र की भौगोलिक व अन्य स्थितियों की समझ हो।
कॉल का पैतरा और हनी ट्रेप का जाल
पाकिस्तान से कॉल आकर लाटरी लगने का झांसा देकर किसी नंबर पर फोन करने की बात कहते हैं। यदि इस साजिश में कोई फंस जाए तो उसे बड़ी कीमत चुकानी पड़ती है। ऐसे अनजान कॉल किसी जानकारी लेने या फिर पैसे ऐंठने के लिए किए जाते हैं। इसी तरह एक फोन कर या सोशल साइट पर महिला मित्र के झांसे में लेकर जानकारियां हासिल करने का आईएसआई का पैतरा अब नए तरीके से शुरू हो गया है। पूर्व में एक वायुसेना कार्मिक से हनी टे्रप यानि महिला मित्र की सोशल साइट पर नजदीकियां बढ़ाकर जानकारियां हासिल करने का खेल आईएसआई कर चुकी है।
सरहद पर भी जासूसी
भारत-पाक सीमा से सटी जैसलमेर व गंगानगर जिलों की सरहद पर पाकिस्तान यूएवी से भी जासूसी करने के साथ ही बेलून भेजकर सुरक्षा व्यवस्था की भी टोह ले रहा है। करोड़ों की राशि केवल यूएवी के ट्रायल वर्जन पर ही खर्च कर रहा है। एक रिपोर्ट के अनुसार एक ड्रोन के संचालन में पाकिस्तान प्रति घंटे यानि करीब सवा सात लाख रुपए का खर्च कर रहा है।
आखिर क्यों है जैसाण पर ना 'पाक' नजर
-पोकरण व किशनगढ़ जैसी फिल्ड फायरिंग रेंज में आए दिन हो रहे सैन्य अभ्यास
-मिसाइल व युद्धक हथियारों के परीक्षण के लिए अनुकूल क्षेत्र
-पाकिस्तान से सटा सरहदी जैसलमेर जिला वीवीआईपी लोगों की पसंद
-पर्यटन नगरी होने के कारण प्रतिवर्ष लाखों सैलानियों की बनी रहती है आवक
पूर्व में पकड़े गए जासूसों का ब्यौरा
-वर्ष 1996 - जाफरिया, नबिया व अमरे खां ।
-वर्ष 2002- रमजान व नूरे खां ।
-वर्ष 2006 - नूरे खां
-वर्ष 2013- अलाबख्श, माजिद खां व गुलाम रसूल।
-वर्ष 2014- सुमार खां ।
-वर्ष 2015- गोरधनसिंह
-वर्ष 2016 - नंदलाल गर्ग
-वर्ष 2017- सदिक
जैसाण मांगे सुरक्षा
-सुरक्षा एजेन्सियां, सीसुब व पुलिस के तालमेल से निगरानी तंत्र को मजबूत करने की कवायद
-जैसलमेर जिले के सरहदी थाना क्षेत्रों में पुलिस की बीट प्रणाली व रात्रि गश्त को और मजबूत करने की जरुरत।
-उपनिवेशन तहसीलों में बसी चक आबादियों में समय-समय पर सत्यापन को लेकर अभियान चलाया जाए।
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