धर्म प्रश्नोत्तरी कार्यक्रम का हुआ आयोजन
पोकरण (जैसलमेर) . पुरी गोवद्र्धन मठ के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने कहा कि कभी धर्म का ह्रास नहीं होता, बल्कि धर्म को मानने वालों ने धर्म के प्रति आस्था व सच्चाई खत्म हो जाती है। तब उनका ह्रास होता है। उन्होंने शनिवार को सुबह सालमसागर तालाब के पास स्थित अपने अस्थाई निवास आनंद सागर में आयोजित धर्म प्रश्नोत्तरी कार्यक्रम के दौरान उपस्थित श्रद्धालुओं के प्रश्नों का जवाब देते हुए कहा। उन्होंने कहा कि धर्म एक जीवन पद्धति व जीवन में धारण करने वाले सिद्धांत व नियमों को कहते है, जो कभी न तो खत्म होता है, न ही उसका ह्रास होता है। इसे मानने वालों में जब आस्था की कमी आ जाती है, उनमें सत्यता कम हो जाती है तथा वह अधर्म के कार्यों में लिप्त हो जाता है, तो उसका पतन हो जाता है। उन्होंने कहा कि रामायण रामचरित्रमानस में बताया गया है कि ईश्वर के नाम स्मरण व जप से ही व्यक्ति के आचार, विचार में शुद्धि आती है तथा मन व इन्द्रियों को भी वश में किया जा सकता है। इसलिए व्यक्ति को जीवन में हरि स्मरण करना चाहिए। उन्होंने कहा कि जब तक व्यक्ति का मन शुद्ध नहीं होगा, तब तक उसका अपनी इच्छाओं व इन्द्रियों पर भी नियंत्रण नहीं हो सकेगा। इसलिए व्यक्ति को अपने मन को हरि स्मरण, सत्संग, धार्मिक ग्रंथों व पुस्तकों के पठन से शुद्ध करना चाहिए। इस अवसर पर भारत के विश्वगुरु बनने को लेकर पूछे गए सवाल पर उन्होंने कहा कि जब लोग धर्म के बताए रास्ते पर चलना शुरू होंगे व धर्म को पूरी तरह से मानने लगेंगे तथा सरकार भी धर्म के आधार पर शासन व्यवस्था का संचालन करेगी, तब भारत निश्चित रूप से विश्वगुरु बनेगा। उन्होंने हिन्दू धर्म की परिभाषा, वेद शास्त्रों के महत्व आदि पर चर्चा करते हुए लोगों की ओर से पूछे गए प्रश्नों का जवाब दिया तथा उनकी जिज्ञासा शांत की।
पोकरण (जैसलमेर) . पुरी गोवद्र्धन मठ के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने कहा कि कभी धर्म का ह्रास नहीं होता, बल्कि धर्म को मानने वालों ने धर्म के प्रति आस्था व सच्चाई खत्म हो जाती है। तब उनका ह्रास होता है। उन्होंने शनिवार को सुबह सालमसागर तालाब के पास स्थित अपने अस्थाई निवास आनंद सागर में आयोजित धर्म प्रश्नोत्तरी कार्यक्रम के दौरान उपस्थित श्रद्धालुओं के प्रश्नों का जवाब देते हुए कहा। उन्होंने कहा कि धर्म एक जीवन पद्धति व जीवन में धारण करने वाले सिद्धांत व नियमों को कहते है, जो कभी न तो खत्म होता है, न ही उसका ह्रास होता है। इसे मानने वालों में जब आस्था की कमी आ जाती है, उनमें सत्यता कम हो जाती है तथा वह अधर्म के कार्यों में लिप्त हो जाता है, तो उसका पतन हो जाता है। उन्होंने कहा कि रामायण रामचरित्रमानस में बताया गया है कि ईश्वर के नाम स्मरण व जप से ही व्यक्ति के आचार, विचार में शुद्धि आती है तथा मन व इन्द्रियों को भी वश में किया जा सकता है। इसलिए व्यक्ति को जीवन में हरि स्मरण करना चाहिए। उन्होंने कहा कि जब तक व्यक्ति का मन शुद्ध नहीं होगा, तब तक उसका अपनी इच्छाओं व इन्द्रियों पर भी नियंत्रण नहीं हो सकेगा। इसलिए व्यक्ति को अपने मन को हरि स्मरण, सत्संग, धार्मिक ग्रंथों व पुस्तकों के पठन से शुद्ध करना चाहिए। इस अवसर पर भारत के विश्वगुरु बनने को लेकर पूछे गए सवाल पर उन्होंने कहा कि जब लोग धर्म के बताए रास्ते पर चलना शुरू होंगे व धर्म को पूरी तरह से मानने लगेंगे तथा सरकार भी धर्म के आधार पर शासन व्यवस्था का संचालन करेगी, तब भारत निश्चित रूप से विश्वगुरु बनेगा। उन्होंने हिन्दू धर्म की परिभाषा, वेद शास्त्रों के महत्व आदि पर चर्चा करते हुए लोगों की ओर से पूछे गए प्रश्नों का जवाब दिया तथा उनकी जिज्ञासा शांत की।