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शहर से सीमा तक हर कहीं छाया तिरंगा

locationजैसलमेरPublished: Aug 13, 2022 09:25:22 pm

Submitted by:

Deepak Vyas

– हर घर तिरंगा अभियान का नजर आ रहा व्यापक असर- सोनार दुर्ग से लेकर घर-दुकानों पर लगाए झंडे

शहर से सीमा तक हर कहीं छाया तिरंगा

शहर से सीमा तक हर कहीं छाया तिरंगा

जैसलमेर. भारत देश की पश्चिमी सीमा के अंतिम छोर पर बसे जैसलमेर शहर से लेकर सुदूर सीमा क्षेत्र इन दिनों राष्ट्रीय ध्वज के तीन रंगों में पूरी तरह से सराबोर हो गया है। जहां तक नजर जा रही है, अशोक चक्र लगे तिरंगे की धूम है। आजादी की 75वीं वर्षगांठ को यादगार बनाने के लिए केंद्र व राज्य सरकारों की तरफ से चलाए जा रहे हर घर तिरंगा अभियान का यह असर है कि स्वतंत्रता दिवस से दो दिन पहले ही चारों तरफ आजादी के जश्न का माहौल है। जैसलमेर मुख्यालय से लेकर गांवों तक सरकारी पहल के साथ सीमा सुरक्षा बल और भाजपा व कांग्रेस की तरफ से कई कार्यक्रमों का संचालन कर तिरंगा अभियान को जन-जन तक पहुंचा दिया है। लोगों में भी उत्साह इस कदर है कि चारों तरफ तिरंगे झंडों की मांग हो रही है ताकि उन्हें निजी प्रतिष्ठानों व घरों पर लगाया जा सके। शहर में नगरपरिषद झंडे उपलब्ध करवा रही है। कई निर्वाचित पार्षद इन्हें परिषद से प्राप्त कर अपने वार्ड क्षेत्र में घर-घर पहुंचाने में जुटे हैं। पीत पाषाणों से निर्मित स्वर्णनगरी में तिरंगे के प्रति आकर्षण वैसे पिछले कई सालों से नजर आने लगा था। जब 15 अगस्त या 26 जनवरी को क्रमश: स्वतंत्रता व गणतंत्र दिवस पर खादी से बने झंडों की मांग एकदम से बढ़ जाया करती क्योंकि तब तक केवल खादी का बना झंडी ही लहराया जा सकता था। इस पाबंदी को अब केंद्र सरकार ने ध्वज संहिता में बदलाव कर हटा दिया है।
कई कार्यक्रमों का हुआ आयोजन
जैसलमेर में पिछले दिनों के दौरान जिला प्रशासन व नगरपरिषद के तत्वावधान में आजादी के अमृत महोत्सव को यादगार बनाने के लिए कार्यक्रमों का आयोजन किया गया है। जिसके तहत तिरंगा रैली और अन्य आयोजन हुए। इसके साथ ही भाजपा ने भी हर घर तिरंगा के तहत गत दिवस रैली निकाली। इससे पहले से भी पार्टी गांव-गांव तक प्रत्येक घर पर झंडारोहण की अपील को लेकर अभियान चला रही है। दूसरी ओर कांग्रेस पार्टी भी इसमें पीछे नहीं रही। प्रदेश नेतृत्व के निर्देशानुसार जिला कांग्रेस कमेटी की तरफ से तिरंगा रैलियों के साथ राष्ट्रभक्ति गीत-संगीत का आयोजन भी करवाया जा चुका है। दूसरी ओर सीमा सुरक्षा बल के जवान ठेठ सीमा पर तिरंगा झंडे फहराते हुए रैलियों का हिस्सा बन चुके हैं। कई सरकारी व निजी विद्यालयों में झंडा वितरण और आजादी के उत्सव से जुड़े कार्यक्रम हो चुके हैं। सभी के साझा प्रयासों से लोगों में इस बार राष्ट्रीय ध्वज फहराने के प्रति अनूठा आकर्षण जग चुका है। पाकिस्तान की सीमा से सटे जैसलमेर जिले में गांव-ढाणियों तक इस बार तिरंगे शान से लहराए जाने हैं।
मन मोह रहा सोनार दुर्ग
तिरंगा अभियान के तहत सरकारी प्रयासों से जैसलमेर के ऐतिहासिक और दुनिया के शायद एकमात्र रिहायशी सोनार दुर्ग के बुर्जों व दूर से नजर आने वाले घरों पर लहरा रहे ध्वज अलग ही समां बांध रहे हैंं। यहां लगाए गए बड़े आकार के झंडे कई किलोमीटर दूर से दिखाई दे रहे हैं। ऐसे ही हनुमान चौराहा पर नगरपरिषद की ओर से कुछ दिन पहले 100 फीट की ऊंचाई पर लगाया गया विशालकाय तिरंगा हर किसी को रोमांचित कर रहा है। शहरवासियों व ग्रामीणों के साथ जैसलमेर भ्रमण पर आने वाले देशी-विदेशी सैलानी भी नई गांधी प्रतिमा के ठीक पास स्थापित इस लहराते तिरंगे को कौतूहल से निहारते दिखाई देते हैं। इस ध्वज के नीचे दो सोडियम लाइट्स की रोशनी के प्रकाश में ध्वज की छटा और जुदा हो जाती है। इन सबके अलावा शहर में टैक्सियों से लेकर हाथ ठेलों आदि पर लोगों ने राष्ट्रभक्ति के भाव से तिरंगे लगाए हंै। गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सभी देशवासियों से अपील की है कि भारतीय ध्वज के सम्मान में 13 से 15 अगस्त के दौरान अपने-अपने घरों में भारतीय झंडा फहराने की अपील की है। इसके साथ ही सभी सरकारी कार्यालयों, रेसिडेंशियल वेलफेयर एसोसिएशन और व्यापारी वर्ग से भी अपने क्षेत्र और कार्यालय में झंडा फहराने की अपील की गई है.
ध्वज संहिता में किया गया बदलाव
गौरतलब है कि गत अर्से केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय ध्वज फहराने की ध्वज संहिता में संशोधन किया है। जिससे अब दिन के साथ रात में भी राष्ट्रीय ध्वज को फहराया जा सकेगा। इसके साथ सरकार इससे पहले मशीन से बने और पॉलिएस्टर के झंडे के उपयोग की इजाजत देने के लिए ध्वज संहिता में संशोधन कर चुकी है। जबकि पहले केवल खादी से बने झंडे को ही मान्यता मिली हुई थी। गत वर्ष 30 दिसंबर के आदेश से भारत ध्वज संहिता 2002 को संशोधित किया गया और बताया गया कि राष्ट्रीय ध्वज हाथ से काते, हाथ से बुने हुए या मशीन से बने कपास/पॉलिएस्टर/ऊन/रेशम/खादी से बनाया जाएगा। यानी पॉलिएस्टर और मशीन से बने झंडे को भी अनुमति दी गई है। दिन के साथ-साथ रात में भी ध्वज फहराने की अनुमति प्रदान कर दी गई है लेकिन यह तब ही होगा जब झंडा किसी खुले स्थान पर किसी के घर पर फहराया जाएगा।
भारतीय तिरंगे की कहानी
माना जाता है कि 7 अगस्त 1906 को कलकत्ता (अब कोलकाता) के लोअर सर्कल रोड के पास पारसी बागान चौराहे पर पहली बार झंडा फहराया गया था। इस झंडे में लाल, पीले और हरे रंग की तीन आड़ी पट्टिया थीं। इसके बाद 1921 में स्वतंत्रता सेनानी पिंगली वैंकया ने झंडे की एक मूल डिजाइन के प्रस्ताव को रखने के लिए महात्मा गांधी से मुलाकात की। उस दौरान इसमें दो लाल और एक हरे रंग की पट्टी रखी गई थी। आगे चलकर कई बदलावों से गुजरने के बाद 1931 को कराची में तिरंगे को राष्ट्रीय ध्वज के तौर पर स्वीकृति दी गई। 22 जुलाई 1947 को संविधान सभा की बैठक हुई जिसमें भारतीय ध्वज को उसके वर्तमान स्वरूप में मान्यता दी गई।

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