‘फ्यूज’ हो गई बिजली व्यवस्था
जैसलमेर में बारिश और बिजली का बैर जाने कब खत्म होगा, कोई नहीं जानता। बरसात के आते ही विद्युत आपूर्ति ठप हो जाती है जो बारिश के थमने के बाद भी वापस नहीं लौटती। कभी यहां तो कभी वहां, किसी न किसी जगह पर डिस्कॉम की लाइनों में फॉल्ट आ जाता है। यही किस्सा रविवार रात को दोहराया गया। सायं 6 बजे वर्षा के शुरू होते ही पूरे शहर में बिजली गुल हो गई। जो करीब तीन-साढ़े तीन घंटे बाद लौटी, लेकिन इस दौरान गोपा चौक, पंसारी बाजार, मोकाती पाड़ा, गांधी कॉलोनी के बड़े हिस्से, जेठा पाड़ा, ढिब्बा पाड़ा, सदर बाजार, सम मार्ग स्थित सरकारी कॉलोनी और कई अन्य आवासीय कॉलोनियों में पूरी रात लाइट लौटी नहीं। सोमवार को भी इन इलाकों समेत लगभग पूरे जैसलमेर में बिजली की आंख-मिचौनी कायम रही। उमस भरे माहौल में लोग पसीने बहाते हुए डिस्कॉम की व्यवस्थाओं को कोसते रहे।
पानी…पानी…पानी
जैसलमेर मुख्यालय पर पेयजल व्यवस्था बीते करीब एक माह से पानी-पानी हो रखी है, लेकिन मजाल है जिम्मेदारों के पेशानी पर एक बल पड़ जाए। शहर के अनेक हिस्सों में नलों में पानी 120 से 196 घंटों के अंतराल में टपकता है। सबसे ज्यादा परेशानी रियासतकालीन रिहाइश में बसे लोगों को पेश आ रही है। जहां ट्रेक्टर से पेयजल की सप्लाई नहीं हो सकती। जानकारी के अनुसार नगरपरिषद प्रशासन का सबसे ज्यादा ध्यान सभापति के गृह क्षेत्र में है। अधिकांश जलापूर्ति उसी इलाके में कर दी जाती है। इसके अलावा ट्रेक्टर से जल सप्लाई की जा सकती है, वहां भी टैक्सी से जल परिवहन किया जाता है। जल परिवहन के नाम पर जमकर मनमानी संबंधित संवेदक और कुछ जिम्मेदार कर रहे हैं। लोग शिकायतें लेकर नगरपरिषद कार्यालय और बीपी टेंक तक पहुंचते हैं तो उन्हें सिवाय आष्वासनों के कुछ हाथ नहीं लगता। यह जानकारी भी मिली है पेयजल वितरण का जिम्मा संभालने वाले अधिकारियों ने शहर की मांग को नजरअंदाज करते हुए पिछले दिनों तीन दिवस तक नहर से शटडाउन स्वीकार कर लिया। इससे हालात और बदतर हो गए।
कचरे से अट रहा शहर
मोनेटरिंग के अभाव में स्वर्णनगरी की साफ-सफाई व्यवस्था अनियंत्रित-सी हो चुकी है। बीती रात की बरसात के निशान सोमवार को शहर भर में नजर आए। जगह-जगह नाले-नालियों के ओवरफ्लो होने से गंदा पानी सडक़ों पर पसर गया। गली-मोहल्लों में सफाई कर्मियों के समय पर नहीं पहुंचने की वजह से कचरे के ढेर लगे हुए हैं। अपनी मांगों को लेकर पिछले दिनों धरना दे रहे सफाईकर्मियों ने सोमवार को हड़ताल पर जाने का ऐलान कर दिया। इससे स्थितियां और विकट हो गई। अपराह्न पष्चात उन्हें किसी तरह से समझा-बुझा कर काम पर लगाया गया। लेकिन हरिजन (वाल्मीकि) समाज सेवा एवं विकास संस्थान ने मंगलवार से आम हड़ताल पर जाने की घोषणा कर दी है। उन्होंने सफाईकर्मियों की नियुक्तियां करने तथा हाल में जिन लोगों को सफाईकर्मी के पद पर नियुक्ति दी गई है, उन्हें सफाई व्यवस्था में ही लगाने की मांग प्रमुख रूप से की है।
यहां किया जा रहा जुबानी जमाखर्च
एक तरफ जैसलमेर के बाशिंदें बुनियादी सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं, दूसरी ओर सभी विभागों के कामकाज पर नजर रखने वाला जिला प्रशासन प्रति सप्ताह आयोजित होने वाली समीक्षा बैठकों में केवल जुबानी जमाखर्च कर रहा है। इन बैठकों में प्रशासन की ओर से ‘दिशा-निर्देश’ जारी कर दिए हैं और उनकी पालना की तरफ कोई ध्यान नहीं दिया जाता। यही वजह है कि विभागीय अधिकारी रटा-रटाया जवाब देकर छूट जाते हैं। प्रशासन के जिम्मेदार कभी भी शहर की वास्तविकताओं का हाल जानने अपने एयरकंडीशनर कक्षों से बाहर नहीं निकलते।