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करंट से गोडावण की मौत पर वन्य जीव प्रेमियों ने किया विरोध प्रदर्शन

locationजैसलमेरPublished: Sep 18, 2020 02:23:20 pm

Submitted by:

Deepak Vyas

करंट से गोडावण की मौत पर वन्य जीव प्रेमियों ने किया विरोध प्रदर्शन

करंट से गोडावण की मौत पर वन्य जीव प्रेमियों ने किया विरोध प्रदर्शन

करंट से गोडावण की मौत पर वन्य जीव प्रेमियों ने किया विरोध प्रदर्शन

जैसलमेर/लाठी. राज्य पक्षी गोडावण पर बिजली की तारों का खतरा लगातार मंडरा रहा है। बुधवार शाम को भी देगराय ओरण में हाईटेंशन लाइन की चपेट में आने से एक मादा गोडावण की मौत हो गई थी। सूचना मिलने पर आसपास कई वन्यजीव प्रेमी मौके पर पहुंचे तथा वनयजीव प्रेमियो ने इस घटना पर रोष जताया, वहीं वन विभाग को घटना की जानकारी मिलते ही टीम मौके पर पहुंची और गोडावण के शव का पंचनामा तैयार कर शव को अपने कब्जे में लेने का प्रयास किया, लेकिन वन्यजीव प्रेमियों ने शव देने से इनकार कर दिया। शव के पास हाईटेंशन तारों को अंडरग्राउंड करने या फिर बर्ड डायवर्टर लगाए जाने कि मांग को लेकर वन्यजीव प्रेमी राधेश्याम पेमाणी, सुमेरसिंह सांवता, भंवरलाल धायसर के नेतृत्व मे धरने पर बैठ गए। उधर, सूचना मिलने बुधवाररात 9:30 बजे सांगड़ पुलिस घटनास्थल पर पहुंची। पुलिस व जैसलमेर वन्यजीव विभाग व पोकरण वन्य जीव, वन्य जीव विभाग के उच्च अधिकारियों के आश्वासन के बाद करीब 10 बजे वन्यजीव प्रेमियों ने अपना धरना समाप्त किया तथा शव वन विभाग के उच्च अधिकारियों को सुपुर्द कर दिया। अधिकारियों ने गोडावण के शव को अपने कब्जे में लेकर आगे कि कार्यवाही शुरू की। उधर, गुरूवार सुबह वन्यजीव प्रेमियों की मौजूदगी में गोडावण का पोस्टमार्टम करने के बाद अंतिम संस्कार किया।
गोडावण संरक्षण के प्रयासों को बड़ा झटका
गौरतलब है कि लगातार कम हो रही गोडावण की संख्या के बीच इस तरह की घटनाएं गोडावण संरक्षण के प्रयासों को बड़ा झटका है। जिस जगह यह घटना हुई है वह डीएनपी क्षेत्र नहीं है। इस जगह से करीब 10 किमी दूर रासला में क्लोजर बना हुआ है, जहां कई बार गोडावण देखे जा चुके हैं। इस बीच अब खतरा और भी मंडराने लगा है। आसपास के इलाके में हाईटेंशन तारों का जंजाल है और वर्तमान में चारों तरफ हरियाली होने से गोडावण के यहां आने की संभावना बनी रहती है। तारों की चपेट में आने से गोडावण जैसे लुप्त प्राय: पक्षी की मौत ने गोडावण संरक्षण के प्रयासों को बड़ा नुकसान पहुंचाया है। गत कई चार दशकों से गोडावण संरक्षण को लेकर कई योजनाएं चल रही है और इस बीच गोडावणों की अकाल मौत विशेषज्ञों को चिंतित कर देने वाली साबित हो रही है। वर्ष 2017 से लेकर अब तक 6 गोडावण तारों की चपेट में आ चुके हैं, जहां एक तरफ लगातार गोडावण की संख्या कम हो रही है, वहीं इस बीच इस तरह से गोडावण के काल का ग्रास बनना और भी परेशान कर देने वाला है।
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