बैठक की शुरुआत में शहर की साफ-सफाई व्यवस्था के पटरी से उतरने का सवाल कई पार्षदों ने उठाया। उन्होंने अपने क्षेत्र में सफाई कर्मियों की कमी से लेकर ठेका पद्धति पर आधारित वार्डों में लचर स्थिति पर विरोध का इजहार किया। विधायक ने आयुक्त से पूछा कि, शहर में स्वच्छता कार्यों पर कितना खर्च किया जा रहा है? जिस पर उन्होंने कहा कि, वे हिसाब लगाकर बता देंगे। बताया गया कि, शहर के 35 में से 15 वार्डों में नगरपरिषद के 103 स्थायी कर्मचारी सफाई कार्य करते हैं। अन्य वार्डों में यह कार्य तीन ठेकेदारों के माध्यम से करवाया जा रहा है।
प्रशासन पर बोला तीखा हमला
बैठक में उप सभापति रमेश जीनगर ने सवाल उठाते हुए कहा कि, सदस्यों की ओर से दिए गए सुझावों को नोटिंग में लिखा तक नहीं जाता। विवादित मामलों को उठाएं तो आयुक्त कह देते हैं कि, मामला कोर्ट में है। जबकि जो मामला वह उठा रहे हैं, वह कोर्ट में है ही नहीं। इसी तरह से सदस्य मोहन परिहार ने कहा कि परिषद प्रशासन की कच्ची बस्ती में रुके हुए नियमन कार्य को सुचारू करने की मंशा ही नहीं है। सदस्य दलपत मेघवाल ने विधायक से शिकायत की कि, बैठकों में बार-बार मसले उठाए जाने के बावजूद नगरपरिषद प्रशासन कोई कदम नहीं उठाता, इसलिए चुप रहना ही बेहतर है। ऐसे ही पर्वत सिंह ने कहा कि, वह पिछले तीन वर्ष से अपने वार्ड की समस्याओं को लगातार बोर्ड प्रशासन के सामने रख रहे हैं, लेकिन आज तक उनका निराकरण नहीं किया गया।जब विधायक ने, उपस्थित महिला पार्षदों से बोलने के लिए कहा तो, एक ने तपाक से कहा कि अधिकारी बात तो मानते नहीं हैं।