जैसलमेर.
जैसलमेर जिले के लाखों लोगों के स्वास्थ्य की मिलावटी खाद्य वस्तुओं के उपभोग से सुरक्षा की जिम्मेदारी जिस स्वास्थ्य महकमे के कंधों पर है, वह बीते कई वर्षों से कुंभकर्णी नींद में ही सोया हुआ दिखाई देता है। हाल यह है कि, हालिया त्योहारी सीजन में जब राजस्थान भर में नकली देसी घी, मिलावटी मावा और दूध आदि बनाने और बेचने वालों के खिलाफ बड़ी-बड़ी कार्रवाइयां सुर्खियों में आ रही है।
जैसलमेर के स्वास्थ्य महकमे के संबंधित अधिकारी और कार्मिक कामकाज के नाम पर खानापूर्ति करने में जुटे हुए हैं। गत दिनों के दौरान शहर में केवल एक जगह पर देसी घी तथा अन्य सामान का सेम्पल लिया गया और वह भी तब जब पुलिस ने अपने तौर पर बाहरी जिले से मिली सूचना के आधार पर उक्त दुकान में दबिश दे दी। इसके अलावा
जैसलमेर शहर की सैकड़ों दुकानों में से एक में भी झांकने की फुर्सत सेम्पलिंग करने वाले अधिकारी और कार्मिक नहीं निकाल पाए। किसी मिठाई वाले को छुआ तक नहीं गया, जबकि कई बार आमजन मिठाइयों के बासी होने की शिकायत करते नजर आते हैं।
आज तक एक बड़ी कामयाबी नहीं
जैसलमेर में अनेक दुकानदार जिन पर नकली देसी घी जैसी खाद्य वस्तुएं बेचने का संदेह है, वे रातोरात मालामाल हो गए, लेकिन चिकित्सा एवं स्वास्थ्य महकमे के अंतर्गत काम करने वाले खाद्य निरीक्षक को एक भी मामला पकडऩे में सफलता नहीं मिली। हकीकत यह है कि, अव्वल तो खाद्य निरीक्षक मिलावट की भरपूर संभावना वाले प्रतिष्ठानों तक पहुंचते ही नहीं और पहुंच भी जाएं तो बड़ी तादाद में ब्रांडेड वस्तुओं को सेम्पलिंग के लिए उठा लिया जाता है। जैसे, देसी घी व मसालों की सेम्पलिंग के लिए प्रतिष्ठित कंपनियों का पैकिंग सामान ले लिया जाता है।उनके मानकों पर खरा नहीं उतरने की संभावना बहुत क्ष् ाीण होती है।जबकि असलियत में
जैसलमेर षहर में पिछले एक दषक के दौरान गुजरात तथा उससे लगते इलाकों में बनकर तैयार होने वाला नकली देसी घी बाड़मेर के मार्ग से भारी तादाद में बिक्री के लिए पहुंचता है। बीते वर्षों के दौरान ऐसा एक भी माल से भरा वाहन स्वास्थ्य महकमे तथा पुलिस के हत्थे नहीं चढ़ा है।
रामदेवरा में भी की जाती है खानापूर्तिराजस्थान के सर्वाधिक श्रद्धालुओं वाला बाबा रामदेव का करीब एक माह तक चलने वाला मेला अब जिले के रामदेवरा गांव में प्रारंभ हो चुका है। इस अवधि में यहां करीब 40 लाख लोग देष के कोने-कोने से आते हैं। एक हजार से ज्यादा प्रसाद व खाने-पीने के सामान की दुकानें एवं स्टॉल्स वहां लगती हैं। हर बार स्वास्थ्य महकमा मेले के दौरान दिखावटी कार्रवाइयां कर कागजों का पेट भर लेता है। रामदेवरा की भीडक़ा बड़ा हिस्सा पोकरण भी पहुंचता है। वहां भी सेम्पलिंग के नाम पर औपचारिकताओं का ही निर्वहन किया जाता है।
काम बताने से कतरा रहे जिम्मेदारजैसलमेर जिले में चालू वित्त वर्ष के दौरान कितनी जगहों पर सेम्पलिंग की गई और किन वस्तुओं की सेम्पलिंग हुई, यह जानकारी लेने व जिम्मेदार किए गए काम का खुलासा करने से कतरा रहे हैं। इस दौरान कार्यवाहक सीएमएचओ और खाद्यनिरीक्षक से सम्पर्क करने की कोशिश भी की गई लेकिन एक ने फोन नहीं उठाए तो दूसरे का मोबाइल लगातार ‘स्विच ऑफ’ आया।