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खेजड़ी को हरा करने की मन्नत लेकर निकले करणीभक्त पहुंचे पोकरण

locationजैसलमेरPublished: Mar 03, 2021 04:22:11 pm

Submitted by:

Deepak Vyas

– जयपुर से तनोट तक कर करेंगे कनक दण्डवत- आरती में उमड़ी भीड़, संवळी के किए दर्शन

खेजड़ी को हरा करने की मन्नत लेकर निकले करणीभक्त पहुंचे पोकरण

खेजड़ी को हरा करने की मन्नत लेकर निकले करणीभक्त पहुंचे पोकरण

पोकरण. विश्व कल्याण व देशनोक के पास नेहड़ीधाम में मरुभूमि के कल्पवृक्ष सूखी खेजड़ी को पुन: हरा करने की मंगल कामना को लेकर जयपुर से तनोट तक करीब 1100 किमी की कनक दण्डवत यात्रा कर रहे आदि शक्ति स्वरूपा करणी माता के अनन्य भक्त सेवानिवृत चिकित्साधिकारी डॉ.गुलाबसिंह बारहठ मंगलवार को पोकरण पहुंचे। यहां आरटीडीसी मिड-वे के पास राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 11 पर श्रद्धालुओं की ओर से उनका स्वागत किया गया। गौरतलब है कि चिकित्साधिकारी के पद से पांच वर्ष पूर्व सेवानिवृत हो चुके डॉ.बारहठ करणी माता के अनन्य भक्त है तथा वे पूर्व में जयपुर से देशनोक व तनोट तक पदयात्रा कर चुके है। अपने जीवन के 65 बसंत पार कर चुके बारहठ कनक दण्डवत कर जयपुर से तनोट जा रहे है। मंगलवार को सुबह आठ बजे वे दण्डवत करते हुए गोमट से पोकरण पहुंचे तथा आरटीडीसी मिड-वे में पड़ाव डाला। यहां पहुंचने पर बड़ी संख्या में कस्बेवासियों ने उनका स्वागत किया।
डेढ़ वर्ष पूर्व हुए थे रवाना
डॉ.बारहठ ने पत्रिका से बातचीत करते हुए बताया कि वे शुरू से ही करणी माता के अनन्य भक्त है तथा उन्होंने अपने जीवन में माता के कई चमत्कार देखे है। उन्होंने कई बार जयपुर से देशनोक तक पदयात्रा की तथा जयपुर से तनोट तक भी पदयात्रा कर चुके है। देशनोक के पास स्थित नेहड़ीधाम में एक खेजड़ी का वृक्ष स्थित है। जिसके नीचे करणी माता ने तपस्या व साधना की थी। गत कई वर्षों से यह खेजड़ी का वृक्ष सूख गया है। यह वृक्ष पुन: हरा-भरा हो तथा लोगों की श्रद्धा का केन्द्र बने, इसी मन्नत को लेकर उन्होंने जयपुर से तनोट तक कनक दण्डवत करते हुए यात्रा करने का निर्णय लिया। वे 29 सितम्बर 2019 को जयपुर से रवाना हुए। अब तक हिंगलाज माता मींडपी, इन्द्रबाईसा खुड़द, करणी माता देशनोक, माता के जन्मस्थान साटिका का सुआब से होकर करीब 875 किमी की यात्रा कर मंगलवार को पोकरण पहुंचे है। उन्होंने बताया कि यहां से वे जैसलमेर के देगराय, तेमड़ेराय होकर तनोट माता मंदिर तक कनक दण्डवत यात्रा कर पहुंचेंगे। उन्होंने बताया कि वे प्रतिदिन दो से तीन किमी कनक दण्डवत यात्रा करते है। करीब छह-सात माह में वे अपनी तनोट तक की यात्रा पूर्ण कर माता की पूजा-अर्चना व अपनी मनोकामना पूर्ण करने की प्रार्थना करेंगे।
आरती में उमड़ती है भीड़
कनक दण्डवत कर यात्रा कर रहे डॉ.बारहठ के साथ एक सहयोगी व एक वाहन चालक है, लेकिन वे जहां से गुजरते है अथवा अपना पड़ाव डालते है। उस स्थान पर हवन व आरती करते है। इस दौरान आसपास क्षेत्र से सैंकड़ों की संख्या में श्रद्धालु उमड़ पड़ते है। ऐसी मान्यता है कि करणी माता चील (संवळी) के रूप में अपने भक्तों को दर्शन देती है। जब प्रतिदिन सुबह साढ़े 11 बजे डॉ.बारहठ अपने साथ चल रहे वाहन में पूजा व आरती करते है, उस वक्त वाहन के ऊपर कुछ क्षणों के लिए चीलें मंडराने लगती है। जिसे श्रद्धालु करणी माता का चमत्कार मानते है। मंगलवार को आरती के बाद प्रजापत समाज की ओर से प्रसादी का वितरण किया गया, जिसमें पार्षद श्रीकिशन प्रजापत, सत्यनारायण, खेताराम, हीरालाल सहित समाज के लोग उपस्थित रहे।
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