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शहरी जलापूर्ति व्यवस्था नगरपरिषद के पास रखें या फिर से जलदाय विभाग को दें, चल रहा मंथन

locationजैसलमेरPublished: Oct 25, 2021 08:53:11 pm

Submitted by:

Deepak Vyas

-जलदाय विभाग से मांगा गया है फीडबैक-जैसलमेर समेत आठ शहरों में स्थानीय निकाय पिला रहे पानी

शहरी जलापूर्ति व्यवस्था नगरपरिषद के पास रखें या फिर से जलदाय विभाग को दें, चल रहा मंथन

शहरी जलापूर्ति व्यवस्था नगरपरिषद के पास रखें या फिर से जलदाय विभाग को दें, चल रहा मंथन


जैसलमेर. स्वर्णनगरी जैसलमेर सहित राजस्थान के आठ उन शहरों की जलापूर्ति व्यवस्था को फिर से जलदाय विभाग को सौंपने के संबंध में केबिनेट की एक समिति के निर्णय के बाद सरकारी स्तर पर मंथन शुरू कर दिया गया है। इस संबंध में गत दिनों जलदाय विभाग के प्रमुख सचिव की अध्यक्षता में एक उच्चस्तरीय बैठक जयपुर में आयोजित की गई। जिसमें वित्त विभाग के अधिकारी भी शामिल हुए। बैठक में केबिनेट की बैठक में किए गए विचार विमर्श तथा प्राप्त दिशा-निर्देशों पर मंथन करने के बाद जलदाय विभाग के संभाग स्तरीय अतिरिक्त मु य अभियंताओं के साथ जैसलमेर सहित संबंधित जिलों के अधीक्षण अभियंताओं से फीडबैक लेने का निर्णय लिया गया।
यह मांगी गई जानकारी
जलदाय विभाग के मुख्य अभियंता ने जैसलमेर और सात अन्य शहरों के संबंध में विस्तार से जलापूर्ति व्यवस्था संबंधी वस्तुस्थिति की जानकारी मांगी है। जिसमें वर्तमान में इन शहरों में संचालित पेयजल योजनाओं के साथ नई योजनाओं पर होने वाले खर्च तथा मिलने वाले राजस्व की की जानकारी चाही गई है। इसी तरह से जलापूर्ति व्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए उन योजनाओं के संचालन व संधारण पर होने वाले खर्च की जानकारी भी चाही गई है। यह सारी रिपोर्ट 25 अक्टूबर की शाम तक भिजवाने को कहा गया है।
पिछली गहलोत सरकार का निर्णय
गौरतलब है कि 2008 से 2013 तक चली अशोक गहलोत सरकार के समय में ही जैसलमेर, चौमू, नाथद्वारा, बूंदी, नागौर, नोखा, श्रीगंगानगर और करौली में शहरी क्षेत्र की जलापूर्ति व्यवस्था का जिम्मा जलदाय विभाग से लेकर संबंधित स्थानीय निकाय को सौंप दिया गया था। यह निर्णय 2012-13 में लागू हुआ। इसके बाद से जैसलमेर शहर में नगरपरिषद की तरफ से शहरी आबादी को पानी पिलाने का काम किया जा रहा है। उस समय शहरी निकायों को यह जि मेदारी सौंपने की वजह जल संकट थी। अब सरकार के पास संबंधित शहरों की जलापूर्ति व्यवस्था पुन: जलदाय विभाग को सौंपे जाने की मांग पहुंची है। जिस पर राजधानी में कवायद की जा रही है।
करोड़ों हुए खर्च
जहां तक जैसलमेर शहर का सवाल है, बीते सालों के दौरान नगरपरिषद ने जलापूर्ति व्यवस्था को मजबूत करने के लिए करीब 40 करोड़ रुपए खर्च कर दिए हैं। इससे नई लाइनें बिछाने से लेकर स्रोत से बड़ी साइज की पाइप लाइन के कार्य, नई मशीनरी खरीदने से लेकर अन्य कार्य शामिल है। बीते अर्से के दौरान इसका लाभ भी शहरवासियों को मिला है। बताया जाता है कि बहुत जर्जर ढांचा नगरपरिषद को आठ-नौ साल पहले मिला था, जिसे काफी हद तक सुधार दिया गया है। हालांकि नगरपरिषद के पास व्यवस्था होने से जलापूर्ति में राजनीतिक हस्तक्षेप पहले के मुकाबले काफी बढ़ गया है। पार्षदों से लेकर अन्य प्रभावशाली लोग नियमों के विपरीत भी काम करवाते रहे हैं।
फैक्ट फाइल –
– ०९ साल से नगरपरिषद के पास जलापूर्ति व्यवस्था
– १०६२२ घरेलू कनेक्शन शहरी क्षेत्र में
– ३२४ व्यावसायिक और ४०५ वाणिज्यिक कनेक्शन
– ४५ वार्ड जैसलमेर नगरपरिषद में
हमने किए माकूल प्रबंध
शहरी क्षेत्र में नियमित और पर्याप्त मात्रा में जलापूर्ति के लिए वर्तमान और पूर्व नगरपरिषद बोर्ड की तरफ से हरसंभव कोशिशें किए जाने से हालात पूरी तरह से सुधर चुके हैं। शहरी जल वितरण व्यवस्था को सुचारू बनाए रखना हमारी प्राथमिकता में शामिल रहा है। वैसे भविष्य में यह व्यवस्था किसके द्वारा संचालित होगी, यह राज्य सरकार तय करेगी।
– हरिवल्लभ कल्ला, सभापति, नगरपरिषद जैसलमेर

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