जैसलमेरPublished: Sep 22, 2023 06:42:08 pm
Deepak Vyas
कुरजां ने दिलाई पहचान, अब उनके संरक्षण का इंतजार
लाठी. वन्यजीव एवं पक्षी बाहुल्य क्षेत्र में प्रतिवर्ष सैंकड़ों कुरजां अपना पड़ाव डालती है। हालांकि स्थानीय लोगों की ओर से दाने व पानी की व्यवस्था की जा रही है, लेकिन सरकार व प्रशासन की ओर से कोई पुख्ता प्रबंध नहीं किए जा रहे है। गौरतलब है कि लाठी, धोलिया, भादरिया, खेतोलाई सहित आसपास के तालाबों पर वर्षभर पक्षियों का जमावड़ा लगा रहता है। शीतकाल के दौरान मंगोलिया, चीन, कजाकिस्तान सहित कई देशों से कुरजां पक्षी यहां प्रवास करते है और 6 माह तक तालाबों पर डेरा डालते है। प्रतिवर्ष इनकी संख्या में भी बढ़ोतरी हो रही है। इन प्रवासी कुरजां के संरक्षण की दरकार है, लेकिन प्रशासन गंभीर नजर नहीं आ रहा है। चीन, कजाकिस्तान आदि देशों में सर्दी का असर बढ़ जाने और बर्फबारी शुरू हो जाने पर कुरजां भारत व पश्चिमी राजस्थान का रुख करती है। यहां का मौसम उनके लिए अनुकूल होता है। लगातार 6 माह सितंबर से फरवरी तक यहां पड़ाव डालती है और गर्मी शुरू होने के साथ पुन: प्रस्थान करती है। लगातार 6 माह तक कुरजां के होने वाले पड़ाव से लाठी क्षेत्र को भी विशेष पहचान मिली है।
ये प्रयास हो तो हो सकेगा संरक्षण
- कुरजां की आवक को देखते हुए बर्ड टूरिज्म शुरू करें तो पर्यटकों की आवक हो सकेगी।
- लाठी में आने वाले पक्षियों व कुरजां से संबंधित रिकॉर्ड तैयार किया जाए।
- बर्ड रेस्क्यु सेंटर खोला जाए, ताकि हादसों व बीमारी से पीडि़त पक्षियों का उपचार हो सके।
- तालाबों पर पर्यटकों के लिए सुविधाओं का विस्तार करें।
- कुरजां के संरक्षण के लिए उनके लिए प्राकृतिक आवास उपलब्ध करवाने एवं कुरजां कंजर्वेशन रिजर्व बनाना चाहिए।
- विद्युत लाइनों को भूमिगत करें, ताकि हादसों की रोकथाम हो सके।
खींचन की तर्ज पर हो व्यवस्था
फलोदी के खींचन में प्रतिवर्ष हजारों कुरजां पड़ाव डालती है। जिनके लिए सरकार की ओर से चुग्गाघर, फलोदी-नागौर हाइवे पर दक्षिण दिशा में मैदान, तालाबों के पास से गुजर रही विद्युत लाइनों को भूमिगत करने सहित कई कार्य करवाए गए है। जिससे यहां कुरजां को प्राकृतिक आवास मिल रहा है और उनकी संख्या भी प्रतिवर्ष बढ़ रही है।
सुविधाएं बढ़ें तो अनुसंधान की खुले राह
लाठी व आसपास क्षेत्र में वर्षभर पक्षियों की आवक होती है। इसके अलावा कुरजां पड़ाव डालती है। ऐसे में यहां शोधार्थियों को अनुसंधान के लिए पर्याप्त सुविधाएं मुहैया करवाई जाती है तो उनके लिए यह महत्वपूर्ण स्थान बन सकता है।
होने चाहिए प्रयास
क्षेत्र में हजारों की तादाद में कुरजां का शीतकालीन प्रवास होता है। शोध व पर्यटन के लिहाज से यह काफी महत्वपूर्ण है। सुविधाओं के साथ शोध व पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए प्रयास होने चाहिए।
- राधेश्याम विश्नोई, पक्षी प्रेमी, धोलिया
रेस्क्यु सेंटर की हो स्थापना
क्षेत्र में कुरजां सहित अन्य वन्यजीवों व पक्षियों के लिए रेस्क्यु सेंटर नहीं है। जिससे हादसों में घायलों व बीमार होने पर समय पर उपचार नहीं मिल पाता है। यहां रेस्क्यु सेंटर की स्थापना होनी चाहिए।
- सुमेरसिंह भाटी, वन्यजीवप्रेमी, जैसलमेर