राजमथाई-फलसूण्ड जलप्रदाय योजना के अंतर्गत अलग-अलग गांवों व ढाणियों में करीब 470 किमी पाइपलाइन बिछा सैंकड़ों की संख्या में जीएलआर निर्माण करवाए गए हैं। दूसरी तरफ पाइप लाइनों के रख रखाव का जिम्मा मात्र एक कनिष्ठ अभियंता पर है। वह भी प्रतिनियुक्ति पर कार्यरत है। तकनीकी कर्मचारियों के अभाव में पूरी पाइपलाइन का रख रखाव व टूट जाने पर मरम्मत समय पर संभव नहीं हो रहा है। ऐसे में कई गांवों में स्थित जीएलआर खाली पड़े हैं तथा ग्रामीणों को पेयजल संकट का सामना करना पड़ रहा है।
इस योजना में राजमथाई, बांधेवा, फलसूण्ड गांवों में 42 नलकूप स्थित हैं। इनसे आगे 22 बूस्टिंग स्टेशनों पर जलापूर्ति होती है तथा यहां से करीब 56 गांवों व 167 ढाणियों में पाइपलाइनों के जरिए पानी की आपूर्ति की जाती है। इन पाइप लाइनों के क्षतिग्रस्त होने या कचरा आ जाने की स्थिति में दूर दराज गांवों व ढाणियों में पानी समय पर नहीं पहुंच पाता।
योजनाएं बढ़ी, कर्मचारी नहीं
जलदाय विभाग ने प्रत्येक गांव व ढाणी को पाइपलाइन से जोडकऱ जलापूर्ति तो शुरू कर दी है, लेकिन कर्मचारियों के अभाव में इनका रख रखाव मुश्किल हो रहा है। इस योजना में पंपचालकों, सहायकों, इलेक्ट्रिशियन, फीडर के सभी पद रिक्त हैं। जबकि मात्र 22 बेलदार ही कार्यरत हैं। इससे क्षेत्र की सबसे बड़ी जलप्रदाय योजना दम तोड़ती नजर आ रही है तथा आए दिन ग्रामीणों को पेयजल संकट का समाना करना पड़ रहा है।