शोभायात्रा व हवन के साथ हुए धार्मिक अनुष्ठानजैसलमेर. नाचना गांव में स्थित लक्ष्मीनाथ
मंदिर का 13वां पाटोत्सव शुक्रवार को संपन्न हुआ। गत 13 वर्ष पूर्व 20 मई 2005 वैशाख शुक्ल एकादशी को गांव में माहेश्वरी समाज की ओर से लक्ष्मीनाथ के मंदिर का निर्माण करवाया गया था।
जैसलमेर के पीले पत्थरों से गुजराती शैली पर निर्मित ऐतिहासिक मंदिर में प्रतिवर्ष पाटोत्सव समारोह का आयोजन किया जाता है। इस बार तीन दिन तक पाटोत्सव समारोह का आयोजन किया गया।
शोभायात्रा में झलका उत्साहमंदिर के पाटोत्सव समारोह के तीसरे व अंतिम दिन शुक्रवार सुबह मंदिर से शोभायात्रा निकाली गई। शोभायात्रा में ठाकुरजी की प्रतिमा को एक डोली में सजाया गया तथा बड़ी संख्या में महिलाएं सिर पर कलश लिए हुए चल रही थी, तो पुरुष, युवक युवतियां डीजे की धुन पर नाचते गाते भजन करते हुए चल रहे थे। शोभायात्रा मंदिर से रवाना हुई, जो किला चौक, पदमसिंह भोमियाजी चौक, बस स्टैण्ड, मुख्य बाजार, माहेश्वरियों का मोहल्ला होते हुए पुन: मंदिर पहुंची। इस दौरान जगह-जगह ग्रामीणों की ओर से पुष्पवर्षा कर शोभायात्रा का स्वागत किया गया तथा लोगों की ओर से शीतल पेय पदार्थ व आइसक्रीम का वितरण किया गया। शोभायात्रा से गांव का माहौल धर्ममय हो गया।
यज्ञ में दी आहुतियांशोभायात्रा के बाद मंदिर परिसर में यज्ञ हुआ।
जोधपुर से आए आचार्य पंडित मनीष भाई ओझा के सान्निध्य में वेदपाठी पंडितों की ओर से पूजा-अर्चना करवाई गई। इसके बाद माहेश्वरी समाज के पांच जोड़ों ने हवन कुण्ड में आहुतियां दी। इस दौरान मंदिर सहित आसपास का क्षेत्र वैदिक मंत्रोच्चार से गंूज उठा। हवन के बाद शाम के समय मंदिर में छप्पन भोग की झांकी सजाई गई। इसके बाद आरती कर प्रसादी का वितरण किया गया। इसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने शिरकत की। माहेश्वरी समाज के अध्यक्ष जगदीशप्रसाद चाण्डक ने कार्यक्रम आयोजन में सहयोग करने वाले सभी लोगों का आभार जताया।
सुंदरकांड पाठ का हुआ आयोजनपाटोत्सव समारोह को लेकर मंदिर को आकर्षक रोशनी व फूल मालाओं से सजाया गया। पाटोत्सव की पूर्व संध्या के अवसर पर गुरुवार की रात्रि में मंदिर परिसर में सुंदरकांड के पाठ का आयोजन किया गया। इसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने सुंदरकांड का पाठ किया।