script80 करोड़ छोडिय़े…. केवल 5 लाख में तैयार हो जाएगा ‘बंगला’ | Leave 80 crores.... 'Bangla' will be ready in just 5 lakhs | Patrika News

80 करोड़ छोडिय़े…. केवल 5 लाख में तैयार हो जाएगा ‘बंगला’

locationजैसलमेरPublished: Oct 15, 2021 07:34:09 am

Submitted by:

Deepak Vyas

-डाक बंगलो को फाइव स्टार श्रेणी में लाने की योजना विफल-अब रख-रखाव करने में जिम्मेदारों को आ रहा पसीना-भारी-भरकम राशि का निवेश करने की हिम्मत नहीं जुटा पाए होटल संचालक

80 करोड़ छोडिय़े.... केवल 5 लाख में तैयार हो जाएगा 'बंगला'

80 करोड़ छोडिय़े…. केवल 5 लाख में तैयार हो जाएगा ‘बंगला’


जैसलमेर. विश्व पर्यटन मानचित्र पर जैसलमेर का नाम सामने आते ही दिलोदिमाग में कलात्मक सुंदरता, उत्कृष्ट भवन निर्माण और आधुनिक सुख-सुविधाओं से युक्त होटलों का चित्र उभर आता है, लेकिन यहां आकर डाक बंगलो को देखकर स्थिति उलट नजर आती है। स्वर्णनगरी में महत्वपूर्ण लोकेशन पर बने डाक बंगलों की कायापटल कर इसको फाइव स्टार होटलों की श्रेणी में लाने के लिए 80 करोड़ का प्रोजेक्ट बना, लेकिन निवेशकों के हाथ पीछे लेने से बात नहीं बनी। अब इस डाक बंगलो का सूरते हाल यह है कि जर्जर भवन, झूलती छतें, खराब साधन-संसाधन और झाडिय़ों के बीच भिनभिनाते मच्छर ही इसकी पहचान है। जानकारों का मानना है कि इस भवन पर करीब 5 लाख भी खर्च कर दिए जाए तो डाक बंगलों की सूरत व सेहत दोनों बदल जाएगी। इस लागत से यह भवन फाइव स्टार न सही, लेकिन बेहतर आश्रय स्थल जरूर बन सकेगा। इस राशि से डाक बंगलो की मरम्मत, रंग रोगन, फर्नीचर आदि कार्य करवाए जा सकेंगे, लेकिन निराशाजनक बात यह है कि सरकारी तंत्र का ध्यान अब तक इस ओर नहीं किया गया है। गौरतलब है कि मौजूदा समय में डाक बंगलो में कुल १४ कमरे हैं, जिनमें आठ कमरें ही मौजूदा समय में सेवा देने योग्य है। कलेक्ट्रेट के समीप बने डाक बंगलो में वर्ष पर्यन्त मेहमान आकर ठहरते हैं।
सपना ही रहा सपना: डाक बंगलों को ऐसा दिया जाना था रूप
-जैसलमेर के डाक बंगलो को पीपीपी मोड पर होटल के तौर पर तैयार करवाने की योजना बनाई गई थी, जैसलमेर के सार्वजनिक निर्माण विभाग के डाक बंगलो की डीपीआर तैयार करवाई गई।
-डीपीआर के अनुसार ३०० गुणा ३०० वर्गफीट के क्षेत्रफल वाले डाक बंगलो में भूमिगत पार्किंग सहित ६ मंजिलों में निर्माण कार्य होना था।
-निर्माण कार्य में १६३ कमरे बनवाए जाने थे, जिसमें एक पार्क बनाया जाना भी शामिल था।
-पार्क में फाउंटेन तथा बच्चों के मनोरंजन की भी व्यवस्था की जानी थी।
निवेशकों ने हाथ खींचे तो हट गई सरकारी नजरें
करीब चार वर्ष पहले सार्वजनिक निर्माण विभाग के डाक बंगलो को पीपीपी मोड पर देने की योजना जैसे की कारगर साबित नहीं हुई, सरकारी तंत्र ने अपनी नजरें ही हटा ली। यही नहीं डाक बंगलो की दशा सुधारने की ओर भी ध्यान किसी का नहीं गया। गौरतलब है कि डाक बंगलो का रूप निखारने के लिए कुछ होटल संचालकों से बात भी हुई, लेकिन भारी भरकम राशि को निवेश करने की हिम्मत अब तक कोई जुटा नहीं पाया है।
मांगे है प्रस्ताव, प्रयास जारी
डाक बंगलो को बेहतर रूप देने के लिए निवेशकों से प्रस्ताव मांगे जा रहे हैं। अभी तक सफलता तो नहीं मिली है, लेकिन विभागीय स्तर पर प्रयास जारी है।
-केसराराम पंवार, अधिशासी अभियंता, खंड प्रथम, सार्वजनिक निर्माण विभाग, जैसलमेर
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