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मंत्री ने कहा – महामारी के लक्षण एवं उपायों के बारें में ग्राम पंचायत स्तर तक जागरुकता कार्यक्रम चलाएं

locationजैसलमेरPublished: Aug 09, 2022 07:40:50 pm

Submitted by:

Deepak Vyas

‘जिले में गोवंश में फैली लम्पी स्किन डिजीज के उपचार के पुख्ता हो प्रबंध’

जैसलमेर. अल्पसंख्यक मामलात, वक्फ, उपनिवेशन, कृषि सिंचित क्षेत्र विकास एवं जल उपयोगिता मंत्री शाले मोहम्मद ने कहा कि पशु बाहुल्य जिले में गोवंश में फैली लम्पी स्किन डिजीज जैसी महामारी के उपचार एवं रोकथाम के लिए हर स्तर पर पुख्ता प्रबंध हो। उन्होंने पशु चिकित्सा विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए कि वे इस महामारी के दौरान पूरी सेवा भावना से कार्य कर गौवंश को बचाना सर्वोच्च प्राथमिकता रखें ताकि हम इस बीमारी की रोकथाम में सफल हो सके। अल्पसंख्यक मामलात मंत्री शाले मोहम्मद ने मंगलवार को जिला कलक्ट्री सभाकक्ष में आयोजित लम्पी स्किन डिजीज के सम्बन्ध में जिला अधिकारियों की बैठक के दौरान यह निर्देश दिए। बैठक में जिला कलक्टर टीना डाबी, अतिरिक्त जिला कलक्टर दाताराम, उपखण्ड अधिकारी दौलतराम चौधरी, पूर्व प्रधान अमरदीन फकीर, जिला बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष अमीन खां, समाजसेवी गोविन्द भार्गव, पवन सुदा, लीलाधर दैया के साथ ही पशु पालन विभाग के अधिकारी एवं विकास अधिकारी व आयुक्त नगर परिषद उपस्थित थे।
उपचार पर रखें पूरा फोकस
अल्पसंख्यक मामलात् मंत्री ने गौवंश में फैली लम्पी स्किन डिजीज बीमारी के बारें में विस्तार से फीडबैक लिया एवं उन्होंने अब तक सर्वे किए गए पशुओं, प्रभावित पशुओं, उपचारित पशुओं के साथ ही मृत पशुओं के बारें में जानकारी ली। उन्होंने पशुपालन विभाग के उपनिदेशक को निर्देश दिए कि वे इस बीमारी के सम्बन्ध में सही रिपोर्ट प्रस्तुत करें। जिला कलक्टर टीना डाबी ने बताया कि लम्पी स्किन डिजीज बीमारी की रोकथाम के लिए जिला प्रशासन के स्तर से 38 पशु चिकित्सा दलों का गठन कर प्रभावित क्षेत्रों में उपचार के लिए भेजा जा चुका है एवं पशु चिकित्सा टीमों द्वारा नियमित रूप से संक्रमित पशुओं का उपचार भी किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि इस कार्य के लिए क्षेत्र के उपखण्ड अधिकारी, विकास अधिकारी एवं तहसीलदार एवं नायब तहसीलदार भी प्रभावी मोनिटरिंग कर रहे हैं।
विभाग का दावा- यह है स्थिति
उपनिदेशक पशुपालन डॉ. अशोक कुमार सुथार ने बताया कि 20 जुलाई से 8 अगस्त तक जिले में कुल 85 हजार 111 पशुओं का सर्वे करवाया गया, जिसमें 12 हजार 509 पशु बीमारी से ग्रसित पाए गए, उसमें से 8 हजार 762 पशु उपचार किया जा चुका है एवं उसमें से 3 हजार 787 पशु रिकवर भी हो चुके है। अब तक 408 पशुओं की मृत्यु हुई है।

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