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Rajasthan Election: यहां चुनाव प्रचार के दौरान प्रत्याशियों को सर्दी में भी आ जाता है पसीना

locationजैसलमेरPublished: Nov 21, 2018 01:27:55 pm

Submitted by:

santosh

Rajasthan Election 2018- यहां चुनाव प्रचार के दौरान प्रत्याशियों को सर्दी में भी पसीना आ जाता है और कई बार तो चाय की प्याली के लिए भी लम्बा सफर तय करना होता है।

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दीपक व्यास
जैसलमेर। Rajasthan Election 2018- यहां चुनाव प्रचार के दौरान प्रत्याशियों को सर्दी में भी पसीना आ जाता है और कई बार तो चाय की प्याली के लिए भी लम्बा सफर तय करना होता है। यह हाल है सरहदी जैसलमेर जिले के विधानसभा क्षेत्र जैसलमेर का। भौगोलिक दृष्टिकोण से प्रदेश के सबसे बड़े जैसलमेर जिले की जैसलमेर विधानसभा का क्षेत्र भी प्रदेश ही नहीं बल्कि देश का सबसे बड़ा विधानसभा क्षेत्र है। रेत के समंदर पर बसे इस खूबसूरत सरहदी क्षेत्र में एक छोर से दूसरे छोर तक पहुंचकर चुनाव प्रचार करना प्रत्याशियों के लिए जितना कठिन है, उतना ही चुनौतीपूर्ण यहां मतदान करवाना भी है।
रात के अंधेरे में यदि रास्ता भटक गए तो अगली सुबह तक इंतजार करना भी पड़ जाता हैै। पाकिस्तान से सटी सरहद पर जिले के 28,874 वर्ग किलोमीटर में फैले इस क्षेत्र में 24,522 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र जैसलमेर तहसील व 4352 वर्ग किमी फतेहगढ़ तहसील का शामिल है। 38 हजार वर्ग किमी से अधिक क्षेत्रफल वाला जैसलमेर जिला वर्ष 2008 से पहले एक ही विधानसभा क्षेत्र था। परिसीमन के बाद पोकरण अलग विधानसभा क्षेत्र बना। जिले में क्षेत्रीय व जातिगत गणित का चुनावों परिणामों पर बड़ा प्रभाव रहा परिसीमन के बाद चुनावी गणित, जातिगत आधार और क्षेत्रीय समीकरण में बदलाव आ गया है।
आसान नहीं है क्षेत्र में चुनाव प्रचार
भाजपा प्रत्याशी सांगसिंह भाटी व कांग्रेस प्रत्याशी रूपाराम मेघवाल, दोनों ही यह मानते हैं कि अन्य विधानसभा क्षेत्रों की तुलना में यहां चुनाव प्रचार आसान नहीं है। दूरी अधिक होने व संसाधन सीमित होने के साथ ही यहां की विषम भौगोलिक परिस्थितियां भी कम बाधक नहीं है। इससे प्रत्याशियों को मेहनत अधिक करनी पड़ती है। चुनाव के लिए जैसलमेर विधानसभा क्षेत्र को सात हिस्सों में बांटकर गांवों में प्रचार किया जाता है। प्रत्याशी यहां खड़ाल, बसिया, सोढ़ाण, जसुराटी, नगरकंठा (शहर के आस-पास के क्षेत्र), सम क्षेत्र (सरहद पर बसे गांव) में दिन व समय को विभाजित कर प्रचार-प्रसार करते हैं।
चुनाव कराना अग्नि परीक्षा: पानी, पेट्रोल-डीजल भी रखो साथ
जैसलमेर विधानसभा क्षेत्र में चुनाव करवाना भी निर्वाचन विभाग के लिए चुनौती है। कारण यह है कि क्षेत्र के कई गांव सरहद पर बसे हैं। विधानसभा क्षेत्र के शाहगढ़, धनाना, हरनाऊ, लंगतला जैसे गांवों में चुनाव सामग्री के साथ-साथ कर्मचारियों को पानी की भी व्यवस्था करनी पड़ती है, वहीं पेट्रोल-डीजल भी संरक्षित रखना पड़ता है। कई दूरस्थ गांवों में संबंधित बूथ पर 100 से 150 मतदाता हैं, लेकिन वहां पहुंचना सहज नहीं है। सरहदी गांवों में कई बार छितराई हुई ढाणियों में चुनाव दल के भटकने की आशंकाएं भी बन जाती है।
जयपुर जिले का किशनपोल विधानसभा क्षेत्र राजस्थान का सबसे छोटा विधानसभा क्षेत्र है। ये क्षेत्र मात्र 5.7 वर्ग किलोमीटर में सिमट जाता है, लेकिन यहां 1.96 लाख मतदाता है। इस तरह ये राज्य के सबसे बड़े विधानसभा क्षेत्र जैसलमेर विधानसभा से अत्यन्त छोटा है। ये बात अलग है कि यह मतदाता संख्या के मामले में जैसलमेर वि.स. से ज्यादा छोटा नहीं है। जैसलमेर विधानसभा में 2.24 लाख ही मतदाता है। किशनपोल क्षेत्र राज्य की राजधानी के मुख्य शहर का एक हिस्सा है।
सबसे छोटा विस क्षेत्र किशनपोल, 5.7 वर्ग किमी अत: यहां प्रचार-प्रसार करना बहुत आसान है। यहां प्रत्याशियों को ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ती। इससे उनका श्रम व समय दोनों बचते हैं। हर तरह की सुविधा सुलभ है, जो उन्हें प्रचार-प्रसार में चाहिए होती हैं। इसके अलावा मतदान कर्मियों को भी विशेष परेशानी नहीं होती।
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