खुशहाली के साथ मिला दर्द इन्दिरा गांधी नहर आने के बाद से यहां खेतों में खुशहाली बढ़ी है और गैर आबाद रेगिस्तानी चक आबाद हो गए है, लेकिन इन दिनो कीटनाशक का उपयोग स्वास्थ्य पर भारी पड़ रहा है। जानकारों के अनुसार बीते 17 महीनों में जिले के मोहनगढ़ में युवक, युवतियां, बच्चे व महिलाओं सहित कुल 83 जनों की जान कीटनाशक ने जोखिम में डाल दी है, बावजूद इसके कीटनाशक के सुरक्षित उपयोग को लेकर कोई जागरुकता अभियान नहीं चलाया जा रहा है और ना ही यहां के किसानों को कीटनाशक व यूरिया के उपयोग का प्रशिक्षण ही दिया जा रहा है। हकीकत यह है कि यहां साल दर साल कीटनाशक के दुरुपयोग से आए दिन कीटनाशक से बीमार पडऩे के मामले सामने आ रहे हैं। कड़वी सच्चाई यह भी है कि हर तीसरे दिन कीटनाशक के सेवन से एक व्यक्ति का जीवन संकट में आ रहा है, लेकिन फिर भी जिम्मेदारों की नींद नहीं उड़ी है।
नहीं है सावधानी की जानकारी जानकारों की माने तो क्षेत्र के किसानों को कीटनाशक सुरक्षित करने के उपायो की जानकारी नहीं होने से साल दर साल कीटनाशक के सेवन की घटनाएं बढ़ रही है, जो क्षेत्र के किसानों के जीवन व स्वास्थ्य को लेकर बड़ा खतरा है, लेकिन बावजूद इसके इन्हें जागरुक करने वाला कोई नहीं है।
कीटनाशक का अंधाधुंध उपयोग विशेषज्ञों की माने तो कम मेहनत पर अधिक उपज पाने व मौसम की मार से फसलों को बचाने के लिए किसान अंधाधुंध कीटनाशक का उपयोग कर रहे है। इसका असर फसलों की पोषण क्षमता के साथ आमजन के स्वास्थ्य पर भी पडऩे लगा है।
इनकी हुई मौत नहरी क्षेत्र में गत वर्ष कुल ४७ लोग कीटनाशक सेवन से बीमार पड़े थे। इस वर्ष कीटनाशक के उपयोग से दो लोगों की मौत हो चुकी है। फैक्ट फाइल
– 2 लाख से अधिक किसान है सरहदी जैसलमेर जिले में। – 70 हजार से अधिक किसान मोहनगढ़ क्षेत्र में करते है कृषि कार्य। – 25 हजार से अधिक खेत है जिले के नहरी क्षेत्र में।
– 1200 के करीब खेत मौजूद है मोहनगढ़ नहरी क्षेत्र में