scriptजैसलमेर की सुनहरी रेत से कान्स के रेड कारपेट तक पहुंचे मामे खां | Mame Khan reached the Cannes red carpet from the golden sands of Jaisa | Patrika News

जैसलमेर की सुनहरी रेत से कान्स के रेड कारपेट तक पहुंचे मामे खां

locationजैसलमेरPublished: May 19, 2022 04:19:37 pm

Submitted by:

Deepak Vyas

– विश्व सिनेमा के दिग्गजों के जमावड़े में भारत के पहले लोक कलाकार बने

जैसलमेर की सुनहरी रेत से कान्स के रेड कारपेट तक पहुंचे मामे खां

जैसलमेर की सुनहरी रेत से कान्स के रेड कारपेट तक पहुंचे मामे खां

जैसलमेर. मरुस्थलीय जैसलमेर जिला लोक कला का भी खजाना है। इस बात को एक बार फिर देश ही नहीं दुनिया के सामने साबित किया है, जिले के सत्तो गांव के लोक गायक कलाकार मामे खां ने। उन्होंने फ्रांस के कान्स शहर में आयोजित 75वें फिल्मोत्सव में पहले भारतीय लोक कलाकार के तौर पर शामिल होने का गौरव पाया है। सुनहरी रेत से कान्स के रेड कारपेट पर अलहदा अंदाज में चलते हुए वहां मौजूद देश और दुनिया की फिल्मी हस्तियों व फिल्म प्रशंसकों के साथ विदेशी मीडिया का भी ध्यान अपनी तरफ आकृष्ट करवाया। गौरतलब है कि इस बार कान्स फिल्म फेस्टिवल ने भारत को कंट्री ऑफ ऑनर का सम्मान दिया गया है और भारत से इस मौके पर सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर की अगुआई में गए दल में दिग्गज कलाकारों कमल हासन, आर माधवन, नवाजुद्दीन सिद्धीकी, दीपिका पादुकोण, एआर रहमान, शेखर कपूर आदि के साथ मरुधरा के नगीने मामे खां भी शामिल हैं। कान्स के रेड कारपेट पर चलते हुए मामे खां राजस्थानी पगड़ी, एम्ब्रोयडरी की जैकेट और पठानी सूट में अलग ही छटा बिखेर रहे थे। इस तरह से उन्होंने राजस्थान की वेशभूषा की झलक कान्स में दिखाई। मामे खां ने यहां राजस्थान का बेहद प्रचलित लोकगीत घूमर सुनाया। जिस पर बॉलीवुड की प्रसिद्ध अभिनेत्री दीपिका पादुकोण के साथ पूजा हेगड़े, तमन्ना भाटिया और वाणी त्रिपाठी भी जमकर थिरकीं।
कई फिल्मों में बिखेर चुके आवाज का जादू
उस्ताद राणा खां के पुत्र मामे खां बचपन से ही लोकगीत-संगीत से जुड़े रहे। जैसलमेर के दूरस्थ गांव सत्तो में पले-बढ़े मामे खां को बॉलीवुड में पहला अवसर फिल्म लक बाय चांस में संगीतकार शंकर महादेवन ने दिया। इसके बाद उन्होंने मिर्जया, आय एम, नो वन किल्ड जेसिका, सोन चिडिय़ा और हाल में रिलीज हुई अभिषेक बच्चन की दसवीं फिल्म आदि में अपनी आवाज का जादू बिखेरा है। मंगणियार जाति के मामे खां के घर में लोक गीत-संगीत का वातावरण था और वह भी इस माहौल में रम गए। बताया जाता है कि 1999 में वह पहली बार अपने पिता और अन्य लोक कलाकारों के साथ अमेरिका में प्रस्तुति देने गए थे। तब वह ढोलक पर संगत करते थे। वैसे उन्हें गायन का सबसे ज्यादा शौक था और इसका प्रदर्शन दुनिया के सामने करने का मौका उन्हें बेल्जियम में एक कार्यक्रम के दौरान मिला। कोक स्टूडियो कलाकार मामे खां के एकल एलबम भी रिलीज हो चुके हैं। उन्हें ग्लोबल इंडियन म्यूजिक अवॉर्ड भी मिल चुका है।
राज्यपाल और सीएम ने दी बधाई
कान्स के रेड कारपेट पर वॉक करने वाले भारत के पहले लोक कलाकार मामे खां की उपलब्धि पर राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने उन्हें बधाई दी है। गहलोत ने उनकी इस उपलब्धि पर खुशी जताते हुए कहा कि यह राजस्थान की समृद्ध लोककला के लिए उल्लेखनीय पल है।

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