कबाड़ से जीवंत हो रही मरु संस्कृति
- रंग ला रही नगरपरिषद की पहल
- कला के नमूने पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बने
जैसलमेर
Published: March 26, 2022 04:58:53 pm
जैसलमेर। नगरपरिषद जैसलमेर के पुराने टूटे-फूटे वाहनों के कलपुर्जे और अन्य खराब मशीनरी जो कल तक कबाड़ के तौर पर धूल फांकती रहती थी, आज उनका बेहतरीन इस्तेमाल हो रहा है। इस तरह के कबाड़ से ‘वेस्ट टू आर्ट’ की परिकल्पना को साकार करते हुए मरु संस्कृति के मुख्य उपादान स्थापित किए जा चुके हैं। ऐतिहासिक गड़ीसर सरोवर को निहारने के लिए आने वाले पर्यटकों के आकर्षण में बढ़ोतरी करने के लिए इस तरह के कबाड़ से बने दो विशालकाय ऊंट-ऊंटनी, दिल के आकार की प्रतिकृति और जैसलमेरी परिवेश में सजे-धजे स्त्री-पुरुष की आदमकद प्रतिमाएं तैयार की जा चुकी हैं। इन प्रदर्शित कला के नमूनों को देखते ही पर्यटकों के साथ स्थानीय बाङ्क्षशदे भी वाह किए बिना नहीं रह पाते। ये सब कलाकृतियां उनके लिए फोटो खिंचवाने का नया बैकड्रॉप तथा सेल्फी पॉइन्ट के तौर पर काम भी आ रहे हैं। प्रतिदिन सैकड़ों लोग इन कलाकृतियों को देखते और सराहते हैं।
रंग ला रही पहल
स्वच्छ भारत अभियान के तहत नगरपरिषद जैसलमेर ने यह पहल की है। इसके अंतर्गत कबाड़ से कलात्मक प्रतिमाओं का निर्माण करने के लिए निविदा पिछले अर्से जारी की गई। परिषद की सहायक अभियंता (एसबीएस) रेशु सिंह ने बताया कि फाइन आर्ट से जुड़े दिल्ली के युवाओं के समूह ने इस कार्य को करने का बीड़ा उठाया। उन्होंने नगरपरिषद के खुले परिसर में बैठ कर आकृतियों का निर्माण किया। इसके लिए उन्होंने पुराने तथा पूरी तरह से नकारा हो चुके वाहनों तथा अन्य धातु वाले कबाड़ का चयन किया। उन्हें पूर्ण कलात्मकता के साथ विभिन्न आकृतियों में ढाला। रंग-रोगन कर ऊंट-ऊंटनी का जोड़ा तैयार कर दिया। उनके बीच में दिल के आकार की प्रतिकृति तैयार कर स्थापित कर दी है। जिस पर अंग्रेजी में जैसलमेर लिख दिया। इस तरह से यह लव जैसलमेर का पॉइन्ट बन गया। गड़ीसर के ठीक बाहर बाएं भाग में रेगिस्तान के जहाज को प्रदर्शित किया गया है। ऐसे ही सरोवर जाने के रास्ते के दोनों ओर एक-एक महिला तथा पुरुष की प्रतिमाओं को खड़ा किया गया है। देखने वाले यह देखकर हैरान रह जाते हैं कि कैसे इन कलात्मक नमूनों को वाहनों के कलपुर्जों, बैयरिंग्स आदि का इस्तेमाल कर प्रतिमाएं तैयार की गई हैं। जानकारी के अनुसार आने वाले दिनों में पुराने कबाड़ से चुनकर रबड़ व प्लास्टिक के उपयोग से घोड़ा बनाया जाएगा। जिसे किसी और पर्यटन स्थल पर रखा जाना है। गौरतलब है कि इस तरह के प्रयोग दिल्ली और गुडग़ांव जैसे बड़े शहरों में सार्वजनिक उद्यानों आदि में खूब किया गया है। नगरपरिषद ने गत दिनों के दौरान गड़ीसर सरोवर की पाल के कुछ हिस्सों पर रंगीन आकृतियां भी उकेरी गई हैं। ये भी पर्यटकों के आकर्षण में इजाफा कर रहे हैं।
नवाचार का हिस्सा
जैसलमेर के ऐतिहासिक गड़ीसर सरोवर को देखने के लिए हजारों सैलानी आते हैं। यहां स्वच्छ भारत मिशन के तहत वेस्ट टू आर्ट के तहत तैयार की गई प्रतिमाएं आकर्षण का नया केंद्र बन रही हैं। आने वाले दिनों में नगरपरिषद की तरफ से शहर के सौन्दर्यकरण में बढ़ोतरी करने के लिए कई और प्रोजेक्ट भी हाथ में लिए जाएंगे।
- हरिवल्लभ कल्ला, सभापति, नगरपरिषद जैसलमेर

कबाड़ से जीवंत हो रही मरु संस्कृति
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