जैसलमेरPublished: Dec 02, 2022 08:12:05 pm
Deepak Vyas
-पराक्रम दिवस के रूप में मनाई जाएगी लोंगेवाला युद्ध की वर्षगांठ, होंगे विविध आयोजन
-आगामी 5 दिसम्बर को जैसलमेर मिलट्री स्टेशन पर होगा कार्यक्रम
जैसलमेर. लोंगेवाला युद्ध में जीत की वर्षगांठ के अवसर पर 5 दिसम्बर को प्रात: 9:30 बजे दोपहर 12:30 तक भारतीय सेना की ओर से जैसलमेर मिलिट्री स्टेशन स्थित सैन्य संग्रहालय परिसर में पराक्रम दिवस का आयोजन होगा। समारोह में भारतीय सेना की विभिन्न सैन्य सेवाओं की अलग-अलग टीमों की ओर से कई सैन्य गतिविधियों और मार्शल आर्ट का प्रदर्शन किया जाएगा। उन्होंने बताया कि यह आयोजन आम जनता के लिए खुला रहेगा। जिला कलक्टर टीना डाबी ने बताया कि सभी जिला स्तरीय अधिकारियों और कर्मचारियों को इस समारोह में अनिवार्य रूप से भाग लेने के निर्देश दिए हैं। इसके साथ ही उन्होंने आमजन से भी अपील की है कि वे अधिक से अधिक संख्या में इस कार्यक्रम में भाग लेना चाहिए। जिला कलक्टर ने आदेश जारी कर पुलिसए पेयजल और नगरपरिषद् को आादेश जारी कर कार्यक्रम स्थल पर कानून व्यवस्था के लिए पर्याप्त मात्रा में पुलिस बल तैनात करनेए आगुंतकों के लिए पेयजल व्यवस्था सुनिश्चित करने और और मोबाइल टॉयलेट स्थापित करने के निर्देश दिए हैं। सेना के अधिकारियों के अनुसार इस कार्यक्रम का उद्देश्य उन वीर सिपाहियों को याद करना और उन्हें श्रद्धांजलि देना है, जिन्होंने युद्ध में सर्वोच्च बलिदान दिया। इसके साथ ही इस कार्यक्रम की ओर से लोगों में गर्व की भावना और भूतपूर्व सैनिकों के साथ एकजुटता का संदेश दिया जाएगा।
यह होगा समारोह का आकर्षण
कार्यक्रम के हिस्से के रूप मेंए हथियारों और उपकरणों का प्रदर्शन होगा और सेना की मिक्स्ड मार्शल आट्र्स टीम, मलखंभ टीम और डेयरडेविल्स मोटरसाइकिल टीम का प्रदर्शन भी होगा। राजस्थान के रंगों को प्रदर्शित करने वाला सांस्कृतिक कार्यक्रम एक अतिरिक्त आकर्षण होगा। युवा अधिकारियों के लिए ट्रायथलॉन प्रतियोगिता एक दिन पहले आयोजित की जाएगी और विजेताओं को सम्मानित किया जाएगा। जैसलमेर में होने वाले कार्यक्रमों से पहले, भारतीय सेना के जोधपुर स्थित कोणार्क कोर के जनरल ऑफिसर कमांडिंग, लेफ्टिनेंट जनरल राकेश कपूर लौंगेवाला युद्ध स्मारक पर उन लोगों को श्रद्धांजलि अर्पित करेंगेए जिन्होंने लोंगेवाला की लड़ाई में अपने प्राणों की आहुति दी थी। गौरतलब है कि लोंगेवाला का युद्ध 1971 के भारत पाकिस्तान युद्ध में पश्चिमी मोर्चे पर लड़ी जाने वाली सबसे भयंकर और निर्णायक लड़ाइयों में से एक थी जो की भारतीय सैन्य इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में दर्ज है।