आप मुझे जिताएं, मैं आपको जितवाऊंगा …
जैसलमेरPublished: Nov 13, 2019 05:19:44 pm
जैसलमेर नगरपरिषद के लिए मतदान के बीच अब महज चंद दिन का फासला रह गया है। उम्मीदवार और उनके समर्थक जीत के लिए हरचंद कोशिशें कर रहे हैं। जनसम्पर्क चरम पर पहुंच गया है। प्रत्याशी और पार्टियों के नेता वार्डों की परिक्रमा करने में जुटे हैं। इस बीच मजबूत सामाजिक ताने-बाने वाले जैसलमेर में यह विचित्रता देखने को मिल रही है कि, आपस में सटे हुए वार्डों से लेकर दूर-दराज तक के क्षेत्रों में प्रत्याशी एक हाथ दे, दूसरे हाथ ले की तर्ज पर वोट जुटाने की जुगत भी लगा रहे हैं।
जैसलमेर. जैसलमेर नगरपरिषद के लिए मतदान के बीच अब महज चंद दिन का फासला रह गया है। उम्मीदवार और उनके समर्थक जीत के लिए हरचंद कोशिशें कर रहे हैं। जनसम्पर्क चरम पर पहुंच गया है। प्रत्याशी और पार्टियों के नेता वार्डों की परिक्रमा करने में जुटे हैं। इस बीच मजबूत सामाजिक ताने-बाने वाले जैसलमेर में यह विचित्रता देखने को मिल रही है कि, आपस में सटे हुए वार्डों से लेकर दूर-दराज तक के क्षेत्रों में प्रत्याशी एक हाथ दे, दूसरे हाथ ले की तर्ज पर वोट जुटाने की जुगत भी लगा रहे हैं। आसपास आए वार्डों में तो यह राजनीतिक गुणा-भाग बहुत ज्यादा मायने रख रहा है।
रिश्तेदारियां और जातीय समीकरण
जैसलमेर के कम से एक दर्जन से ज्यादा वार्ड ऐसे हैं, जहां लोगों की रिश्तेदारियां और जातीय समीकरणों की बिसात बिछी हुई हैं। यहां एक ही पार्टी के उम्मीदवार तो आपस में सामंजस्य बैठा कर एक-दूूूसरे के लिए वोटों का इंतजाम कर ही रहे हैं, विपरीत दलों के प्रत्याशी व निर्दलीय और उनके समर्थक भी पीछे नहीं हैं। मसलन जैसलमेर दुर्ग पर इस बार दो वार्ड बन गए हैं। यहां 16 और 17 नं. वार्डों में चुनाव मैदान में डटे प्रत्याशियों के वोट फैले हुए हैं। इसी तरह से वार्ड 11 तथा 12, 14 और 15 व 24, 25 और 37 में भी प्रत्याशियों के समर्थक रहते हैं। ऐसे ही हालात गफूर भ_ा क्षेत्र के तीन वार्डों के अलावा वार्ड 3, 18 आदि के भी हैं। लिहाजा वे एक दूसरे को चेताते भी हैं कि उन्हें उनके वार्ड में हरवाने के लिए कोशिश की तो जवाब में वे भी ऐसा करेंगे। कई प्रत्याशी अपने वार्ड क्षेत्र में चुनाव प्रचार के बीच समय निकालकर दूसरे वार्ड के उम्मीदवारों व उनके समर्थकों के साथ चुनाव प्रचार में भाग लेने आ रहे हैं और वोट व समर्थन की अपील कर रहे हंै। परिषद चुनाव में एक वार्ड के माहौल का प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से काफी असर दूसरे वार्ड में भी देखने को मिल रहा है। जातियों और रिश्तेदारियों का धु्रवीकरण होने से यह मुकाबला काफी रोचक हो रहा है। ऐसे में एक वार्ड का माहौल पड़ौसी वार्ड क्षेत्रों के भाग्य निर्धारण के लिए अहम माना जा रहा हैं।
कांटे की टक्कर में भितरघात का खतरा
शहर के कुछेक वार्डों को छोडकऱ अन्यों में कांटे की टक्कर का अनुमान लगाया जा रहा है। 10 वार्ड ही ऐसे हैं जहां सीधा मुकाबला है, बाकी जगहों पर त्रिकोणात्मक अथवा बहुकोणीय संघर्ष है। कांग्रेस और भाजपा दोनों के बागी भी खम ठोंक रहे हैं। साझा रिश्तेदारियों व जातिगत आधिक्य की वजह से उम्मीदवारों को भितरघात का खतरा बना हुआ है। मतदाता आपसी रिश्तों को बचाने के चलते सबको ‘हां’ ही कह रहे हैं। जब 19 तारीख को नतीजे आएंगे तब वे सबको चौंकाने वाले साबित हो सकते हैं।
वोट ट्रांसफर के दावे
इस बार नगरपरिषद चुनाव में वोट ट्रांसफर करने के दावे भी खूब बढ़-चढकऱ किए जा रहे हैं। रिश्तेदारियों और जातिगत आधार पर एक वार्ड के प्रत्याशी दूसरे वार्ड के उम्मीदवार को वोट ट्रांसफर करवाने में भी जुटे हैं। यहां भी एक हाथ दे, दूसरे से ले वाला सिद्धांत काम में लिया जा रहा है। जातिगत समीकरण का अहम हिस्सा होने से अपने क्षेत्र में अनुकूल माहौल बनाने के लिए एक प्रत्याशी के प्रचार में दूसरे प्रत्याशी को देखा जाता रहा हैं। एक-दूसरे के वार्डों में जाकर जनसंपर्क करने से जातिगत समीकरणों के असर को समझा जा सकता है। वैसे चुनावी माहौल में नब्ज टटोलने, अपने भाग्योदय के लिए संभावनाएं तलाशने व कमजोरियों को समय रहते दूर करने के लिहाज से दूसरे वार्ड क्षेत्रों में प्रत्याशियों की आवाजाही बनी हुई है।