रेगिस्तान का नाम आते ही रेत के धोरे का आभास होता है, लेकिन पश्चिमी राजस्थान में भारत-पाक सीमा से सटे सरहदी जैसलमेर जिले के परमाणु नगरी पोकरण में ऊंची पहाड़ियां स्थित है।
फोटोः पत्रिका
पोकरण (जैसलमेर)। रेगिस्तान का नाम आते ही रेत के धोरे का आभास होता है, लेकिन पश्चिमी राजस्थान में भारत-पाक सीमा से सटे सरहदी जैसलमेर जिले के परमाणु नगरी पोकरण में ऊंची पहाड़ियां स्थित है। इन पहाडिय़ों पर 600 वर्ष पूर्व साथलमेर नाम से बस्ती आबाद थी। लोक मान्यताओं के अनुसार लोकदेवता बाबा रामदेव के काल में भैरव राक्षस के भय से लोग पहाड़ी से नीचे आ गए और पोकरण को बसाया।
आज भी साथलमेर की पहाडिय़ां यहां स्थित पुराना नरासर कुंड, पुराने खंडहर हो चुके मकान अजीत की याद दिलाती है। पोकरण व गोमट के बीच पहाड़ी पर तेज बारिश के दौरान नरासर कुंड का झरना चलने लगता है। शुक्रवार को भी तेज बहाव के साथ यह झरना चला। जिसे देखने युवाओं की भीड़ उमड़ पड़ी। यहां युवाओं ने नहाने का लुत्फ भी उठाया। यदि पर्यटन विभाग की ओर से यहां जाने के लिए सुगम मार्ग की व्यवस्था कर सारसंभाल की जाती है, तो पर्यटकों के लिए एक अच्छा स्थल बन सकता है।