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स्वर्णनगरी में देशी-विदेशी सैलानियों को गुमराह करने का अब नया ट्रेंड

देश-विदेश के सैलानियों को सालाना लाखों की तादाद में आकर्षित करने वाले जैसलमेर में पर्यटन उद्योग को लपका तत्वों से बेहिसाब खतरा है।

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देश-विदेश के सैलानियों को सालाना लाखों की तादाद में आकर्षित करने वाले जैसलमेर में पर्यटन उद्योग को लपका तत्वों से बेहिसाब खतरा है। गत दिनों जैसलमेर आए पुलिस महानिरीक्षक ने दावा किया कि इस सीजन में जैसलमेर को लपका-मुक्त करवा देंगे। उससे भी पहले जिला व पुलिस प्रशासन के निर्देशानुसार सम पुलिस ने जैसलमेर-सम मार्ग पर लपका तत्वों के खिलाफ तगड़ा अभियान चला कर अधिकांश लपकों को अदृश्य कर दिया। हकीकत यह भी है कि जैसलमेर शहर में ही रेलवे स्टेशन, बस अड्डों के अलावा अन्य दर्शनीय स्थलों व बाजारों तक में सैलानियों के साथ धोखाधड़ी करने वाले लपका तत्वों पर अब तक प्रभावी ढंग से अंकुश नहीं लग सका है। आए दिन सैलानियों के साथ ठगी से जुड़े मामले सामने आते हैं। उनके वीडियो सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर वायरल होते हैं और कई बार मामले पुलिस की चौखट तक भी पहुंचते हैं। कई प्रकरणों में सैलानी ठगे जाने का दंश दिल में लेकर यहां से चले जाते हैं। सोशल मीडिया पर जैसलमेर में ठगी जैसी पोस्ट्स से जैसलमेर की साख प्रभावित जरूर हो रही है।

इधर, पर्यटकों को ये भटका रहे

जैसलमेर आने वाले पर्यटकों को कुछ बड़ी होटल्स और नामवर रिसोट्र्स की तरफ से भ्रमित किए जाने का खतरनाक ट्रेंड भी सामने आया है। पत्रिका पड़ताल में यह बात सामने आई है कि हालिया कुछ अर्से के दौरान जैसलमेर और आसपास संचालित होने वाली कुछ होटल्स व रिसोट्र्स संचालक अपने यहां ठहरने वाले प्रीमियम श्रेणी के सैलानियों को जैसलमेर शहर और विशेषकर सैकड़ों साल प्राचीन सोनार दुर्ग, गड़ीसर व पटवा हवेलियों आदि विश्वप्रसिद्ध स्मारकों के बारे में गलत फीडबैक दे रहे हैं। जब पर्यटक मांग रखते हैं कि उन्हें किला देखना है तो उन्हें जवाब मिलता है कि जैसलमेर में 5-7 किले हैं और ऐसा कह कर वे उन्हें सोनार दुर्ग की जगह आसपास के छोटे-मोटे दुर्ग दिखवा देते हैं। पर्यटन से जुुड़े जानकार बताते हैं कि यहां ठहरने वाले देशी-विदेशी सैलानियों को अपनी होटल में ही शॉपिंग करवाने से लेकर अपने द्वारा नियुक्त व्यक्ति के साथ ही होटल के ही वाहन में भ्रमण करवा रहे हैं। ऐसे में सैलानी जैसलमेर के नायाब स्थलों का भ्रमण नहीं कर पाते

यूं समझे ठगी के खेल को

  • जैसलमेर में रेल-बस से पहुंचे चाहे निजी वाहन से, पर्यटकों के सामने सबसे बड़ी चुनौती स्वयं को लूट का शिकार होने से बचाने की रहती है। होटलों और रिसोट्र्स के लिए काम करने वाले लपका प्रवृत्ति के लोग उन्हें सब्जबाग दिखा कर भ्रमित करने पर उतारू हो जाते हैं। सबसे पहले उन्हें जैसलमेर में महज 200-300 रुपए में कमरा देने का ऑफर दिया जाता है। फिर बाद में गाड़ी किराया और रिसोर्ट में ठहराने के नाम पर उनसे मनमाना पैसा वसूला जाता है।
  • जैसलमेर और विशेषकर सम में होटल्स व रिसोट्र्स की फेक आइडी बनाकर ऑनलाइन ठगी भी की जाती रही है। हालांकि जैसलमेर पुलिस ने करीब पौने दो सौ ऐसे फर्जी रिसोट्र्स की ऑनलाइन दुकानदारी बंद करने में बड़ी सफलता गत दिनों अर्जित की है।
  • हैंडीक्राफ्ट का सामान बेचने वाले कई व्यवसायी पर्यटकों को बातों के भ्रमजाल में फंसा कर सामान कई गुना ज्यादा भावों में बेचने से गुरेज नहीं करते। ठगी से अनजान सैलानियों को धक्का तब पहुंचता है, जब किसी और दुकान या स्थान पर वही वस्तु उन्हें कम भाव पर खरीदने के लिए उपलब्ध मिलती है।
  • दुर्ग ले जाना हो या रेलवे स्टेशन या किसी अन्य ठौर, सैलानियों को कहीं भी लाने-ले जाने के लिए तिपहिया संचालक मनमाने दाम मांगते हैं। आज तक उनकी दर सूची परिवहन विभाग तय नहीं कर पाया है।

जैसलमेर की छवि को नुकसान

कुछ बड़ी होटलों के संचालकों की तरफ से अपने यहां रुकने वाले पर्यटकों को जैसलमेर के बारे में गलत जानकारियां दी जा रही हैं। इस वजह से उनके यहां ठहरने वाले अधिकांश सैलानी शहर में भ्रमण के लिए पहुंचते ही नहीं हैं। ऐसे में जैसलमेर की छवि और को सर्वाधिक नुकसान हो रहा है।

  • विमल गोपा, पर्यटन व्यवसायी, जैसलमेर

सम क्षेत्र में फिलहाल शांति

जैसलमेर से सम जाने वाले मार्ग में लपका तत्वों पर लगभग पूरी तरह से अंकुश लग चुका है। इसके लिए हमने पुलिस प्रशासन का धन्यवाद भी अदा किया। जैसलमेर शहर में भी वही सख्ती बरती जानी चाहिए।

  • कैलाश व्यास, अध्यक्ष, सम कैम्प्स एंड रिसोट्र्स वेलफेयर सोसायटी