पौराणिक मान्यताओं के अनुसार हिरण्यकश्यप के अत्याचारों से आमजन को मुक्ति दिलाने के लिए विष्णु भगवान ने नृसिंह अवतार लिया। उन्होंने भक्त प्रहलाद की भक्ति से प्रसन्न होकर हिरण्यकश्यप का वध किया। इसी उपलक्ष्य पर प्रतिवर्ष नृसिंह चतुर्दशी का पर्व मनाया जाता है। शनिवार को भी यह पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। शोभायात्रा सोनारों की गली से रवाना हुई तथा सदर बाजार होते हुए चारभुजा मंदिर पहुंची। यहां सूर्यास्त से पूर्व साढे सात बजे चारभुजा मंदिर की चौखट पर हिरण्यकश्यप का वध किया गया तथा वध कार्यक्रम के पश्चात् भक्त प्रहलाद की जय जयकार के साथ मंदिर में पुजारी के सानिध्य में आरती की गई तथा प्रसाद का वितरण किया गया।
झांकी का जगह-जगह स्वागत
नृसिंह भगवान व भक्त प्रहलाद की झांकी का बाजार में लोगों ने गुलाल व अबीर डालकर स्वागत किया तथा नृसिंह भगवान व प्रहालद के जयकारे लगाए गए। युवक युवतियां नाचते गाते झांकी में चल रहे थे। झांकी के दौरान बाजार में मेले जैसा माहौल हो गया। पूरा वातावरण गोविंद जय-जय, गोपाल जय-जय के नारों से गूंजायमान हो रहा था।