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हिदायतें व नसीहतें हजारों,बजट के नाम पर चुप्पी!

locationजैसलमेरPublished: Feb 14, 2020 09:19:53 pm

Submitted by:

Deepak Vyas

सुस्त चाल से चल रही व्यवस्था अब बजट के अभाव में हांफने लगी है। शिक्षा विभाग के जिम्मेदारों की कथित लापरवाही के कारण यह निराशाजनक स्थिति बनी हुई है। विद्यालय निरीक्षण के नाम पर आए दिन वातानुकूलित कारों में शहर के आस-पास के विद्यालयों में निरीक्षण के नाम पर आंकड़ों की रिपोर्ट बनाकर इतिश्री करने और व्यवस्थाओं के नाम पर नसीहतें व हिदायतें देने वाले शिक्षा महकमे के आला अधिकारी भुगतान के नाम पर ज्यादा कुछ कहने को तैयार ही नहीं है।

Nutritional and milk distribution system in a hopeless situation

हिदायतें व नसीहतें हजारों,बजट के नाम पर चुप्पी!

जैसलमेर@दीपक व्यास . सुस्त चाल से चल रही व्यवस्था अब बजट के अभाव में हांफने लगी है। शिक्षा विभाग के जिम्मेदारों की कथित लापरवाही के कारण यह निराशाजनक स्थिति बनी हुई है। विद्यालय निरीक्षण के नाम पर आए दिन वातानुकूलित कारों में शहर के आस-पास के विद्यालयों में निरीक्षण के नाम पर आंकड़ों की रिपोर्ट बनाकर इतिश्री करने और व्यवस्थाओं के नाम पर नसीहतें व हिदायतें देने वाले शिक्षा महकमे के आला अधिकारी भुगतान के नाम पर ज्यादा कुछ कहने को तैयार ही नहीं है। उनका जवाब बस यही रहता है कि प्रोसेस में हैं। अनाज, दूध व सब्जी के विक्रेता भुगतान के लिए स्कूल का चक्कर लगा रहे हैं, तो कहीं स्कूल के शिक्षकों को जेब से भुगतान कर व्यवस्था को चलाना पड़ रहा है। सरकारी विद्यालयों में कुकिंग कनवर्जन से लेकर दूध योजना और बालसभा के आयोजन से लेकर वार्षिकोत्सव की राशि तक का भुगतान अब तक नहीं हो पाया है। ऐसे में उधारी में यह व्यवस्था कितनी लंबी चल सकेगी, इसका अनुमान लगाया जा सकता है। विद्यालयों में पढऩे वाले विद्यार्थियों के पोषाहार और दूध की व्यवस्था अपने जेब से भुगतान कर संबंधित संचालकों को करनी पड़ रही है। पत्रिका पड़ताल में यह बात सामने आई है कि कई विद्यालयों में छह महीने से अन्नपूर्णा दूध योजना के तहत दूध का भुगतान नहीं हो पा रहा है। रोजी-रोटी के जुगाड़ में अन्य जिलों से आए शिक्षक-शिक्षिकाओं को अपने वेतन की राशि का एक हिस्सा पोषाहार सामग्री के भुगतान और दूध के बिल को चुकाने में देना पड़ रहा हैै। सरकारी विद्यालयों में तो इन दिनों व्यवस्था यह है कि स्टाफ के कभी किसी सदस्य तो कभी किसी और किसी ओर सदस्य को जेब से ही पोषाहार व दूध का भुगतान करना पड़ रहा है। विभागीय जिम्मेदार यह मानते हैं कि बजट के अभाव में ये योजनाएं गलफांस बनती जा रही है। जिम्मेदारों की कथित नाकामी सरकारी विद्यालयों के विद्यार्थियों की जेब पर भारी पड़ रही है। चार माह से बजट नहीं मिलने के कारण शिक्षकों को अपने स्तर पर दूध की व्यवस्था करनी पड़ रही है। जिससे शिक्षकों को खासी परेशानी होती है। बजट नहीं मिलने से इन व्यवस्थाओं के बंद होने की आशंका कई विद्यालयों में बनी हुई है। बावजूद इसके शिक्षा विभाग की ओर से बजट आवंटित करने को लेकर कोई कवायद नहीं की जा रही है। जिले के बाहरी जिलों से यहां नियुक्त शिक्षिकाओं को तो परिवीक्षण काल में आर्थिक परेशानियां झेलनी पड़ रही है। जानकारी के मुताबिक अन्नपूर्णा दूध योजना के अंतर्गत दूध का भुगतान करना अगस्त महीने से अक्टूबर महीने तक शेष हैै। इसी तरह माह कुक कम हेल्पर का मानदेय भुगतान करना शेष है। सरकारी विद्यालयों में कुकिंग कन्वर्जन और दूध का भुगतान बकाया होने से ग्रामीण क्षेत्रों में कई विद्यालयों में कर्ज के कारण दूध वितरण भी समय पर नहीं हो रहा है।
पत्रिका ने उठाया था मुद्दा
गत 23 नवंबर को ‘उधारी पर व्यवस्था, बेपरवाह जिम्मेदारÓ शीर्षक से समाचार प्रमुखता से प्रकाशित करने के बाद जिम्मेदार महकमे ने एकबारगी राशि जमा करा दी थी। अब एक बार फिर पोषाहार, दूध वितरण के साथ वार्षिकोत्सव व बाल सभा के आयोजन को लेकर निर्धारित राशि भी अटकी हुई है।

यह है भुगतान का प्रावधान
– कक्षा 6 से 8 तक के विद्यार्थियों के लिए 6.71 रुपए व कक्षा 1 से 5 तक के विद्यार्थियों के लिए 4.48 रुपए निर्धारित है।
– कुक कम हेल्पर को प्रतिमाह 1320 रुपए मानदेय दिए जाने का नियम है।
– मुख्यमंत्री अन्नपूर्णा दूध योजना के अंतर्गत कक्षा एक से आठ तक के छात्र छात्राओं को दूध का वितरण किया जाता है।
– कक्षा एक से पांचवीं तक के विद्यार्थियों को 100 व कक्षा छह से आठवीं तक के विद्यार्थियों को 150 एमएल दूध दिया जाता है।
– इसके अलावा मदरसों, मॉडल स्कूल में अध्ययनरत छात्रों को भी दूध दिया जाता है। जिसका बजट शिक्षा विभाग की ओर से विद्यालयों के खातों में जमा किया जाता है।
– दूध का भुगतान प्रति लीटर 37 रुपए ग्रामीण व 42 रुपए शहरी के अनुसार भुगतान किया जाता है।

फैक्ट फाइल
– ९७८ विद्यालय प्रारंभिक स्तर के संचालित हो रहे सरहदी जिले में
-५६, ३११ विद्यार्थी वर्तमान में पढ़ रहे हैं प्रारंभिक स्तर के विद्यालयों में
-१८८ माध्यमिक व उच्च माध्यमिक विद्यालय संचालित हो रहे है सरहदी जिले में
-५७,३११ विद्यार्थी वर्तमान में पढ़ रहे हैं माध्यमिक विद्यालयों में

भुल गए बालसभा व वार्षिकोत्सव का भी भुगतान
विद्यालयों में बालसभा के आयोजन और वार्षिकोत्सव की राशि का भुगतान भी अधिकांश विद्यालयों में अटका हुआ है। बालसभा के लिए प्रति विद्यालय निर्धारित क्रमश: ५०० व १००० रुपए की राशि अभी तक प्राप्त नहीं हुई है। इसी तरह वार्षिकोत्सव के आयोजन के लिए आदर्श व उत्कृष्ट विद्यालयों के लिए क्रमश: १० हजार और ५ हजार रुपए की राशि भी विद्यालयों को अब तक नहीं मिल पाई है।
जिम्मेदारों का जवाब – प्रोसेस में हैं…

मैं ट्यूर पर हूं। मेेरे पास आंकड़े नहीं है। इसलिए कुछ बता नही सकती। प्रक्रिया प्रोसेस में चल रही है।
-बलवीर तिवारी, मुख्य ब्लॉक शिक्षा अधिकारी, जैसलमेर
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