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स्वर्णनगरी जैसलमेर पहुंचा “पहियों पर महल”, 1982 में पहली बार शुरू हुआ था “पैलेस ऑन व्हील्स” का सफर

locationजैसलमेरPublished: Sep 09, 2018 05:29:51 pm

Submitted by:

rohit sharma

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palace on wheel

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जैसलमेर।

दुनिया की सबसे आरामदायक ट्रेनों की लिस्ट में शुमार ‘पैलेस ऑन व्हील्स’ रविवार सुबह स्वर्णनगरी जैसलमेर पहुंची। यात्रियों को राजसी ठाठ-बाट साथ ही अत्याधुनिक सुविधाओं का एक साथ अहसास करवाने वाली ‘पैलेस ऑन व्हील्स’ सीजन के पहले फेरे पर रविवार को 32 यात्रियों के साथ जैसलमेर पहुंची।
रेलवे स्टेशन पर पहुंची शाही रेल के यात्रियों का परंपरागत रूप से स्वागत किया गया। भारतीय रेलवे और पर्यटन विभाग की साझेदारी में चलने वाली शाही ट्रेन भीतरी साज-सज्जा के लिहाज से तो कुछ अरसे पहले बदला ही गया है, बाहर से रंग तथा डिजाइन में भी परिवर्तन करवाया गया है।
गौरतलब है कि सुविधाओं में बढ़ोतरी के बावजूद रेल के किराए में वृद्धि नहीं की गई है और यह पुरानी दरों पर ही संचालित की जा रही है। शाही रेल में आए यात्रियों ने जैसलमेर के सोनार किले, गड़ीसर सरोवर, कलात्मक हवेलियों, सम के रेतीले धोरों आदि का भ्रमण किया और अभिभूत नजर आए।
बता दें कि राजस्थान पर्यटन विकास निगम (आरटीडीसी) अपनी शाही रेलगाड़ियों में शामिल “पैलेस ऑन व्हील्स” की यात्रा का पहला फेरा नई दिल्ली से 5 सितंबर की सुबह से शुरू हुआ था। शाही रेल गाडी पर्यटकों को बेहद खास और यादगार और रॉयल सफर करवाने के लिए चलाई जा रही है। इसलिए रेलगाड़ी का मार्ग भी भारत की कुछ चुनिंदा जगह रखा है। इन जगहों में दिल्ली, जयपुर, सवाईमाधोपुर, चित्तौड़, उदयपुर, जैसलमेर, जोधपुर, भरतपुर, आगरा शामिल हैं।
“पैलेस ऑन व्हील्स” को आलीशान रेलों की श्रेणी में चौथे नंबर पर आंका गया है। “पैलेस ऑन व्हील्स” की तर्ज पर 7 अलग अलग ट्रेनें भी चलाई जा रही हैं। सबसे अच्छी बात यह है कि सभी ट्रेनें भारत के लगभग हर उस राज्य में चलाई जा रही है जो पर्यटन की दृष्टि से महत्वपूर्ण है। इन ट्रेनों में “महाराजा एक्सप्रेस”, “द गोल्डन चेरियट”, “डेकन ओडिसी”, “रॉयल राजस्थान ऑन व्हील्स”, “फैरी क्वीन” और “महापरिनिर्वाण एक्सप्रेस” है।
1982 में चली थी पहली बार “पैलेस ऑन व्हील्स”

राजसी सुविधाओं से भरपूर “पैलेस ऑन व्हील्स” की शुरूआत 26 जनवरी 1982 से हुई और तब से आज तक इन 32 सालों में “पैलेस ऑन व्हील्स” करीब 50,000 यात्रियों को आलीशान हवेलीयों, शानदार कीलों और रेत के टीलों की सवारी करवा चुकी है। भारतीय रेलवे और राजस्थान पर्यटन विभाग की इस पहल का उद्देश्य राजस्थान में पर्यटन और पर्यटकों को बढ़ाना और पर्यटकों को यादगार मुसाफरी का अनुभव देना है।
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