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पंचायतीराज चुनाव: फकीर परिवार की बगावत से बिगड़ेंगे समीकरण

locationजैसलमेरPublished: Nov 23, 2020 07:10:19 pm

Submitted by:

Deepak Vyas

रहस्य-रोमांच से भरपूर हुए पंचायतीराज चुनाव-कांग्रेस की कलह का फायदा उठा पाएगी भाजपा

पंचायतीराज चुनाव: फकीर परिवार की बगावत से बिगड़ेंगे समीकरण

पंचायतीराज चुनाव: फकीर परिवार की बगावत से बिगड़ेंगे समीकरण

जैसलमेर. धरती धोरां के चार चरणों में होने जा रहे पंचायतीराज चुनावों का मंच पूरी तरह सज चुका है। पहले चरण में मोहनगढ़ और नाचना पंचायत समितियों में चुनाव सोमवार को होगा। इसके बाद 27 तारीख को सांकड़ा व भणियाणाए 1 दिसम्बर को जैसलमेर व फतेहगढ़ तथा सबसे आखिर में सम पंचायत समिति क्षेत्र में 5 दिसम्बर को चुनाव होंगे। जैसलमेर विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस की टिकट नहीं मिलने से नाराज फकीर परिवार की बगावत से यह चुनाव रोचक होने के साथ.साथ रहस्य से भरपूर हो गए हैं। जैसलमेर तथा सम पंचायत समितियों में इस परिवार के चार सदस्य खुद निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं तो जैसलमेर क्षेत्र में कई जिला परिषद व समिति क्षेत्रों में उनके समर्थक कांग्रेस व भाजपा का चुनावी गणित बिगाडऩे में सक्षम नजर आ रहे हैं। किसी को नहीं पता, इस बगावत का अंजाम क्या होगा। आगामी 8 दिसम्बर को जब मतगणना होगीए तभी तस्वीर साफ हो पाएगी। इतना तय है कि फकीर परिवार की बगावत से कई पार्टी प्रत्याशियों की किस्मत अस्त या सिकंदर हो जाएगी।
1985 में सफल, 1993 में विफल
-1985 में इस परिवार ने निर्दलीय के रूप में तब के अनजान युवा मुल्तानाराम बारूपाल को मुस्लिम-मेघवाल गठबंधन बनाकर निर्दलीय के रूप में विधायक बनवा दिया था।
-वर्ष 1993 में गाजी फकीर के छोटे भाई फतेह मोहम्मद को कांग्रेस ने टिकट नहीं दी, तब उन्हें निर्दलीय मैदान में उतारा गया।
-उस समय कांग्रेस उम्मीदवार डमी हो गए और भाजपा के गुलाबसिंह रावलोत ने 30 हजार से अधिक वोटों से जीत हासिल की।
-फतेह मोहम्मद चुनाव भले ही हार गए, लेकिन कांग्रेस में गाजी फकीर की हैसियत इतनी बढ़ गई कि उसके बाद के विधानसभा चुनावों में जैसलमेर जिले से पार्टी की टिकट के फैसले में इसी परिवार की मर्जी निर्णायक मानी जाती रही है।
-इस बार हालात बदल गए। जिस पंचायतीराज चुनावों का यह परिवार महत्वपूर्ण माना जाता है, उसके सदस्यों को ही कांग्रेस की टिकट नहीं मिली। -जैसलमेर विधायक रूपाराम मेघवाल बार.बार यह कह रहे हैं किए फकीर परिवार ने टिकट मांगा ही नहीं तो टिकट कटने का सवाल नहीं उठता।
अब आगे क्या
फकीर परिवार के चार सदस्य तथा करीब 15 समर्थक जिला परिषद, सम व जैसलमेर समिति के वार्डों में बतौर निर्दलीय भाग्य आजमा रहे हैं। जानकारों के अनुसार अब यह देखना दिलचस्प होगा कि मुस्लिम मतों पर पकड़ के साथ अन्य जातियों में प्रभाव से क्या यह परिवार कांग्रेस व भाजपा दोनों के अधिकृत प्रत्याशियों के परिणामों को प्रभावित करने में कामयाब हो पाएगा? जिला परिषद के वार्ड नं. 3 से विधायक की पुत्री कांग्रेस की अंजना मेघवाल, 7 से पुत्र हरीश धनदेव चुनाव मैदान में हैं।
नजरें इस पर भी टिकी
इस बात पर हर किसी की नजर है कि हमेशा कांग्रेस के पक्ष में बढ़.चढ़कर मतदान करने वाले मुस्लिमों का मत इस बार चुनिंदा जगहों पर स्विंग हो जाएगा। जैसलमेर विधायक रूपाराम इससे कई बार इनकार कर चुके हैं।
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