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पत्रिका अभियान- सिकुड़ता-सिमटता पोकरण- पूर्व में हुए अतिक्रमणों को मिल गए पट्टे, नियमों की आड़ में चल रहा अवैध कब्जों का खेल

locationजैसलमेरPublished: Apr 27, 2018 09:11:57 am

Submitted by:

jitendra changani

सख्ती के नाम पर बस कागजी चेतावनी, पत्रिका पड़ताल में सामने आया सच,

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पोकरण (जैसलमेर). सरकारी भूमि पर हो रहे अतिक्रमणों को लेकर ‘सख्ती’ केवल कागजी चेतावनी तक सिमट गई है। उधर ऐेसे भी मामले सामने आ रहे हैं, जहां सरकार की ओर से अतिक्रमणों का नियमन कर उन्हें पट्टे दिए जा रहे है। पत्रिका पड़ताल में यह बात सामने आई है कि बसी कॉलोनियों में विकास कार्य करवाने के साथ अवैध कब्जा कर मकान तक बनाकर दिए जाते है। ऐसे में सरकारी जमीन अतिक्रमण की भेंट चढ़ जाती है।
वर्ष 1990 से 2000 तक पोकरण में अतिक्रमणों की बाढ़ आई तथा फलसूण्ड रोड पर शिवपुरा, अंबेडकर कॉलोनी के पास खींवजबास, रामदेव कॉलोनी के पास महासागर बस्ती, सुधलाई तालाब के आगोर, भवानीपुरा के पास माधोपुरा व भवानीपुरा सहित कई कॉलोनियां बस गई। यहां सैंकड़ों की संख्या में अतिक्रमण हुए। वर्ष 2004 से 2008 तक और उसके बाद वर्ष 2008 से 2013 तक अभियान चलाकर उन्हें नियमन कर न केवल पट्टे दिए गए, बल्कि उन्हें पक्के निर्माण के लिए धनराशि तक आवंटित की गई। इन कॉलोनियों में कच्ची बस्ती विकास योजना के अंतर्गत विकास कार्य भी करवाए गए। यहां सडक़, नाले नालियों के निर्माण, सीवरेज लाइन, रोड लाइटें लगाने का कार्य भी किया गया। सरकार की इसी नीति के चलते लोगों में अतिक्रमण की संस्कृति भी बढ़ती गई।

हकीकत यह भी
सरकार की ओर से समय-समय पर हो रहे अतिक्रमणों को पट्टे जारी करने, मकान निर्माण करवाने, शौचालय बनाने पर राशि खर्च करने के साथ कॉलोनियों में विकास कार्य करवाकर अतिक्रमण को पुख्ता करने से लोगो में अतिक्रमण प्रवृति को बढावा मिला है। आए दिन नगरपालिका के खाली पड़े भूखण्डों पर नए कब्जे देखने को मिल रहे है तथा रातोंरात मकान खड़े हो रहे है।

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