पूर्व में पोकरण जमीनों की कीमत ज्यादा नहीं थी। 40 से 50 हजार रुपए तक 25 गुणा 50 का भूखण्ड सहज उपलब्ध हो जाता है। वर्ष 2009 के बाद सौर व पवन ऊर्जा कंपनियों के क्षेत्र में प्रवेश करने के बाद जमीनों की कीमतें आसमान छूने लगी। वर्तमान में 25 गुणा 50 का भूखण्ड पांच से सात लाख रुपए में भी उपलब्ध नहीं हो रहा है। ऐसे में भूखण्ड नहीं मिलने पर लोगों की ओर से सरकारी भूमि का रुख किया जाता है और शुरू हो जाता है कब्जों का दौर।
बस गई कॉलोनियां
कस्बे में फलसूण्ड रोड पर कभी खुला मैदान हुआ करता था। वर्ष 2009 में यहां अवैध कब्जों की ऐसी बाढ आई कि पूरी कॉलोनी बस गई। जहां कुछ लोगों की झोंपडिय़ां नजर आती थी, वहां अब सैंकड़ों मकान बन चुके है। पूरी कॉलोनी अवैध कब्जों से स्थापित हुई। जिन्हें नियमों के आधार पर अब पट्टे भी मिल चुके है और नगरपालिका की राशि से कॉलोनी में विकास कार्य भी हो रहे है। इसी अतिक्रमण संस्कृति के चलते कस्बे में आधा दर्जन से अधिक कच्ची बस्तियां बस गई। यहां 80 प्रतिशत अतिक्रमणों का नियमन भी हो गया। जिससे लोगों की अतिक्रमण करने की लालसा और बढावा मिला।
फैक्ट फाइल:-
– 5 किमी क्षेत्रफल में फैला है पोकरण
– 27 हजार के करीब आबादी करती है निवास
– 20 वार्ड मौजूद है पोकरण नगरपालिका क्षेत्र में
– 6 से अधिक सरकारी कॉलोनियां है पोकरण में