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ग्रामीण बस स्टैंड परिसर में पसरी गंदगी, बोतल से बुझती है प्यास

locationजैसलमेरPublished: Feb 16, 2020 09:02:22 pm

Submitted by:

Deepak Vyas

चारों बिखरी गंदगी, विश्राम स्थल पर कचरे के ढेर, बंद दुकानों व भवन के आस-पास उगे झाड़-झंखाड़, टूटी सड़कें, शराब की बोतलों के बिखरे कांच, पीने के पानी की कोई व्यवस्था नहीं…यह स्थितियां किसी ग्रामीण इलाके की नहीं बल्कि जिला मुख्यालय के डेडानसर मार्ग स्थित ग्रामीण बस स्टैंड की है।

Perturbations Rural bus stand campus in jaisalmer

ग्रामीण बस स्टैंड परिसर में पसरी गंदगी, बोतल से बुझती है प्यास

जैसलमेर. चारों बिखरी गंदगी, विश्राम स्थल पर कचरे के ढेर, बंद दुकानों व भवन के आस-पास उगे झाड़-झंखाड़, टूटी सड़कें, शराब की बोतलों के बिखरे कांच, पीने के पानी की कोई व्यवस्था नहीं…यह स्थितियां किसी ग्रामीण इलाके की नहीं बल्कि जिला मुख्यालय के डेडानसर मार्ग स्थित ग्रामीण बस स्टैंड की है। वर्ष 2001 में आइडीएसएमटी योजना के तहत निर्मित विश्राम स्थल व ग्रामीण बस स्टैंड अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रहे हैं। कहने के लिए तो यह बस स्टैंड शहर का सबसे बड़ा बस स्टैंड है, लेकिन सुविधाओं के नाम पर यहां कुछ नहीं है। ऐसे में ग्रामीण क्षेत्र के यात्रियों के साथ बस चालकों व अन्य स्टाफ को काफी असुविधाओं व परेशानियों से दो-चार होना पड़ रहा है।
झाडिय़ों से अटा पड़ा बस स्टैंड
डेडानसर रोड पर बने इस ग्रामीण बस स्टैंड में चारों तरफ अवांछनीय झाडिय़ों का जंजाल बना हुआ है। झाडिय़ों के साथ साफ-सफाई का पूर्णतया अभाव है। ऐसे में हर समय विषैले जीव-जन्तु के काटने का भय भी बना रहता है। बस स्टैंड पर बने विश्राम गृह व सुलभ शौचालय भी बबूल की झाडिय़ों के पीछे ढंक गए हैं। विश्राम गृह में जगह-जगह से प्लास्टर व फर्श भी टूटने लगा है, जिससे हादसे का खतरा बना रहता है। दिन में यहां से बसों की आवाजाही होती है और शाम से लेकर रात के समय यह जगह शराबियों के अड्डे में तब्दील हो जाती है। मनचले शराबी यहीं पर खाली बोतलें फोड़ कर चले जाते हैं। यही वजह है कि बस स्टैंड के फर्श पर हर कहीं कांच के बिखरे टुकड़े हैरान कर देते हैं।
सीमित क्षेत्र के लिए बसों का संचालन
शहर के एक कोने में आने से इस ग्रामीण बस स्टैंड से रामगढ़, मोहनगढ़, पारेवर, सम, नेहड़ाई, नहरी क्षेत्रों के लिए प्रमुख रूप से बसों का संचालन होता है। जिले के बसिया क्षेत्र की बसों की आवाजाही गत वर्षों से बाड़मेर मार्ग स्थित स्टैंड से होने लगी है। यही कारण बस ऑपरेटर भी मुश्किल दौर से गुजर रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्रों के रुट पर चलने वाली बसों में भी पूर्व की तुलना में भीड़ कम देखने को मिलती है। यात्री बताते हैकि शहर के करीब 3 किलोमीटर दूर होने के कारण उन्हें बस जितना ही किराया शहर में जाने के लिए टैक्सी वालों को देना होता है। जिससे उन्हें अर्थिक नुकसान झेलना पड़ता है।
पीने के पानी का भी बंदोबस्त नहीं
ग्रामीण बस स्टैंड पर यात्रियों को पीने के पानी की बुनियादी सुविधा भी उपलब्ध नहीं है। यहां सार्वजनिक प्याऊ नहीं होने से यहां आने पहुंचने वाले ग्रामीणों व यात्रियों को काफी परेशानी झेलनी पड़ती है। बस ऑपरेटर महेश पुरोहित ने बताया कि उन्होंने विगत वर्षों के दौरान नगरपरिषद प्रशासन से प्याऊ की स्थापना करने के लिए जगह मुहैया करवाने की कई बार गुहार लगाई, लेकिन उन्हें इजाजत नहीं दी गई। स्टैंड पर नगरपरिषद की ओर से बनाई गई करीब 35 दुकानों पर ताले ही लटके हैं। बमुश्किल दो-तीन दुकानों पर व्यवसाय किया जा रहा है। बस यात्रियों के लिए चाय-पानी का इंतजाम वहां रखी कुछ केबिनों व ठेलों से होता है। बस स्टैंड पर परिषद की ओर से बनवाया गया रैन बसेरा भी आमजन और बसों के स्टाफ आदि के उपयोग में नहीं आ रहा।
फैक्ट फाइल –
– 2001 में बना ग्रामीण बस स्टैंड
– 03 किलोमीटर दूर स्टैंड
– 30 बसों का स्टैंड से संचालन

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