जैसलमेरPublished: May 11, 2023 08:47:51 pm
Deepak Vyas
मानस पटल पर अंकित है अतीत के वे गौरवमयी क्षणÓ
- गौरवमयी क्षणों को याद कर आज भी उत्साहित हो जाते हैं क्षेत्र के बाशिंदे
पोकरण. '11 मई 1998, समय दोपहर 2 बजे से 3 बजे के बीच भीषण गर्मी व तेज लू के मौसम में खेतोलाई गांव के चारों तरफ सेना का डेरा। ग्रामीणोंं को मकानों, छप्पर, टिनशेड आदि से दूर रहने की सलाह देकर पेड़ोंं की छांव में बिठाने की समझाइश करते सेना के जवान। अचानक एक के बाद एक तीन बार तेज धमाके होते है और गांव से कुछ दूर उत्तर-पश्चिम दिशा में रेत का बवंडर व धुंआ आसमान में उड़ता हुआ नजर आता। धमाके के बाद लोग कुछ समझ पाते और सेना के जवानों से बात करते, इससे पहले ही जवान गाडिय़ों में सवार होकर रवाना हो जाते है। ग्रामीणों में एकबारगी कौतूहल का विषय हो गया, लेकिन धीरे-धीरे बात फैली और जानकारी मिली कि पोकरण फील्ड फायरिंग रेंज की खेतोलाई की इस धरती ने 3 परमाणु बमों के धमाके सहन कर भारत की ताकत का डंका पूरे विश्व में बजा दिया है।Ó वे गौरवमयी क्षण आज भी ग्रामीण याद कर अपनी छाती चौड़ी कर लेते है और गर्व से कहते है हां हम पोकरण व खेतोलाई केे वाशिंदे है। जिस धरती ने 11 व 13 मई को कुल 5 परमाणु परीक्षणों के धमाके सहन कर अमेरिका की खूफिया एजेंसी सीआइए एवं उपग्रहोंं की नाक के नीचे सफल परीक्षण किया और चीन, पाकिस्तान जैसे देशोंं को आंख दिखाई। 18 मई 1974 और 11 व 13 मई 1998 को पोकरण फील्ड फायरिंग रेंज में हुए परमाणु परीक्षणों की बदोलत ही पोकरण को परमाणु नगरी एवं खेतोलाई को शक्ति-98 का नाम मिला। साथ ही विश्व के मानचित्र पर पोकरण व खेतोलाई गांव उभरकर सामने आए। देश-दुनिया में मिली पहचान के कारण ही प्रतिवर्ष हजारों पर्यटकों की यहां आवक होने लगी है। यहां के वाशिंदे पर्यटकों को भी जब परमाणु परीक्षण की जानकारी देते है तो उन पलों को याद कर गौरवान्वित हो जाते है। परमाणु परीक्षण की 25वीं सालगिरह पर पत्रिका ने लोगों से विचार जाने और परिचर्चा की---