पूर्णिमा को जैसाण हुआ धार्मिकता के रंग से सराबोर
जैसलमेरPublished: Nov 12, 2019 10:11:48 pm
-अनुष्ठानों के साथ चला दान पुण्य का दौर -कार्तिक पूर्णिमा के दिन जिले भर में हुए कई कार्यक्रम
-कार्तिक पूर्णिमा के दिन जिले भर में हुए कई कार्यक्रम
जैसलमेर. पीत पाषाण पत्थरों से आकर्षित करने वाली स्वर्णनगरी का नजारा मंगलवार को अलग ही देखने को मिला। कार्तिक शुक्ल पूर्णिमा के दिन समूचा माहौल आध्यात्मिकता व धार्मिकता के रंग से सराबोर नजर आया। समूचे जिले में जहां ईष्टï के दर्शन करने का उत्साह था, वहीं लोगों में दान पुण्य करने की निष्ठïा दिखाई दी। दिन भर हुए धार्मिक आयोजनों से स्वर्णनगरी धर्मनगरी में तब्दील दिखाई दी। श्रद्धालुओं ने ब्रह्मï मुहूर्त में पवित्र माने जाने वाले गड़ीसर सरोवर में स्नान किया और मंदिरों में पहुंचे। पूर्णिमा को धर्मालुओं ने जमकर दान-पुण्य किए। गरीब, निराश्रित व असहाय लोगों को फल, आहार, वस्त्र एवं नकदी दी गई। उधर, स्वर्णनगरी के विभिन्न मंदिरों में श्रद्धालुओं की रेलमपेल देखने को मिली। सोनार दुर्ग में बने लक्ष्मीनाथ मंदिर, बाबा रामदेव मंदिर, मुक्तेश्वर मंदिर, गणेश मंदिर व हनुमान मंदिर में भक्तों की भीड़ बनी रही। ईष्ट को प्रसन्न करने के लिए जतन करते लोग दिखाई दिए। लोगों ने तालाब के पानी को पवित्र व साक्षी मानकर अपने बुरे कर्मों के लिए क्षमा याचना एवं सद्बुद्धि व पवित्र विचारों आत्मसात करने के लिए भी ईष्ट से प्रार्थना की। इस दिन ***** व बेटी पक्ष के परिवार जनों के लिए लोग मिठाई या खाद्य सामग्री भी भिजवाए गए।
मंदिरों में सजाईदीपमाला
शहर से १२ किलोमीटर दूर स्थित चूंधी गणेश मंदिर में मंगलवार को ११ हजार दीपकों की दीपमाला सजाई गई। इस अवसर पर भगवान गणेश का विशेष बागा एवं पुष्प शृंगार किया गया। शाम को चूंधी गणेश की महाआरती की गई। शाम को मंदिर परिसर में श्रद्धालुओं भीड़ उमड़ पड़ी व दीपमाला कार्यक्रम में शिरकत की।
मोहनगढ़. क्षेत्र में मंगलवार को कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर विभिन्न धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। इस दौरान क्षेत्र में आए विभिन्न मंदिरों में भी काफी चहल पहल देखने को मिली। मंदिरों में पूजा अर्चना करने के लिए सुबह से ही महिलाएं, बालिकाएं मंदिरों में पहुंचनी शुरू हो गई थी। कार्तिक पूर्णिमा को लेकर कई ग्रामीण महिलाएं, बालिकाएं व पुरूष कार्तिक स्नान के लिए बीकानेर स्थित कोलायत धाम व अजमेर स्थित पुष्कर तीर्थ के लिए भी विभिन्न साधनों से गए। पूर्णिमा पर धार्मिक सरोवरों में डुबकी भी लगाई।