पत्रिका मास्टर – की : मागदर्शन के साथ सकारात्मक सोच जरूरी
जैसलमेरPublished: Mar 08, 2020 11:46:15 am
प्रतिस्पद्र्धा के युग में विद्यार्थी कठिन संघर्ष व तनाव के दौर से गुजरकर अपनी प्रतिभा को अंकों के जरिए स्थापित करने की कोशिश में लगा रहता है। वह सदैव अपने को स्वयं के मनोनुकूल ढालने की बजाय अभिभावकों, गुरुजनों, समाज की अपेक्षाओं के अनुरूप ढालकर अत्यधिक कठिन परिस्थितियों से गुजरता नजर आ रहा है।
मागदर्शन के साथ सकारात्मक सोच जरूरी
पोकरण. प्रतिस्पद्र्धा के युग में विद्यार्थी कठिन संघर्ष व तनाव के दौर से गुजरकर अपनी प्रतिभा को अंकों के जरिए स्थापित करने की कोशिश में लगा रहता है। वह सदैव अपने को स्वयं के मनोनुकूल ढालने की बजाय अभिभावकों, गुरुजनों, समाज की अपेक्षाओं के अनुरूप ढालकर अत्यधिक कठिन परिस्थितियों से गुजरता नजर आ रहा है। बोर्ड की परीक्षाएं शुरू होते ही वर्षभर की मेहनत को अंकों की फसल रूप में काटने के चक्कर में बैचेन रहने लगता है। यह परिस्थिति सेहत के साथ ही स्वस्थ मन:स्थिति के लिए भी ठीक नहीं कही जा सकती।
बेशक अध्ययन जीवन की आवश्यकता हो सकती है, लेकिन मानसिक तनाव की शर्त पर नहीं। परीक्षा के दिनों में परीक्षार्थियों को अत्यधिक सहज रहकर वर्षभर की मेहनत को तनाव रहित परिस्थितियों में व्यक्त करने की आवश्यकता रहती है। हर विद्यार्थी को अंकों की अंधी और अंतहीन प्रतिस्पद्र्धा से बचते हुए मात्र अपनी क्षमताओं और सीमाओं की परिधि में रहकर परीक्षा के दिनों में सहज रहना चाहिए। यही वे दिन है जब उन्हें सबसे अधिक मार्गदर्शन की आवश्यकता रहती है। इन दिनों योग्य गुरुजनों के सानिध्य में विषय के कठिन बिंदुओंं को समझकर तैयारी को अंतिम रूप दिया जा सकता है।
समय का हो उचित प्रबंधन
मार्गदर्शक, सकारात्मक सोच, स्वयं की प्रतिभा पर विश्वास व समय का उचित प्रबंधन ही परीक्षा के दिनों में परीक्षार्थी को तनावमुक्त रख सकता है। उम्र की चंचलता व चित की घबराहट के बीच कभी उलटे सीधे विचार आने पर किसी अच्छे परामर्शदाता के पास जाकर समाधान करें। अपने आप पर भरोसा रखें। निश्चय ही सफलता का द्वार परिश्रमी के लिए सदैव खुला रहता है।
-हेमशंकर जोशी, शिक्षाविद और प्रधानाचार्य, राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय