अक्षय पुण्य की प्राप्ति पर्व अक्षय तृतीया: आचार्य
जैसलमेर. सनातन धर्म में वैषाख शुक्ल पक्ष की तृतीया ( अक्षय तृतीया ) प्रमुख त्यौहार है। स्वर्णनगरी जैसलमेर के युवा ज्योतिषाचार्य एवं वास्तु विशेषज्ञ पं. उमेश आचार्य ने बताया कि अक्षय तृतीया अक्षय पुण्य प्राप्ति का पर्व है। अक्षय तृतीया पर दिए गए अन्न, जल, वस्त्र व स्वर्ण दान तथा किए गए स्नान, हवन, जप-तप, व्रत आदि कर्मो का अनन्त फल जन्म - जन्मान्तर तक मिलता है। आचार्य ने बताया कि भारतीय ज्योतिष में अक्षय तृतीया को अबूझ मुहूर्त के रूप में जाना जाता है। अक्षय तृतीया पर्व पर मांगलिक, शुभ व नवीन कार्य का श्रीगणेश करना, नवीन वस्त्र एवं आभूषण धारण करना लाभकारी माना गया है। वैशाख शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को भगवान ने नर - नारायण, परशुराम एवं हयग्रीव अवतार लिए थे। त्रैतायुग का प्रारम्भ भी अक्षय तृतीया तिथि को ही हुआ था।
जैसलमेर. सनातन धर्म में वैषाख शुक्ल पक्ष की तृतीया ( अक्षय तृतीया ) प्रमुख त्यौहार है। स्वर्णनगरी जैसलमेर के युवा ज्योतिषाचार्य एवं वास्तु विशेषज्ञ पं. उमेश आचार्य ने बताया कि अक्षय तृतीया अक्षय पुण्य प्राप्ति का पर्व है। अक्षय तृतीया पर दिए गए अन्न, जल, वस्त्र व स्वर्ण दान तथा किए गए स्नान, हवन, जप-तप, व्रत आदि कर्मो का अनन्त फल जन्म - जन्मान्तर तक मिलता है। आचार्य ने बताया कि भारतीय ज्योतिष में अक्षय तृतीया को अबूझ मुहूर्त के रूप में जाना जाता है। अक्षय तृतीया पर्व पर मांगलिक, शुभ व नवीन कार्य का श्रीगणेश करना, नवीन वस्त्र एवं आभूषण धारण करना लाभकारी माना गया है। वैशाख शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को भगवान ने नर - नारायण, परशुराम एवं हयग्रीव अवतार लिए थे। त्रैतायुग का प्रारम्भ भी अक्षय तृतीया तिथि को ही हुआ था।